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Hind ke Musalman itne Zahil (uneducated) aur Pichhde (Dropdown classes) kyo hai?

India ke Musalmano ka Maujuda Hal byaan karti yah Tahrir.

Hindustan ke Musalmano ki Khamiyaa aur Kamzoriya.


हिंद के मुसलमानो का ज़वाल लेकिन ज़िम्मेदार कौन?
मै मुसलमान हूँ, प्रधान मंत्री नही बन सकता, वज़ीर ए आला नही बन सकता इसलिए के मुझे कोई वोट नही देगा, मुझे कोई स्पोर्ट नही करेगा इसलिए के मेरी तादाद कम है और यहाँ जात परस्ती और धर्म के नाम पर सियासत होता है। यहाँ मुसलमान मुखालिफ् नारे लगाय जाते है और कानून बनाई जाती है जिससे गैर कौम खुश होकर वैसे शख्स को वज़ीर ए आज़म बनाता है जो मुसलमानो के खिलाफ काम करने वाला हो ... लेकिन पुलिस, कलेक्टर, कमिस्नॉर् और टीचर क्यों नही बन सकते है?

Urdu ka Zawal lekin Mujrim kaun?

इससे किस ने रोका, पिछले 150 सालों मे मुसलमानो ने सबसे पिछडा हुआ रहने का रिकॉर्ड बनाया है। सारी दुनिया के मुसलमानो का आज यही हाल है लेकिन हिंद के मुसलमानो तो सबसे बुरा हाल है।

इसलिए के मै बेकार हूँ, मै घंटो पढाई नही कर सकता, अगर पढाई शुरू कर दूँ तो चौराहे की खूबसूरती खतम हो जायेगी, जो मै होने नही दूंगा।

अगर पढाई करूँगा तो उसके लिए मुझे वक़्त निकालना होगा इसलिए खेल तमाशा के लिए वक़्त मिलेगा नही, जो मै होने नही दूंगा।

अगर पढ़ता हूँ तो गुटका और जूवा छोड़ना होगा जो मै होने नही दूंगा।

पढाई करता हूँ तो मुहल्ले की रौनक खत्म हो जायेगी, मै दिन भर इसी मुहल्ले मे घूमता रहता हूँ।

हां मुझे कोई काम नही है, और पैसे कमाने की बात है तो बाहर जाकर कोई काम सिख लूंगा फिर पैसे कमाने लगूँगा.. कोई पढाई करने वाला पढ़ते ही रहेगा जबतक मै पैसे कमाना शुरू कर दूंगा इससे मेरा घरवाला भी पढाई का न सोच कर कमाने बाहर भेज देगा।

हां मै मुसलमान हूँ और मेरी पैदाइश के वक़्त मेरी तकदीर पर मुहर लग गयी थी के मै टायर फिट्टर बनूँगा, पंक्चर की दुकान खोल कर बैठ जाऊंगा या गाड़ियों की मरम्मत करूँगा नही तो गाड़ी चलाना सिख लूंगा जिससे दो वक़्त की रोटी मिल जायेगी।

हाँ मै पैदाइशी मुसलमान हूँ, जाहिल रहना मेरा काम है पैसे किसी तरह कमा लूंगा और भाईयो की टाँगे  खींचना और गैरो का मुसाबिहात् इख़्तियार करना मेरा फ़र्ज़ है।

मैने पढाई क्यो नही की? या पढाई क्यों नही कर सका?

ऐसा सवाल मेरे ख्याल मे आया भी नही और मेरे बच्चे होंगे वह भी ऐसे ही करते जायेगा, इसमे कोई शक नही के मै अनपढ़ हूँ और मेरे बच्चे भी मुझ जैसा अनपढ़ होगा। लेकिन दुसरो का कल्चर और रिवायत कॉपी करना मेरा सबसे अहम काम होगा।

मै हिंदुस्तान का 30 करोड़ मुसलमानो का ही हिस्सा हूँ, ज्यादतर गरीब और कच्ची आबादियों मे रहता हूँ। मै चाहता हूँ के हुकूमत मेरे घर मे फर्श पर झाड़ू देने आये।
मै मुसलमान हूँ मेरा काम दुसरो का नकल करना और दुसरो की बुराई करना है, मै किसी अच्छे कामो मे शामिल नही हो सकता और न वह काम होने दूंगा बल्कि मेरा इलाका पिछडा है और रहेगा। 15 फिट सड़को को 8 फिट करने का माहिर हूँ, 8 फिट सड़क को मजिद कम करना मेरा हक है।

मै मुसलमान हूँ, जिसका दिन सबसे पहले "इकरा" से शुरू होता है, तालीम हासिल करने को कहता है लेकिन इसपर मैने कभी अमल कीया नही अगर किया भी तो गैरो के नरसरी के पालतू बन गए।

मै हमेशा सऊदी अरब और दूसरे मुल्को की बात करके अपनी तारीफ करता हूँ लेकिन अपने इस हाल पर कभी सोचा नही?

