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Jo Shakhs Islam ko aur Mohammad ﷺ Ko nahi mane wah Hindu Nahi hai.

Jo Shakhs Islam Qubul Nahi kare Aur Mohammad Sallahu Alaihe Wasallam ko Nahi mane to wah Hindu Hai hi Nahi.
जो शख्स इसलाम क़ुबूल नहीं करे, मोहम्मद ﷺ को और उनके धर्म को नहीं माने वह हिन्दू भी नहीं है।
पंडित वेद प्रकाश उपाध्याय
अंतिम ऋषि, नाराशंस, कल्की अवतार
सत्य हमेशा स्पष्ट होता है।  यह बात और है कि हम उसे न समझ पाएँ या कुछ लोग हमें इससे दूर रखने का कुप्रयास करें।
Hnduism, Islam and Terrorism, Islam in Hindi
Islam
अब यह बात छिपी नहीं रही कि वेदों, उपनिषदों और पुराणों में इस दृष्टि के अन्तिम पैग़म्बर (संदेष्टा) हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के आगमन की भविष्यवाणियां की गई हैं। मानवतावादी सत्य गवेषी विद्वानों ने ऐसे अकाट्य प्रमाण पेश कर दिए, जिससे सत्य खुलकर सामने आ गया है।
वेदों में जिस उष्ट्रारोही (ऊँट की सवारी करनेवाले) महापुरुष के आने की भविष्यवाणी की गई है, वे मुहम्मद (सल्ल.) ही है। वेदों के अनुसार उष्ट्रारोही का नाम ‘नराशंस’ होगा। ‘नराशंस’ का अरबी अनुवाद ‘मुहम्मद’ होता है। ‘नराशंस’ के बारे में वर्णित समस्त क्रियाकलाप हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के आचरणों और व्यवहारों से आश्चर्यजनक साम्यता रखते हैं। पुराणों और उपनिषदों में कल्कि अवतार की चर्चा है, जो हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) ही सिद्ध होते हैं। कल्कि का व्यक्तित्व और चारित्रिक विशेषताएं अंतिम पैग़म्बर (सल्ल.) के जीवन-चरित्र को पूरी तरह निरूपित करती हैं। यही नहीं उपनिषदों में साफ़ तौर से हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) का नाम आया है और उन्हें अल्लाह का रसूल (संदेशवाहक) बताया गया है। पुराण और उपनिषदों में यह भी वर्णित है कि ईश्वर एक है। उसका कोई भागीदार नहीं है। बौद्धों और जैनियों और ईसाईयों के धर्मग्रन्थों में भी हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के बारे में भविष्यवाणियां की गई हैं।
*पंडित वेद प्रकाश उपाध्याय का निर्णय*
पंडित वेद प्रकाश उपाध्याय ने लिखा है कि जो व्यक्ति इस्लाम स्वीकार न करे और मुहम्मद (सल्ल.) और उनके धर्म को न माने, वह हिन्दू भी नहीं है, इसलिए कि हिन्दुओं के धार्मिक ग्रन्थों में कलकी अवतार और नराशंस के इस धरती पर आ जाने के बाद उनको और उनके दीन को मानने पर बल दिया गया है। इस प्रकार जो हिन्दू भी अपने धार्मिक ग्रन्थों में आस्था रखता है, अल्लाह के रसूल मुहम्मद (सल्ल.) को माने बिना मरने के बाद के जीवन में नरक की आग,उसके सर्वकालिक प्रकोप का हक़दार होगा।
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धन्यवाद
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Islam Ke Paigamber Mohammad ﷺ. (Part 02)

Islam Ke Paigamber Hazrat Mohammad Sallahu Alaihe Wasallam
Part (02)
इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (स॰)📖
                      ★अध्याय .१★ ⊙══⊙══⊙══⊙══⊙══⊙══⊙══⊙

*मनुष्य: एक सामाजिक प्राणी*

लेकिन समस्या का एक दूसरा पहलू भी है। मनुष्य समाज में रहता है और हमारा जीवन चाहे-अनचाहे, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दूसरे लोगों के जीवन से जुड़ा होता है। हम एक ही धरती का अनाज खाते हैं, एक ही जल-स्रोत का पानी पीते हैं और एक ही वायुमंडल की हवा में सांस लेते हैं। ऐसी दशा में भी, जबकि हम अपने निजी विचारों व धार्मिक धारणाओं पर क़ायम हों, अगर हम थोड़ा-बहुत यह भी जान लें कि हमारा पड़ोसी किस तरह सोचता है, उसके कर्मों के मुख्य प्रेरणा-स्रोत क्या हैं? तो यह जानकारी कम से कम अपने माहौल के साथ तालमेल पैदा करने में सहायक बनेगी। यह बहुत ही पसन्दीदा बात है कि आदमी को संसार में धर्मों के बारे में उचित भावना के साथ जानने की कोशिश करनी चाहिये, ताकि आपसी जानकारी और मेल-मिलाप को बढ़ावा मिले और हम बेहतर तरीक़े से अपने क़रीब या दूर के पास-पड़ोस के लोगों की क़द्र कर सकें। फिर हमारे विचार वास्तव में उतने बिखरे नहीं हैं जैसा कि वे ऊपर से दिखाई देते हैं। वास्तव में वे कुछ केन्द्रों के गिर्द जमा होकर स्टाफ़िक़ जैसा रूप धारण कर लेते हैं, जिन्हें दुनिया के महान धर्मों और जीवन्त आस्थाओं के रूप में देखते हैं। जो धरती में लाखों ज़िन्दगियों का मार्गदर्शन करते और उन्हें प्रेरित करते हैं। अतः अगर हम इस संसार के आदर्श नागरिक बनना चाहते हैं तो यह हमारी जि़म्मेदारी भी है कि उन महान धर्मों और उन दार्शनिक सिद्धान्तों को जानने की अपने बस भर कोशिश करें, जिनका मानव पर शासन रहा है।