खुद का मुहासबा किया नही?

आखिर हुकुमत तो हमारी ही थी फिर खतम कैसे हुई?
हमारे अंदर क्या कमिया थी और आज हैं, इतने जलील वे रुस्वा क्यो हो रहे है?
हां मै मुसलमान हूँ। मै अनपढ़ हूँ, इसलिए के मेरे माँ बाप मुझे बचपन मे गैरेज मे काम करने के लिए भेज दिये और मै गरीब घराने से हूँ।
वालिदैन के पास बेहतर तालीम देने के पैसे नही थे,और मेरे समाज तालीम से ज्यादा दिखावा और शौक पर खर्च करने मे यकीं रखता है। क्योंके यह अमीर ही नही और गरीब दिखना नही चाहते बल्कि नवाबों के जैसा दिखना चाहते है चाहे कर्ज क्यो न लेना पड़े, गरीबो की मदद करने के बजाए उसको जलील करने और मज़ाक बनाने पर फ़ख़्र समझती है।

मै मुसलमान हूँ। अपने भाईयो को नीचा दिखाने मे और खुद को बड़ा साबित करने मे कोई मौका नही छोड़ता, दुसरो को ज़ालिल करना अपना फन समझता हूँ। रीकशा चलता हूँ, दूध बेचता हूँ, वेल्डिंग और प्लंबिंग का काम करता हूँ.. गैरेज मे गाड़ियां बनाता हूँ, चौराहे पर बैठे कर सिग्रेट पिता हूँ, ताश खेलता हूँ और जो कोई नही खेलना जानता उसे फ्री कोचिंग भी देता हूँ। क्योंके यह मेरा फर्ज़ है।

इसलिए के मै  ना ख्वांदा हूँ। सिर्फ दो वज़हो से।
वालिदैन की गफलत और मुआशरे के दनिश्वरो की गफलत।
मेरे वालिदैन बेबस थे लेकिन मेरा मुआशेरा बेबस नही था और नही है।
मैने अपने आँखो से लाखो रुपये शादियों मे फिज़ूल खर्ची करते देखा है।

मुशायरे और कौवालियो पर पैसों की बारिश करते देखा है,
गली मुहल्ले मे अपनी मौजूदगी ज़ाहिर करने के लिए पानी के जैसे पेट्रोल खर्च करते देख है,
दिखावे और यहूद व नसारा के नकश् ए कदम पर चलते हुए खुद को कूल व मॉडर्न साबित करने के लिए पार्टिया और यौम ए पैदाइश मनाते देखा है।

शादियों मे नाच गाने और आर्केस्ट्रा मंगाने वाला गरीब कैसे हो सकता है? इसे यह साबित होता है के हमे किसकी जरूरत है और कैसा बनना है?

अगर सिर्फ मेरे वालिदैन और मेरा समाज तालीम/शिक्षा को लेकर फ़िक्रमंद होती तो आज वज़ीर ए आज़म और वज़ीर  ए आला नही होता लेकिन IPS और IAS जरूर होता। वोट लिए बगैर भी मै सुरखुरु होता, या कम अज कम डॉक्टर, इंजीनियर, वकील और दीनदार शख्स जरूर होता। लेकिन बचपन से ही मेरे ज़ेहन मे यह डाल दिया गया के बड़ा होकर सिर्फ पैसे कमाना है और पढ़े लिखे लोगो के जैसे दिखावा करना है क्योंके हम उनके लायक है नही इसलिए सिर्फ ज़हिरी तौर पर उसके जैसा बनना है।

ये मुसलमां है जिसे देख शर्माए यहूद।

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Mani Aur Maji kya hai? Mani ya Maji khariz ho jane se Ghusal wazib hai ya nahi? Napaki aur Ghusl ke Masail.

Mard ya Aurat Napak Kaise Ho jate hai?

Mani aur Maji me fark kya hai?
Inke khariz hone se Jism aur Kapdo ki taharat ka kya hukm hai?
Kya mani khariz Hone se Sirf Ghusal karna hoga ya kapde bhi tabdil karna jaruri hai?
Kya Maji khariz hone se bhi Ghusal farj hota hai?

#NAPAKI KE masail, #ghusl ki dua, #ghusl ki dua after sex, #ghusl ki dua after periods, #how to perform ghusl, #ghusl ki duwa in english, #ghusl steps, #ghusl ke faraiz, #how to do ghusl after period, #ghusl janabat ki dua, #ghusl after sex for female dua, #ghusl after periods in islam, #ghusl after delivery,
Mani aur Maji kya hai? Mani nikalne se kya Napak Ho jayenge?

“سلسلہ سوال و جواب -37″
سوال_منی، اور مذی میں کیا فرق ہے؟
انکے خارج ہونے سے جسم اور کپڑوں کی طہارت کا کیا حکم ہے؟ کیا منی خارج ہونے سے صرف غسل کرنا پڑے گا یا کپڑے بھی تبدیل کرنا ضروری ہیں؟نیز کیا مذی خارج ہونے سے بھی غسل فرض ہو جاتا ہے..؟

جواب۔۔!!

الحمدللہ۔۔

تمام مسلمانوں سے گزارش ہے کہ اس تحریر کو ضرور پڑھیں، کیونکہ ہمارے ہاں پاکیزگی اور طہارت بہت اہمیت کی حامل ہے، جب تک ہم ٹھیک سے طہارت نہیں حاصل کر لیتے ہماری عبادات بھی درست نہیں ہوتیں، چونکہ یہ ایک اہم مسئلہ ہے ہم اس مسئلہ کو سمجھنے کے لیے  مختلف سوالوں کی شکل دیتے ہیں، جو اکثر اوقات مرد و خواتین شرم کی وجہ سے کسی سے پوچھ نہیں پاتے.

#سوال_1
منی اور مذی کسے کہتے ہیں۔۔؟

جواب_

منی
وہ گھاڑھا مادہ جو میاں بیوی کے جماع کے دوران یا احتلام کے وقت مرد و خواتین کی شرمگاہ سے نکلتا ہے، اسے منی کہتے ہیں،

مذی
وہ پتلا لیس دار مادہ جو میاں بیوی کے بوس و کنار کے وقت یا رومانوی قصے کہانیاں اور جنسی ویڈیوز وغیرہ دیکھنے سے مرد و خواتین کی شرمگاہ  سے نکلتا ہے،
اسے مذی کہتے ہیں،
_______&&&&&________

#سوال_2
ہمیں کس طرح پتا چلے گا کہ خارج ہونے والی چیز منی ہے۔۔۔۔؟ اور مرد و خواتین کی منی کی علامات کیا ہیں۔۔؟؟

جواب_
مرد كا مادہ منويہ گاڑھا اور سفيد ہوتا ہے، ليكن عورت كى منى پتلى اور زرد رنگ كى ہوتى ہے.

اس كى دليل درج ذیل احادیث ہیں،

ام سليم رضى اللہ تعالى عنہا بيان كرتى ہيں كہ ميں نے رسول كريم صلى اللہ عليہ وسلم سے پوچھا کہ اگر عورت خواب میں وہی دیکھے جو مرد دیکھتا ہے تو کیا اس پر بھی غسل فرض ہو جائے گا؟
تو رسول كريم صلى اللہ عليہ وسلم نے فرمايا:
” جب عورت ايسا خواب ميں ديكھے تو وہ غسل كرے ”
ام سليم رضى اللہ تعالى عنہا كہتى ہيں: ـ مجھے اس سے شرم آ گئى ـ اور ميں نے عرض كيا،
كيا ايسا ہوتا ہے ؟
تو رسول كريم صلى اللہ عليہ وسلم نے فرمايا:
تو پھر مشابہت كس طرح ہوتى ہے ؟ بلا شبہ مرد كا مادہ گاڑھا اور سفيد، اور عورت كا مادہ پتلا اور زرد ہوتا ہے، دونوں ميں سے جو بھى اوپر ہو جائے، يا سبقت لے جائے اس كى مشابہت ہو جاتى ہے ”
(ﺻﺤﻴﺢ ﻣﺴﻠﻢ- ﻛﺘﺎﺏ اﻟﺤﻴﺾ – ﺑﺎﺏ ﻭﺟﻮﺏ اﻟﻐﺴﻞ ﻋﻠﻰ اﻟﻤﺮﺃﺓ ﺑﺨﺮﻭﺝ اﻟﻤﻨﻲ ﻣﻨﻬﺎ، حدیث _311)
(سلسلہ احادیث الصحیحہ، حدیث _453)

صحيح مسلم كى شرح ميں امام نووى رحمہ اللہ تعالى كہتے ہيں:
قولہ رسول اللہ صلى اللہ عليہ وسلم:
” مرد كا مادہ منويہ گاڑھا سفيد ہوتا ہے، اور عورت كا پانى پتلا زرد ہوتا ہے ”
يہ منى كى صفت كے بيان ميں عظيم دليل ہے، تندرستى اور عام حالات ميں منى كى حالت اور صفت يہى ہے.