*पैग़म्बर : ऐतिहासिक व्यक्तित्व*

इन आरम्भिक टिप्पणियों के बावजूद धर्म का क्षेत्र ऐसा है, जहाँ प्रायः बुद्धि और संवेदन के बीच संघर्ष पाया जाता है। यहाँ फिसलने की इतनी सम्भावना रहती है कि आदमी को उन कम समझ लोगों का बराबर ध्यान रखना पड़ता है, जो वहाँ भी घुसने से नहीं चूकते, जहाँ प्रवेश करते हुए फ़रिश्ते भी डरते है। इस पहलू से भी यह अत्यन्त जटिल समस्या है। मेरे लेख का विषय एक विशेष धर्म के सिद्धान्तों से है। वह धर्म ऐतिहासिक है और उसके पैग़म्बर का व्यक्तित्व भी ऐतिहासिक है। यहाँ तक कि “सर विलियम म्यूर” जैसा इस्लाम विरोधी आलोचक भी कु़रआन के बारे में कहता है, ‘‘शायद संसार में ( कु़रआन के अतिक्ति) कोई अन्य पुस्तक ऐसी नहीं है, जो बारह शताब्दियों तक अपने विशुद्ध मूल के साथ इस प्रकार सुरक्षित हो।’’1 मैं इसमें इतना और बढ़ा सकता हूँ कि पैग़म्बर मुहम्मद भी एक ऐसे अकेले ऐतिहासिक महापुरुष हैं, जिनके जीवन की एक-एक घटना को बड़ी सावधानी के साथ बिल्कुल शुद्ध रूप में बारीक से बारीक विवरण के साथ आनेवाली नसलों के लिए सुरक्षित कर लिया गया है। उनका जीवन और उनके कारनामे रहस्य के परदों में छुपे हुए नहीं हैं। उनके बारे में सही-सही जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी को सिर खपाने और भटकने की ज़रूरत नहीं। सत्य रूपी मोती प्राप्त करने के लिए ढेर सारी रास से भूसा उड़ाकर चन्द दाने प्राप्त करने जैसे कठिन परिश्रम की ज़रूरत नहीं है।

*पूर्वकालीन भ्रामक चित्रण*

मेरा काम इस लिए और आसान हो गया है कि अब वह समय तेज़ी से गुज़र रहा है, जब कुछ राजनैतिक और इसी प्रकार के दूसरे कारणों से कुछ आलोचक इस्लाम का ग़लत और बहुत ही भ्रामक चित्रण किया करते थे।1 प्रोफ़ेसर बीबान ‘केम्ब्रिज मेडिवल हिस्ट्री (Cambrigd madieval history) में लिखता है- ‘‘ इस्लाम और मुहम्मद के संबंध में 19वीं सदी के आरम्भ से पूर्व यूरोप में जो पुस्तकें प्रकाशित हुईं उनकी हैसियत केवल साहित्यिक कौतूहलों की रह गई है’’ मेरे लिए पैग़म्बर मुहम्मद के जीवन-चित्र के लिखने की समस्या बहुत ही आसान हो गई है, क्योंकि अब हम इस प्रकार के भ्रामक ऐतिहासिक तथ्यों का सहारा लेने के लिए मजबूर नहीं हैं और इस्लाम के संबंध में भ्रमक निरूपणों के स्पष्ट करने में हमारा समय बर्बाद नहीं होता। मिसाल के तौर पर इस्लामी सिद्धान्त और तलवार की बात किसी उल्लेखनीय क्षेत्र में ज़ोरदार अन्दाज़ में सुनने को नहीं मिलती। इस्लाम का यह सिद्धान्त कि “धर्म के मामले में कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नही”, आज सब पर भली-भाँति विदित है। विश्वविख्यात इतिहासकार “गिबन” ने कहा है, “मुसलमानों के साथ यह ग़लत धारणा जोड़ दी गई है कि उनका यह कर्तव्य है कि वे हर धर्म का तलवार के ज़ोर से उन्मूलन कर दें।” इस इतिहासकार ने कहा कि यह जाहिलाना इलज़ाम कु़रआन से भी पूरे तौर पर खंडित हो जाता है और मुस्लिम विजेताओं के इतिहास तथा ईसाइयों की पूजा-पाठ के प्रति उनकी ओर से क़ानूनी और सार्वजनिक उदारता का जो प्रदर्शन हुआ है उससे भी यह इलज़ाम तथ्यहीन सिद्ध होता है। पैग़म्बर मुहम्मद के जीवन की सफलता का श्रेय तलवार के बजाय उनके असाधारण नैतिक बल को जाता है।
taken From 
   https://t.me/wandeishwarame
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प्रोफ़ेसर के.एस.रामा कृष

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Islam Ke Paigamber Mohammad ﷺ. (Part 01)

Islam Ke Paigamber Hazrat Mohammad Sallahu Alaihe Wasallam

Part (01)
*इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्‍ल.)*
                      ★अध्याय .१★ ⊙══⊙══⊙══⊙══⊙══⊙══⊙══⊙
*इस्लाम के पैग़म्बरःहज़रत मुहम्मद (सल्ल.)*