علماء كرام كا كہنا ہے: تندرستى اور صحت كى حالت ميں مرد كى منى گاڑھى سفيد ہوتى ہے اور اچھل اچھل كر خارج ہوتى ہے، اور اس كے خارج ہوتے وقت لذت آتى ہے، اور جب منى خارج ہو چكے تو خارج ہونے كے بعد فتور اور ٹھراؤ پيدا ہوتا اور اس كى بو تقريبا كھجور كے شگوفہ اور گوندھے ہوئے آٹے كى بو كى طرح ہوتى ہے…

( بعض اوقات كسى سبب كے باعث منى كى رنگت تبديل ہو جاتى ہے مثلا ) بيمار ہو تو اس كى پانى پتلى زرد ہو گى، يا پھر منى والى جگہ ميں استرخاء( يعنى ڈھيلا پن ) پيدا ہو جائے تو بغير لذت اور شہوت ہى خارج ہونا شروع ہو جاتى ہے، يا پھر جماع كثرت سے كيا جائے تو منى سرخ ہو كر گوشت كے پانى كى طرح ہو جاتى ہے، اور بعض اوقات تو تازہ خون ہى خارج ہوتا ہے…

*پھر منى  كے تين خواص ہيں جس سے منى با اعتماد شمار ہوتی ہيں یعنی یہ یقین کیا جاتا یے کہ یہ واقع ہی منی خارج ہوئی، ان علامتوں سے آپ منی کہ پہچان کر سکتے ہیں*

#پہلا خاصہ:
شہوت سے خارج ہونا، اور بعد ميں فتور یعنی ڈھیلا پن،سستی پيدا ہو جانا

#دوسرا خاصہ:
اس كى بو كھجور كے شگوفہ كى طرح ہوتى ہے جيسا كہ بيان كيا جا چكا ہے.

#تيسرا خاصہ:
اچھل كر خارج ہونا.

ان تين علامتوں ميں سے كسى ايک علامت كا پايا جانا منى ہونے كے ليے كافى ہے،
تينوں كا بيک وقت پايا جانا شرط نہيں،
اور اگر ان تينوں ميں سے كوئى بھى نہ ہو تو پھر وہ منى نہيں ہو گى، اور ظن غالب كا ہونا بھى منى كے ثبوت كے ليے كافى نہيں،
يہ سب باتیں  تو مرد كى منى كے متعلقہ تھیں،

رہا عورت كى منى كا مسئلہ تو وہ پتلى زرد ہوتى ہے.

اور بعض اوقات اس كى قوت و طاقت بڑھ جانے كى بنا پر سفيد بھى ہو جاتى ہے، اس كے دو خاصے ہيں، اگر ان ميں سے كوئى ايك بھى ہو تو وہ منى شمار ہو گى:

#پہلا:
اس كى بو مرد كى منى جيسى ہو گی (یعنی کجھور کے شگوفے یا گندھے آٹے کی بو جیسی ہو گی،)
#دوسرا:
خارج ہوتے وقت لذت آئے، اور بعد ميں فتور (ڈھیلا پن) پيدا ہو.

ديكھيں:
(شرح مسلم للنووى ( 3 ج/ 222 ص)

*یہ تو تھیں مرد و عورت کی منی کی علامات، کہ ان علامتوں سے ہم یہ پہچان سکتے ہیں کہ نکلنے والا مادہ  منی ہی تھا یا کچھ اور ؟

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#سوال_3
*اگر منی خارج ہو جائے تو پھر جسم اور کپڑوں کی طہارت کا کیا حکم ہو گا..؟

جواب_
اگر منی خارج ہو جائے، وہ خواب میں احتلام کی صورت میں خارج ہو یا بیوی سے ہمبستری کے ذریعے یا مشت زنی وغیرہ کے ذریعے کوئی خارج کرے تو اس پر غسل واجب ہو جائے گا،

اسی طرح اگر احتلام کے بعد کپڑوں پر منی کی نشان نظر آئیں تو غسل فرض ہو گا ، اگرچہ اسے احتلام یاد نا بھی ہو،

لیکن اگر خواب میں احتلام دیکھا مگر کپڑوں پر منی کے نشانات نظر نہیں آئے تو پھر غسل واجب نہیں ہو گا،

جیسا کہ رسول اللہ صلی الله علیہ وسلم سے اس شخص کے بارے میں پوچھا گیا جو (کپڑوں پر)  تری دیکھے لیکن اسے احتلام یاد نہ آئے،
آپ نے فرمایا: ”وہ غسل کرے“
اور اس شخص کے بارے میں ( پوچھا گیا ) جسے یہ یاد ہو کہ اسے احتلام ہوا ہے لیکن وہ تری نہ پائے تو آپ نے فرمایا: ”اس پر غسل نہیں“
ام سلمہ نے عرض کیا: اللہ کے رسول!
کیا عورت پر بھی جو ایسا دیکھے غسل ہے؟
آپ نے فرمایا: عورتیں بھی ( شرعی احکام میں ) مردوں ہی کی طرح ہیں۔
(سنن ترمذی، حدیث _113) صحیح
(سنن ابو داؤد،حدیث _236)حسن

*اور کپڑوں پر جس جگہ منی لگی ہو اگر وہ خشک ہے تو اسکو کھرچ لینا کافی ہے، اگر گیلی ہے تو کپڑے کو اس جگہ سے دھو لینا کافی ہے،سارے کپڑے تبدیل کرنا ضروری نہیں*

جیساکہ،
حضرت عائشہ رضی اللہ عنہا سے اس منی کے بارے میں پوچھا گیا جو کپڑے کو لگ جائے۔
تو عائشہ رضی اللہ عنہا نے فرمایا کہ میں منی کو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے کپڑے سے دھو ڈالتی تھی پھر آپ نماز کے لیے باہر تشریف لے جاتے اور دھونے کا نشان ( یعنی کپڑے کو دھونے سے ) پانی کے دھبے آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے کپڑے میں باقی ہوتے۔
(صحیح بخاری،حدیث _230)

اور ایک روایت میں یہ بات ملتی ہے کہ،
ام المؤمنین  عائشہ رضی الله عنہا کے ہاں ایک مہمان آیا تو انہوں نے اسے ( اوڑھنے کے لیے ) اسے ایک زرد چادر دینے کا حکم دیا۔
وہ اس میں سویا تو اسے احتلام ہو گیا،
ایسے ہی بھیجنے میں کہ اس میں احتلام کا اثر ہے اسے شرم محسوس ہوئی، چنانچہ اس نے اسے پانی سے دھو کر بھیجا،
تو عائشہ رضی الله عنہا نے کہا:
اس نے ہمارا کپڑا کیوں خراب کر دیا؟
اسے اپنی انگلیوں سے کھرچ دیتا، بس اتنا کافی تھا، بسا اوقات میں اپنی انگلیوں سے رسول اللہ صلی الله علیہ وسلم کے کپڑے سے اسے کھرچ دیتی تھی۔ امام ترمذی کہتے ہیں:
۱- یہ حدیث حسن صحیح ہے،
۲- صحابہ کرام، تابعین اور ان کے بعد کے فقہاء میں سے سفیان ثوری، شافعی، احمد اور اسحاق بن راہویہ کا یہی قول ہے کہ کپڑے پر منی لگ جائے تو اسے کھرچ دینا کافی ہے، اگرچہ دھویا نہ جائے،
(سنن ترمذی،حدیث _116)
(سنن ابن ماجہ، حدیث _538)
(صحیح مسلم،کتاب الطہارہ، حدیث _288)

ایک روایت میں یہ الفاظ بھی ہیں کہ ،

عائشہ رضى اللہ تعالى عنہا بيان كرتى ہيں كہ رسول كريم صلى اللہ عليہ وسلم اپنے كپڑوں سے اذخر كے تنكوں كے ساتھ (گیلی) منى كو پونچھ ديا كرتے تھے، اور پھر اسى لباس ميں نماز ادا كرتے، اور اپنے كپڑوں سے خشك منى كو كھرچ كے نماز ادا كرتے تھے ”
(مسند احمد، ج6/ص243)
(صحيح ابن خزيمہ،حدیث _288)
(علامہ البانى رحمہ اللہ تعالى نے
ارواء الغليل ( 1 / 197 ) ميں اسے حسن قرار ديا ہے)