मुहम्मद (सल्ल.) का जन्म अरब के रेगिस्तान में मुस्लिम इतिहासकारों के अनुसार 20 अप्रैल 571 ई. में हुआ। ‘मुहम्मद’ का अर्थ होता है ‘जिस की अत्यन्त प्रशंसा की गई हो। मेरी नज़र में आप अरब के सपूतों में महाप्रज्ञ और सबसे उच्च बुद्धि के व्यक्ति हैं। क्या आपसे पहले और क्या आप के बाद, इस लाल रकतीले अगम रेगिस्तान में जन्मे सभी कवियों और शासकों की अपेक्षा आप का प्रभाव कहीं अधिक व्यापक है।जब आप पैदा हूए अरब उपमहाद्वीप केवल एक सूना रेगिस्तान था। मुहम्मद (सल्ल.) की सशक्त आत्मा ने इस सूने रेगिस्तान से एक नए संसार का निर्माण किया, एक नए जीवन का, एक नई संस्कृति और नई सभ्यता का। आपके द्वारा एक ऐसे नये राज्य की स्थापना हुई, जो मराकश से ले कर इंडीज़ तक फैला और जिसने तीन महाद्वीपों एशिया, अफ्ऱीक़ा, और यूरोप के विचार और जीवन पर अपना अभूतपूर्व प्रभाव डाला।

*उदारता की ज़रूरत*

मैं ने जब पैग़म्बर मुहम्मद के बारे में लिखने का इरादा किया तो पहले तो मुझे संकोच हुआ, क्योंकि यह एक ऐसे धर्म के बारे में लिखने का मामला था जिसका मैं अनुयायी नहीं हूँ और यह एक नाज़ूक मामला भी है क्योंकि दूनिया में विभिन्न धर्मों के माननेवाले लोग पाए जाते हैं और एक धर्म के अनुयायी भी परस्पर विरोधी मतों (school of thought) और फ़िरक़ों में बंटे रहते हैं। हालाँकि कभी-कभी यह दावा किया जाता है कि धर्म पूर्णतः एक व्यक्तिगत मामला है, लेकिन इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि धर्म में पूरे जगत् को अपने घेरे में ले लेने की प्रवृत्ति पाई जाती है, चाहे उसका संबंध प्रत्यक्ष से हो या अप्रत्यक्ष चीज़ों से। वह किसी न किसी तरह और कभी न कभी हमारे हृदय, हमारी आत्माओं और हमारे मन और मस्तिष्क में अपनी राह बना लेता है। चाहे उसका ताल्लुक़ उसके चेतन से हो, अवचेतन या अचेतन से हो या किसी ऐसे हिस्से से हो जिसकी हम कल्पना कर सकते हों। यह समस्या उस समय और ज़्यादा गंभीर और अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाता है जबकि इस बात का गहरा यक़ीन भी हो कि हमारा भूत, वर्तमान और भ्विष्य सब के सब एक अत्यन्त कोमल, नाज़ुक, संवेदनशील रेशमी सूत्रों से बंधे हुए हैं। यदि हम कुछ ज़्यादा ही संवेदनशील हुए तो फिर हमारे सन्तुलन केन्द्र के अत्यन्त तनाव की स्थिति में रहने की संभावना बनी रहती है। इस दृष्टि से देखा जाए तो दूसरों के धर्म के बारे में जितना कम कुछ कहा जाए उतना ही अच्छा है। हमारे धर्मों को तो बहुत ही छिपा रहना चाहिए। उनका स्थान तो हमारे हृदय के अन्दर होना चाहिए और इस सिलसिले में हमारी ज़ुबान बिल्कुल नहीं खुलनी चाहिए।…
                         जारी है………
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प्रोफ़ेसर के.एस.रामा कृष्णा राव
भूतपूर्व अध्यक्ष, दर्शण-शास्त्र विभाग राजकीय कन्या विद्यालय,  मैसूर (कर्नाटक)
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✧ taken From
  https://t.me/wandeishwarame   ✧
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मैंने जब पैग़म्बर मुहम्मद के बारे में लिखने का इरादा किया तो पहले तो मुझे संकोच हुआ, क्योंकि यह एक ऐसे धर्म के बारे में लिखने का मामला था जिसका मैं अनुयायी नहीं हूँ और यह एक नाज़ूक मामला भी है क्योंकि दूनिया में विभिन्न धर्मों के माननेवाले लोग पाए जाते हैं और एक धर्म के अनुयायी भी परस्पर विरोधी मतों (school of thought) और फ़िरक़ों में बंटे रहते हैं।----- (कृष्‍णा राव)

पुस्‍तक:📖
इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद ( सल्‍ल. )

लेखक:
प्रोफ़ेसर  के. एस. रामा कृष्णा राव
भूतपूर्व अध्यक्ष, दर्शण-शास्त्र विभाग राजकीय कन्या विद्यालय, मैसूर (कर्नाटक)
निवेदन

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Tawaqqul Ka Mana o Mafhoom in Hindi.

Tawaqqul Ka Mana o Mafhoom Quran-o-Hadees se.
सही इस्लामी अकीदा
*📕तवक्कुल का माना व मफ़हुम📕*

*सवाल 1:* तवक्कुल का लुघवी व इस्तेलाही मा'अना क्या है?
*जवाब 2: लुघवी मा'अना:* भरोसा करना।
*इस्तेलाही मा'अना:* तमाम दुनियावी व उखरवी ( आखिरत ) मसलीहतों को हासिल करने और नुकसानदाह चीजों के दूर होने मे सच्चे दिल से *अल्लाह* पर ऐतमाद करने और तमाम मामलात को उसके हवाले कर देने का नाम *तवक्कुल* है।"
*सवाल 2:* हमें कीस पर तवक्कुल करना चाहिए?
*जवाब 2:* हमें सिर्फ अल्लाह पर अल्लाह पर तवक्कुल करना चाहिए।
*अल्लाह का फरमान है: " अगर तुम इमान वाले हो तो अल्लाह पर भरोसा रखो।"*(कुरानःसुरह अल मायदाहः23)
*दुसरी जगह अल्लाह फरमाता हैः " जो अल्लाह पर ऐतमाद करेंगा , अल्लाह उसके लिए काफी है।"*
  ( कुरआनः सुरह अत् तलाक :3 )