*ان احادیث سے یہ بات ثابت ہوتی ہے کہ منی لگے کپڑے کو تبدیل کرنا یا دھونا واجب نہیں، اگر خشک اور موٹی تہہ ہو تو خرچ کر صاف کر دے پھر اسی میں نماز پڑھ سکتا اور اگر گیلی ہو تو کسی چیز سے صاف کر دے یا کھرچنے کے قابل نا ہو تو پھر وہاں سے اتنا حصہ دھو لے جہاں منی لگی ہو ، اور اسی کپڑے میں نماز پڑھ سکتا ہے،اکثر مرد و خواتین صحبت یا احتلام کے بعد کپڑے تبدیل کرنا فرض سمجھتے ہیں ،جب کہ کپڑے تبدیل کرنے کی ضرورت نہیں،*

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#سوال_4
*مذی کی پہچان کیا ہے؟*

جواب:
مذى سفيد رنگ كا ليس دار مادہ ہوتا ہے، جو میاں بیوی کے گلے لگنے ،یا بوس و کنار کرنے سے یا  جماع كى سوچ يا اردہ كے وقت خارج ہوتا ہے،
یا بعض اوقات رومانوی قصے کہانیاں پڑھنے اور فحش ویڈیوز وغیرہ دیکھنے سے خارج ہوتا ہے،
یہ اچھل کر خارج نہیں ہوتا ہے،اور نہ ہى نكلنے كے بعد فتور پيدا ہوتا ہے، يعنى جسم ڈھيلا نہيں پڑتا.
اور مرد و عورت دونوں سے ہى مذى خارج ہوتى ہے، ليكن مردوں كى بنسبت عورتوں ميں زيادہ یہ مسئلہ ہوتا ہے.۔.!
(ديكھيں: شرح مسلم للنووى ( 3 / 213 )

__________&&&__________

#سوال_5
*اگر مذی خارج ہو جائے تو جسم اور کپڑوں کی طہارت کا کیا حکم ہے؟*

جواب_
مذى خارج ہونے سے شرمگاہ کو دھو کر صرف وضو ہى كرنا ہو گا، اس سے غسل فرض نہیں ہوتا،
اس كى دليل على رضى اللہ تعالى عنہ كى درج ذيل حديث ہے،

علی رضی اللہ عنہ فرماتے ہیں کہ ،
مجھے مذی بکثرت آتی تھی، چونکہ میرے گھر میں نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کی صاحبزادی ( فاطمۃالزہراء رضی اللہ عنہا ) تھیں۔ اس لیے میں نے(شرم کی وجہ سے) ایک شخص ( مقداد بن اسود اپنے شاگرد ) سے کہا کہ وہ آپ ﷺ  سے اس مذی کے متعلق مسئلہ معلوم کریں انہوں نے پوچھا تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ مذی نکلنے پر شرمگاہ کو دھو لو اور وضو کرو،
(صحیح بخاری، حدیث _269)

*یعنی مذی خارج ہونے سے غسل کرنا واجب نہیں ، بلکہ صرف وضو ٹوٹ جاتا ہے،*

ابن قدامہ رحمہ اللہ نے ” المغنى ” ميں علماء كرام كا اجماع نقل كيا ہے كہ مذى خارج ہونے سے وضوء ٹوٹ جاتا ہے.
(ديكھيں:
(المغنى ابن قدامہ المقدسى ( 1 / 168 )

*يہاں ايک چيز پر متنبہ رہنا ضرورى ہے كہ مذى نجس اور پليد ہے اس ليے بدن كو جہاں لگے اسے دھونا ہو گا،جیسا کہ اوپر والی حدیث میں یہ بات ذکر ہوئی، ليكن لباس كو جہاں لگے تو اسے پاک كرنے كے ليے شريعت مطہرہ نے مشقت دور كرتے ہوئے تخفيف كى ہے كہ صرف اتنا ہى كافى ہے كہ آپ ايک چلو پانى لے كر مذى لگنے والى جگہ پر چھڑک ديں تو وہ كپڑا پاک ہو جائيگا، كيونكہ رسول كريم صلى اللہ عليہ وسلم نے مذى لگے ہوئے كپڑے كو پاک كرنے كى كيفيت بيان فرمائی ہے،*