*सवाल 3:* गैरुल्लाह पर तवक्कुल की कितनी किस्में है?
*जवाब 3:* गैरुल्लाह पर तवक्कुल करने की 2 दो किस्में है।
(1) ऐसे मामलात मे तवक्कुल करना जिस पर अल्लाह के सिवा कोई कादिर नही जैसे रोजी, मदद और शफा'अत जैसें मामलात मे माअबुदान ए बातिला (झुठे) पर भरोसा करना, ए शिर्क ए अकबर है। क्योंकि ए सारी चीजें सिर्फ अल्लाह के साथ खास है।

(2) जाहिरी असबाब मे तवक्कुल करना जैसे किसी मखलुक पर ऐसी चीज के मुताल्लिक तवक्कुल करना जिस को अल्लाह ने उसके हाथ मे दे रखा है। रोजी देना या तकलीफदाह चीजों को दूर करना वगैरा और ए शिर्क ए अजगर है। हाँ, जिस काम की ताकत रखता हो उस मे उसको सबब बना सकते है लेकिन भरोसा अल्लाह पर करे।
*सवाल 4:* असबाब इख़्तियार करने के मामले मे लोगों की कितनी किस्में है?
*जवाब 4:* असबाब इख़्तियार करने के मामले मे लोगों की 3 किस्में है।
( 1 ) कुछ लोग असबाब इख़्तियार करने का इन्कार करते है और कहते है के ए तवक्कुल के मुनाफी है, ए बहुत बडी जहालत है।
( 2 ) कुछ लोग असबाब इख़्तियार करते है और सिर्फ उसी पर ऐतमाद करते है, ए शिर्क है।
( 3 ) कुछ लोग असबाब इख़्तियार करते है लेकिन अल्लाह पर तवक्कुल करते है, यही दुरुस्त है।
*सवाल 5:* तवक्कुल के फायदे क्या है?
*जवाब 5:* तवक्कुल के चंद फायदे है।
*(1)* अल्लाह पर ऐतमाद और इमान मे इजाफा होता है।
*(2)* अल्लाह से एक जिंदा ताअ'ल्लुक पैदा होता है।
*(3)* आखिरत मे दरजात मे बुलंदी होती है।
*(4)* तवक्कुल करने वाला शरई हुदूद मे रहता है और हराम से बच जाता है।
*(5)* अल्लाह और उसके रसूल सलल्लाहु अलैहि व सल्लम की इत्तेबा'अ साबित होती है।
*(6)* जल्दबाजी से निजात पाता है।
*(7)* शैतानी वसवसों से महफूज रहता है।

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Allah hi ne Hame Paida bhi kiya aur Maut bhi dega.

Wahi Khuda hai jo Hme Zindagi bhi Deta hai aur Maut bhi.
📗📔 *वेद* -- *कुरआन* 📗📔
                     📔 *वेद* 📔
*यो मारयती प्राणयति यस्मात प्राणन्ति भुवानानि विश्वा ।*
" जो परमेश्वर मारता है और प्राण प्रदान करता है और जिस (की कृपा) से सभी जीव जीवीत रहते है।"
                 *अथर्ववेद 13: 3: 3*
               📗 *कुरआन* 📗
*अल्लाहुल्लज़ी ख़-ल-क़कुम् सुम्-म र-ज़-क़कुम् सुम्-म युमीतुकुम् सुम्-म युह्-यीकुम्*
" अल्लाह ही है जिस ने तुम्हे पैदा किया फिर उसने तुम्हे रोजी दी, फिर तुम्हें मौत देता है, फिर तुम्हे जीवित करेंगा।"
                     *कुरआन 30: 40*

                    📔 *वेद* 📔
*दृष्टवा रुपे व्याकरोत्सत्या नृते प्रजापतिः।*
*अश्रध्दा मनृतो अदधाच्छध्दाँ सत्ये प्रजापतिः।।*
" परमेश्वर ने सत्य और मिथ्या के रुप को अपनी ज्ञान दृष्टि से अलग अलग कर दिया और आदेश दिया कि सत्य मे आस्था लाओ और मिथ्या को ठुकरा दो।"
                    *यजुर्वेद 19: 77*
                  📗 *कुरआन* 📗
*क़द् तबय्यनर्रुश्दु मिनल्गय्यि फ़ मँय्यक्फुर बित्तागूति व युअमिम्-बिल्लाहि फ़-क़दिस्तम्-स-क बिल्-उर्वतिल्-वुस्क़ा*
" सद् मार्ग, को गुमराही से अलग स्पष्ट कर दिया गया तो अब जो कोई दानव को ठुकरा दे और अल्लाह पर आस्था ले आए उसने बड़ा प्रबल सहारा थाम लिया।"
                     *कुरआन 2: 256*

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Mohammad ﷺ Ka Zikar Hindu Dharm ki Kitabo me. (Part 54)

Islam Ne Auraton ko Hijab karne ka Hukm Kyu Diya hai?
Mai Kaun Hoo? Ek Satya Sanatan Dharm Ko Manne wala.
Islam me Auraton ka Muqam o Martba
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अस्सलामुअलैकुम वरह् मतुल्लाही वबरकातुहु
पार्ट:- 54

  मैं कौन हूँ? एक सत्य सनातन धर्म इस्लाम
اسلام میں عورتوں کا مقام
इस्लाम में महिलाओं का स्थान:-

  इस्लाम में महिलाओं का स्थान एक हीरे या किसी क़ीमती वस्तु (वस्तु कहने का मतलब यह नहीं के उसे और सामान के जैसा समझा जाए, ग़लत मतलब निकालने वालों की कोई कमी नहीं है) तरह है जिसे बाजार में नहीं दिखाया जाता ताकि उसे बुरी नजर और चोरी होने से बचाया जा सके।