سھل بن حنيف رضى اللہ تعالى عنہ بيان كرتے ہيں:
مجھے بہت زيادہ مذى آتى اور ميں كثرت سے غسل كيا كرتا تھا، چنانچہ ميں نے اس كے متعلق رسول كريم صلى اللہ عليہ وسلم سے دريافت كيا تو رسول كريم صلى اللہ عليہ وسلم نے فرمايا:
” آپ كو اس سے وضوء كرنا كافى ہے ”
ميں نے عرض كيا:
اے اللہ تعالى كے رسول صلى اللہ عليہ وسلم ميرے لباس ميں جہاں لگى ہوئى ہو اسے كيا كروں؟
تو رسول كريم صلى اللہ عليہ وسلم نے فرمايا:
” آپ كے ليے اتنا ہى كافى ہے كہ چلو بھر پانى لے كر جہاں لگى ہو اس پر چھڑك دو ”
(سنن ترمذی،حدیث _115)
(سنن ابو داؤد،حدیث _210)
(سنن ابن ماجہ،حدیث _506)

تحفۃ الاحوذى ميں ہے:
اس حدیث سے يہ ستدلال كيا جاتا ہے كہ اگر كپڑے كو مذى لگ جائے تو اس پر پانى چھڑكنا كافى ہے، اور دھونا واجب نہيں.
ديكھيں: تحفۃ الاحوذى ( ص1 / 373ج )

*اگر کوئی کپڑا بھی دھونا چاہے تو دھو لے اسکی مرضی ہے*

*اللہ پاک ہم سب کو صحیح معنوں میں قرآن و حدیث کو سمجھنے اور عمل کرنے کی توفیق عطا فرمائیں آمین ثم آمین*

((( واللہ تعالیٰ اعلم باالصواب )))

کیا مرد و خواتین کیلئے جنابت کی حالت میں غسل کے بنا سونا،کھانا پینا یا روزہ رکھنا جائز ہے؟ نیز کیا غسل جنابت سے پہلے عورت کھانا وغیرہ بنا سکتی اور بچے کو دودھ پلا سکتی؟
((دیکھیں سلسلہ -55))

کیا بے وضو، حائضہ اور جنبی کیلئے قرآن مجید کو چھونا اور پڑھنا جائز ہے؟
((دیکھیں سلسلہ -94))

اپنے موبائل پر خالص قرآن و حدیث کی روشنی میں مسائل حاصل کرنے کے لیے “ADD” لکھ کر نیچے دیئے گئے پر سینڈ کر دیں،

آپ اپنے سوالات نیچے دیئے گئے پر واٹس ایپ کر سکتے ہیں جنکا جواب آپ کو صرف قرآن و حدیث کی روشنی میں دیا جائیگا,
ان شاءاللہ۔۔!!

⁦  سلسلہ کے باقی سوال جواب پڑھنے۔ 
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22 January aur 6 December: Musalmano ko 22 December ko kya karna Chahiye?

Musalman 22 January ko kya kare?

6 December 1992 ko Babri Masjid jab Shaheed kar diya gaya tab Secular Hukumat thi, Jab Babri maszid me Boot rakha gaya tab Nehru ka daur tha.


22جنوری کو مسلمان کیا کریں ؟

❶ مسلمان اس دن اپنے گھروں میں اپنے بچوں کو بابری مسجد کی تاریخ یاد کرائیں.

اپنے بچوں کو بتائیں کہ اس جگہ بابری مسجد تھی جسے ہندتوا غنڈوں نے منہدم کرکے مندر بنایا ہے،

❷ توحید پر مبنی قرآنی آیتوں اور کلمہءشہادت کو دن بھر پڑھتے رہیں،

❸ رام مندر سے متعلق کسی بھی پروگرام کسی بھی نعرہ بازی میں شریک نہ ہوں، اپنے بچوں کے اسکولوں پر نظر رکھیں کہ کہیں انہیں اسکولوں میں رام مندر کےنام پر ہندوانہ عقائد اور ہندو رسومات کی عادت تو نہیں ڈلوائی جارہی؟
اگر ایسا ہو تو بچوں کو گھروں پر سمجھائیں کہ اسلام کا نظریہ ایمان اور توحید ہے جو کسی بھی طرح سے دوسرے مذاہب کی عبادت، نعروں اور رسومات میں شرکت سے منع کرتا ہے اگر ہم رام۔مندر سے متعلقہ کسی بھی پروگرام میں شرکت کریں گے یا ۲۲ جنوری کو دیپ جلائیں گے تو اللہ ہم سے ناراض ہوگا اور ہم اسلام سے بھی خارج ہو سکتے ہیں، مسلمان اپنی جان تو دےسکتا ہے لیکن ایمانی عقائد سے دستبردار ہو ہی نہیں سکتا ہے۔
شری رام ہوں یا کوئی بھی شخصیت جن کی عبادت ہمارے ملک کے ہندو کرتے ہیں ہم ان کی بےتوقیری نہیں کرتے ہم ان کے مذہب کا بھی احترام کرتے ہیں یعنی ان کی توہین نہیں کرتے لیکن ہم ان کی مذہبی رسومات میں جیسے رام مندر کےنام پر ہونے والی تقریبات میں کسی بھی طرح سے شرکت نہیں کر سکتے ہیں، کوئی بھی مسلمان ایسا نہیں کرسکتا ہے_