    ऊपर दिए गए उदाहरण की ही तरह इस्लाम में महिलाओं को बहुत क़ीमती समझा जाता है इसलिए उन्हें हिजाब द्वारा छुपा कर रखा जाता है ताकि उन्हें छेड़छाड़ बलात्कार और दूसरे बुरे कृत्यों से बचाया जा सके।
 
   व्याभिचार व बुरे कार्यो को रोकने के लिये इस्लाम ने मां-बाप को एक इकाई मानकर सन्तानों की उचित परवरिश के नियम सिखाए हैं।

व्यस्कता के साथ ही शादी के द्वारा स्वभाविक मानवीय इच्छाओं को पूर्ण करने को पोषित किया गया है अन्यथा सन्तानों के द्वारा किये गए व्याभिचार में मां-बाप को भी दोषी ठहराया गया है यह है इस्लाम का सामाजिक सरोकार।

इस्लाम में महिला के लिए अपने पति तथा कुछ ऐसे चुने हुए लोगों को जिनसे वो शादी नहीं कर सकती (जैसे पिता, भाई आदि) के सिवा अपनी सुंदरता दिखाने के लिए मना किया गया है ताकि उसे दूसरे मर्दो की ओर आकर्षित होने से बचाया जा सके।

HMARI DUAA

taken From THE WAY OF JANNAH INSTITUTE Gurupe

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Mohammad ﷺ Ka Zikar Hindu Dharm ki Kitabo me. (Part 45)

Kalki Avatar aur Allah ke Nabi Mohammad ﷺ.
Vedo me Mohammad Sallahu Alaihe Wasallam ka Zikar.
Mohammad ﷺ ke Bare me Mashhoor logo ki kya Ray hai?
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अस्सलामुअलैकुम वरह् मतुल्लाही वबरकातुहु

पार्ट:- 45
     मैं कौन हूँ:-एक सत्य सनातन धर्म इस्लाम

मुहम्मद साहब के बारे में कुछ प्रसिद्ध लोग क्या कहते हैं???.…....

7. वैज्ञानिक डॉ. मौरिस बकाले अपनी किताब The Qur'an and Modern Science में लिखते हैं:-
          कि आज के ज्ञान की रोशनी में पवित्र क़ुरआन का एक पूर्ण अध्ययन हमें यह बात कहने पर मजबूर कर देता है कि इन दोनों (पवित्र कुरआन  ओर आधुनिक विज्ञान के बीच पूरी तरह से तालमेल है।
        
    और यह हक़ीक़त इससे पहले भी कई मौको पर स्वीकार की गयी है और इस बात का तो ख्याल करना ही बेकार है कि क़ुरआन की ये आयते मुहम्मद साहब के जमाने के किसी व्यक्ति की बनाई हुई हैं।
 
     क्योंकि उस दौर में विज्ञान ने इतनी तरक्की हरगिज़ नहीं की थी. और पवित्र क़ुरआन की यही खूबी इसे एक विशिष्ट स्थान प्रदान करती है।
   
     *और एक उदासीन वैज्ञानिक को यह बात स्वीकार करने पर मजबूर कर देती है कि वह सिर्फ अनात्मवाद की बुनियाद पर इस किताब पर ध्यान नहीं दे सकता ।(अर्थात उस दौर में ज्ञान की कमी और साइंसी ज्ञान के ना होने के बावजुद पवित्र कुआन में जो सटीक वैज्ञानिक बातें मौजूद हैं वह इस बात की खुली दलील है कि यह किसी एक या चंद लेखकों की दिमागी उपज नहीं बल्कि आकाशवाणी है।)

HMARI DUAA⬇️⬇️⬇️
taken From this Gurupe
THE WAY OF JANNAH INSTITUTE

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Mohammad ﷺ Ka Zikar Hindu Dharm ki Kitabo me. (Part 48)

Aap Sallahu Alaihe Wasallam ke Bare me kuch Mashhoor log kya kahte hai?
Mai Ek Satya Sanatan dharma ko Manne wala Musalman Hoo.
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अस्सलामुअलैकुम वरह् मतुल्लाही वबरकातुहु
पार्ट:- 48
मैं कौन हूँ:-एक सत्य सनातन धर्म इस्लाम

मुहम्मद साहब के बारे में कुछ प्रसिद्ध लोग क्या कहते हैं???.

10. वाशिंगटन इरविंग कहते हैं, मुहम्मद साहब की जंगों को जीतने के बाद गर्व, यश एवं अहंकार का इजहार कहीं नज़र नहीं आता, और यह सब नि:संदेह होता ।
               अगर यह जंगें खुदगर्जी और अपने फायदे के लिये लड़ी गयी होती, अपनी हकूमत और ताक़त के दौर में भी उनके अंदर और बाहर की सादगी का वही हाल था जो शुरुआत और परेशानी के हालात के दिनों में था।
        वह भी उस हाल में कि जब वे ईरान के किसरा से (उस समय के सुपर पावर) मुक़ाबले की ताक़त रखते थे।
          
वे इस बात तक पर नाराज़ होते कि कोई कमरे में उनके आने पर उनके लिये असामान्य तरीके से स्वागत करते हुए अभिवादन स्वरूप व सम्मान के लिये खड़ा भी हो.

11.डफ्फरिन कहते हैं मुसलमानों के वैज्ञानिक ज्ञान एवं हुनर और साहित्य का युरोप को मध्य युग के अंधकार से निकालने में बड़ा रोल था।

HMARI DUAA⬇️⬇️⬇️

Taken From THE WAY OF JANNAH INSTITUTE Gurupe

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Mohammad ﷺ Ka Zikar Hindu Dharm ki Kitabo me. (Part 46)

Vedo Me Kalki Avatar ka Zikar aur Mohammad ﷺ.
Mohammad ﷺ ke Bare me Mashhoor Scholars ka kya Khyal Tha/hai?
اللہ کے نبی کے بارے میں مشہور لوگوں کی کیا رائے ہے؟
آپ ﷺ کے بارے میں مشہور  لوگ کیا کہتے ہیں؟
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अस्सलामुअलैकुम वरह् मतुल्लाही वबरकातुहु

पार्ट:- 46
  मैं कौन हूँ:-एक सत्य सनातन धर्म इस्लाम

मुहम्मद साहब के बारे में कुछ प्रसिद्ध लोग क्या कहते हैं???.….

8. डॉक्टर गुस्ताव विल अपनी किताब History of Islamic People में लिखते हैं:-

   अपने साथियों के लिये महम्मद साहब प्रकाशवान उदाहरण थे, उनका व्यक्तित्व साफ और बेदाग़ था, उन का घर, उनके वस्त्र और उनका भोजन इन सब में असामान्य सादगी थी।
     
       वह एक बहुत ही नम्र स्वभाव के थे कि उनके साथी भी उनके लिये अलग से कोई धार्मिक आदर या सम्मान का तरीका नहीं बरतते थे, ना ही वे गुलाम से वह काम करवाते जो वह खुद कर सकते थे।
       
                 वे हर समय लोगों की मदद में होते थे, वे अक्सर बीमारों से मिलने जाया करते, उनका दिल लोगों के लिये दया एवं कृपा से भरा हुआ था, उनकी मेहरबानी और सज्जनता सीमा से परे थी।

    और वे अपने समाज की भलाई और कामयाबी के लिये हमेशा व्याकुल रहते।

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HMARI DUAA⬇️⬇️⬇️

Taken From THE WAY OF JANNAH INSTITUTE  Gurupe

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Mohammad ﷺ Ka Zikar Hindu Dharm ki Kitabo me. (Part 22)

Islam Kaise is Duniya me faila?

Islam kis wajah se itni teji se Failte Ja raha hai?

Vedo me Kalki Avatar aur Mohammad ﷺ

Vedo me Mohammad ﷺ ke bare me kya kaha gya hai?

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अस्सलामुअलैकुम वरह् मतुल्लाही वबरकातुहु
पार्ट:- 22
   मैं कौन हूँ :-एक सत्य सनातन धर्म इस्लाम
कई वर्षों के पश्चात, मुहम्मद साहब और उनके साथी (सहाबा) मक्का लौटने में कामयाब हुए जहां उन्होंने अपने शत्रुओं को माफ कर दिया।
   63 वर्ष की आयु में मुहम्मद साहब के इस दुनिया से जाने से पहले, समस्त अरब का एक बहुत बड़ा हिस्सा, मुसलमान हो चुका था ।

    और उनके देहांत के 100 वर्ष के भीतर ही इस्लाम पश्चिम में स्पैन तथा पूर्व में चीन तक फैल गया। इस तरह शांतिपूर्ण तथा तेजी से इस्लाम के फैलने का कारण उसके सच्चे तथा सरल आदर्श हैं (एकेश्वरवाद) कि केवल एक अल्लाह ही इबादत के लायक है।
HMARI DUAA⬇️⬇️⬇️
THE WAY OF JANNAH INSTITUTE
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Mohammad ﷺ Ka Zikar Hindu Dharm ki Kitabo me. (Part 40)

Gandhi ji ka Mohammad ﷺ ke bare me kya Khyal tha?

Kuchh Famous Log Mohammad ﷺ ke bare me kya kahte hai?

گاندھی جی نے اللہ کے نبی محمد ﷺ کے بارے میں کیا کہا ہے؟
ہندوستان میں باپو کہے جانے والے گاندھی جی کا محمد ﷺ کے بارے میں کیا خیال تھا؟
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अस्सलामुअलैकुम वरह् मतुल्लाही वबरकातुहु
पार्ट:- 40
  मैं कौन हूँ:- एक सत्य सनातन धर्म इस्लाम
मुहम्मद साहब के बारे में कुछ प्रसिद्ध लोग क्या कहते हैं?
1. महात्मा गांधी : मुहम्मद साहब के आचरण के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा था।
  में उस सबसे बेहतरीन व्यक्ति की तलाश में था जो आज निर्विवाद रूप से लाखों इंसानों के दिलों पर राज करता है।
    मुझे इस बात पर पूरा विश्वास, या उससे अधिक है, कि उन दिनों बिताए जाने वाले जीवन में इस्लाम केवल तलवार के ज़ोर पर नहीं फैला बल्कि वो पैगम्बर का कड़ा सादापन तथा उनका आत्मा विलोपन था, अपनी प्रतिज्ञा के प्रति कर्तव्यनिष्ठ चिंता थी,
अपने मित्रों तथा अनुयाईयों के लिए उनका तीव्र समर्पण था, उनकी निडरता तथा साहस था, तथा अपने मिशन में उनकी सुनिश्चित आस्था थी।
कोई तलवार नहीं बल्कि ये चीजें थीं उनके सामने जिसके कारण उन्होंने सभी तरह की रुकावटों को पार कर दिया।
                   जब मैंने दूसरा खंड (मुहम्मद साहब की जीवनी का) समाप्त किया तो मुझे बहुत अफसोस हुआ कि इस महान जीवन के बारे में पढ़ने के लिए अब मेरे पास कुछ भी नहीं है। (यंग इंडिया)
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Mohammad ﷺ Ka Zikar Hindu Dharm ki Kitabo me. (Part 39)

Kalki Avatar aur Mohammad Sallahu Alaihe Wasallam.

Vedo me Kalki Avatar ke 8 quality kaun kaun se btaye gaye hai?

Kalki Avtar Kaun Hai?

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अस्सलामुअलैकुम वरह् मतुल्लाही वबरकातुहु
पार्ट:- 39
    मैं कौन हूँ:-एक सत्य सनातन धर्म इस्लाम
6.आठ गुणों में अल्पभाषी होना एक विशिष्ट गुण है। अल्लाह के रसूल मोहम्मद साहब कम बोलते थे।
अधिकतर मौन रहते परन्तु जो कुछ बोलते थे, वह इतना प्रभावोत्पादक होता था कि लोग आपकी बात नहीं भूलते थे।
7.दान देना महापुरुषों का एक प्रमुख गुण रहा है ।
पैग़म्बर मुहम्मद साहब दान देने से पीछे नहीं हटते। यही कारण था कि आपके घर पर ग़रीबों की भीड़ लगी रहती थी।
आपके घर से कभी कोई निराश होकर नहीं लौटा।
   8.मुहम्मद साहब के गुणों में कृतज्ञता भी थी। वे किसी के उपकार को नहीं भूलते।
आपके अनुसार (मदीना के वे लोग जिन्होंने आपको माना और आपका साथ दिया) के प्रति कहे गए वाक्य आपकी कृतज्ञता का प्रमाण पेश करते हैं।
इस प्रकार यह सिद्ध हो गया कि मुहम्मद साहब में आठों ईश्वरीय प्रदत्त गुणों का समावेश था।
डा. उपाध्याय कहते हैं कि कल्कि और मोहम्मद साहब के बारे में जो अभूतपूर्व साम्य मुझको मिला उसे देखकर आश्रर्य होता है कि जिन कल्कि की प्रतीक्षा में भारतीय बैठे हैं, वे आ गए और वही पैगम्बर मुहम्मद साहब है।
(कल्कि अवतार और मुहम्मद साहब, पृष्ठः 59)
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Mohammad ﷺ Ka Zikar Hindu Dharm ki Kitabo me. (Part 38)

Mohammad ﷺ ka Zikr Hindu Dharm ki Kitabo me.

Vedo me Allah ke nabi ki kaun kaun si Pahchan Btayi gayi hai?

vedo me Kalki Avatar ki 8 Pahchan kya hai?

Vedon Me Kalki Avtar Ki Pahchan Kya Hai

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अस्सलामुअलैकुम वरह् मतुल्लाही वबरकातुहु
पार्ट:- 38
         मैं कौन हूँ:- एक सत्य सनातन धर्म इस्लाम
4.आप श्रुतिज्ञानी भी थे। श्रुत का अर्थ है जो ईश्वर के द्वारा सुनाया गया और ऋषियों द्वारा सुनाया गया हो।
मुहम्मद साहब पर जिब्राइल (अ.) नामक फरिश्ते द्वारा अल्लाह का ज्ञान भेजा जाता था।
लेनपूल ने अपनी पुस्तक Introduction: Speeches of Muhammed में लिखते हैं कि मोहम्मद साहब को देवदूत की सहायता से ईश्वरीय वाणी का भेजा जाना निस्संदेह सत्य है।
सर विलियम म्योर ने भी लिखा है कि वे सन्देष्टा और ईश्वरीय धर्म के प्रतिनिधि थे।
5.पराक्रम अष्टगुणों में पाँचवा गुण है। मोहम्मद साहब काफी पराक्रमी थे। आपके पराक्रम को दर्शाते हुए डा. वेद प्रकाश उपाध्याय ने एक घटना का वर्णन किया है जो इस प्रकार है:
किसी गुफा में अकेले उपस्थित रुकाना पहलवान जो कुरैश से संबंधित था, उससे मुहम्मद साहब ने अल्लाह से न डरने और अल्लाह पर विश्वास न करने का कारण पूछा,
                           जिस पर पहलवान ने सत्य की स्पष्टता के लिए कहा। तब मुहम्मद साहब ने कहा कि तू बड़ा वीर है, यदि कुश्ती में मैं तुझे हरा दू तो क्या विश्वास करेगा?
                         उसने स्वीकारात्मक उत्तर दिया। तब पैग़म्बर मुहम्मद साहब ने उसे हरा दिया।
                   (अल्लामा काजी सलमान मंसूर पूरी ने अपनी सीरत की किताब रहमतुल्लिल आलमीन में शिफा नामी पुस्तक के पृष्ठ 64 के हवाले से लिखा है कि मुहम्मद साहब ने उसे तीन बार हराया, फिर भी उस पहलवान ने मुहम्मद साहब को पैग़म्बर न माना तथा अल्लाह की सत्यता पर विश्वास न किया।
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Mohammad ﷺ Ka Zikar Hindu Dharm ki Kitabo me. (Part 21)

Mohammad ﷺ Kaun hai?

Vedo me kalki Avatar ki khoobiyan kaun kaun si hai?

Ek Satya Snatan Dharm Islam kaise hai?

Paighambar Mohammad Kaun Hain?
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अस्सलामुअलैकुम वरह् मतुल्लाही वबरकातुहु
पार्ट:- 21
मैं कौन हूँ:-एक सत्य सनातन धर्म इस्लाम
Ek Satya Snatan Dharm Ko Manne wala Musalman
  पैगम्बर मुहम्मद साहब कौन हैं
who is Prophet Mohammad Sahab?
मुहम्मद साहब 570 ई. में पैदा हुए। चूंकि उनके पिता का देहांत उनके जन्म से कुछ समय पूर्व ही हो गया था, तथा उनकी माता भी कुछ समय बाद इस दुनिया से चली गई इसलिए इनका पालन पोषण उनके चाचा ने किया जो कुरैश क़बीले के एक सम्मानित व्यक्ति थे।
मोहम्मद साहब निरक्षर थे तथा लिखना पढ़ना नहीं जानते थे, और इस दुनिया से जाने तक वैसे ही रहे।
अरब के लोग, पैगम्बर मिलने से पूर्व तक, विज्ञान से अपरिचित थे तथा उनमें से अधिकतर निरक्षर भी थे।
    वो जैसे जैसे बढ़ते गए उनकी सच्चाई, ईमानदारी, विश्वस्नीयता, उदारता और गंभीरता के लिए प्रसिद्ध होते चले गये।
  
  मुहम्मद साहब बहुत धार्मिक थे तथा वो लम्बे समय से चली आ रही मूर्ति पूजा के विरोधी थे।
    40 वर्ष की आयु में, मुहम्मद साहब को अल्लाह की ओर से दिव्य संदेश (वही-प्रकाशना) प्राप्त हुआ, उन्हें तथा उनके करीबी मित्रों को काफ़िरों (इन्कार करने वालों) द्वारा जान का खतरा बढ़ गया।
   
         ये दिव्य संदेश (कुरआन) 23 वर्षो तक समय-समय पर आप पर अवतरित होता रहा, और इसके समावेश को हम कुरआन के नाम से जानते हैं।
    *मुहम्मद साहब ने जैसे ही कुरआन की शिक्षाओं का प्रचार शुरु किया और सच्चाई का पाठ पढ़ाने लगे, जो अल्लाह ने उनपर अवतरित किया था, काफिरों की ओर से उनकी तथा उनके मित्रों की जान पर खतरा बढ़ता चला गया।
  
    ये खतरा इतना बढ़ा कि 622 ई. में मक्का शहर से प्रस्थान करने का आदेश दे दिया। मक्का से मदीना की आर प्रस्थान (हिजरत), जो लगभग 260 मील उत्तर की ओर है. मुस्लिम कैलेंडर (हिजरी सन) की शुरुआत यहीं से मानी गई है।
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Mohammad ﷺ Ka Zikar Hindu Dharm ki Kitabo me. (Part 20)

Mohammad ﷺ Ka Zikar Hindu Dharm ki Kitabo me.

Vedo me Kalki Avatar aur Mohammad ﷺ.

Islam me Khuda ka Tasawwur kaise kiya jata hai?

Musalman Jise Allah kahta hai wah kaun Hai?

Mohammad ﷺ Ka Zikar Hindu Dharm ki Kitabo me.
Vedo me Kalki Avatar aur Mohammad ﷺ.
Islam me Khuda ka Tasawwur kaise kiya jata hai?
Musalman Jise Allah kahta hai wah kaun Hai?

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अस्सलामुअलैकुम वरह् मतुल्लाही वबरकातुहु

पार्ट:- 20
   मैं कौन हूँ:-एक सत्य सनातन धर्म इस्लाम
अल्लाह कौन है? who is Allah?
वो सभी दिखाई देने वाली तथा छुपी हुई चीजों का आदर्श समावेश करता है। वो अपने द्वारा रचे गए प्राणियों की समझ से बहुत परे है। वो सब कुछ जानता है वो धरती तथा स्वर्ग में होने वाली सभी बातों को जानता है।
ओर हमने मनुष्य को पैदा किया है तथा उसके हृदय में जो विचार उत्पन्न होते हम उनसे (भी) परिचित है तथा हम उसकी प्राणनाड़ी (शहे-रग) से भी अधिक उसके निकट हैं।  ( कुरआन 50:16 )
वो कयामत के दिन का मालिक है, वो दिन जब मनुष्य द्वारा जीवन में किए गए कर्मो के हिसाब का एलान होगा। वो लोग जिन्होंने खुद को उसे समर्पित कर दिया था. स्वर्ग की प्राप्ति करेंगे तथा वो जिन्होंने उसके सामने समर्पण से इन्कार किया था हमेशा के लिए नर्क में डाल दिए जाएंगे।
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Mohammad ﷺ Ka Zikar Hindu Dharm ki Kitabo me. (Part 23)

Kalki Avatar kaise insan they?

Vedo Me Kalki Avatar aur Mohammad ﷺ me Yaksaniyat.

Kya Mohammad ﷺ hi Kalki Avatar hai?

Kalki Avatar kaise insan they?
Vedo Me Kalki Avatar aur Mohammad ﷺ me Yaksaniyat.
Kya Mohammad ﷺ hi Kalki Avatar hai?
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अस्सलामुअलैकुम वरह् मतुल्लाही वबरकातुहु

पार्ट:- 23
Satya Sanatan Dharm Aur Islam me Yaksaniyat.
  मैं कौन हूँ:-एक सत्य सनातन धर्म इस्लाम
पैगम्बर मुहम्मद साहब शांति, इंसाफ, दया, करुणा, सच्चाई तथा बहादुर इंसान की मिसाल थे।
      हालांकि वो एक इंसान थे. परंतु वो इंसानी गुनाहों से पाक थे और केवल अल्लाह की खुशी के लिए तथा मरणोपरांत मिलने वाले ईनाम (स्वर्ग) के लिए सदैव कार्यरत रहे।
    
      इसके अलावा, अपने सभी मामलात तथा लेनदेन में, वो हमेशा ही अल्लाह से डरते रहे तथा उसकी खुशी का ध्यान रखा।
हमारे लिए केवल वे ही एक रोल मॉडल हैं, इसलिए हमें वैसे ही जीवन व्यतीत करना चाहिए जैसे उन्होंने जीवन व्यतीत किया, बताया तथा उस पर चलने की सलाह दी सलामती व रहमतें हों, ऐसे पैग़म्बर पर।
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