❹: رام مندر چونکہ ہماری بابری مسجد توڑ کر بابری مسجد کی جگہ پر بنائی گئی ہے جس میں سینکڑوں مسلمانوں کا خون بھی بہایا گیا رام مندر کےنام پر رتھ یاترا کے نام پر جو فسادات مسلمانوں کےخلاف کیے گئے اس میں ہمارے معصوموں کا خون بہا ہے، اس لیے بھی اس تقریب میں مسلمانوں کی شرکت مزید ناجائز اور ملّت سے غدّاری کہلائے گی_

❺: مسلمان اپنے اپنے مقام پر اپنی مقامی مسجدوں کو آباد کرنے کا عہد کریں، مسلمان ویسے بھی مسجد جاتے ہیں اب مزید عہد کریں اور پہلے سے زیادہ مسجدوں میں جائیں،

❻: مسلمان آپسی اتحاد کو ہرسطح پر بڑھائیں، اور سب مل کر اس ملک میں ہندوتوا طاقتوں کے ظلم و ستم کو بند کروانے کے لیے متحدہ محاذ بنائیں، اس ملک میں قانون و انصاف کی بالادستی کو قائم کرنے کے لیے اور ہندوتوا کے ظالمانہ پنجوں سے مسلمانوں کو بچنا ہے تو چند کام ضروری ہیں.

ایک۔  ایمان سے سمجھوتہ کبھی نہیں کرنا ہے، ایمانی نظریات سے کوئی کمپرومائز ہرگز نہیں۔
۲۔ مسلکی زنجیروں سے اوپر اٹھ کر اتحاد کریں ہر کلمہ پڑھنے والے سے اتحاد کریں، آپس میں مسلک کی وجہ سے لڑنا جھگڑنا چھوڑ دیجیے،
۳۔ ظلم پر خاموش نہ رہیں، مسلمان تاجروں، انجینئروں اور سیاستدانوں کی حمایت کریں انہیں مضبوط بنائیں۔۔
4. اپنی قوت کو یکجا کریں،
۲۲ جنوری کو یہ عہد سماجی میدانوں میں اتارنے کا سب سے اچھا دن ہے_

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Rooh Kabz hone ka Bayan Quran O Hadees me, Rooh kaise Kabz karte hai Farishte?

Quran o Hadees me Marne wale ki Rooh kabz hone ka bayan.

Jis Shakhs ki maut hoti hai uske Rooh kabz hone ka Zikr Quran o Hadees me.


قرآن و حدیث میں مرنے والے کی روح کے قبض ہونے کا بیان:
…ﷲ تعالیٰ انسانوں کی موت کے وقت روح قبض کرنے کیلئے فرشتے بھیجتا ہے، وہ اس کی روح قبض کرکے اﷲ تعالیٰ کی طرف لے جاتے ہیں۔
( الانعام : ۶۱۔۶۲)

…فرشتے انسان کے جسم میں تیرتے ہوئے، ڈوب کر آگے بڑھ کر اس کی روح کھینچ لیتے ہیں۔
( نازعات: ۱ تا ۴)

ظالم لوگوں کی روح نکالتے ہوئے فرشتے ہاتھ بڑھا بڑھا کر کہہ رہے ہوتے ہیں نکالو اپنی روحوں کو۔ مرنے والے کی روح یہ جسم و دنیا سب کچھ چھوڑ کر اﷲ تعالیٰ کے پاس چلی جاتی ہے۔
( الانعام: ۹۳۔۹۴)

جان کنی کے وقت جان گلے تک پہنچ جاتی ہے، پنڈلی سے پنڈلی مل جاتی ہے جان لیاجاتا ہے کہ اب جدائی کا وقت ہے اپنے رب کے پاس جانے کا وقت ہے۔
(القیامۃ:۲۶۔۳۰)

جب روح گلے میں آپہنچتی ہے انسان اس حالت کو دیکھ رہے ہوتے ہیں لیکن بے بس ہوتے ہیں۔
( الواقعہ: ۸۳ تا ۸۷)

نبی صلی اﷲ علیہ و سلم نے فرمایا:
…جب روح نکلتی ہے تو بصارت اس کے پیچھے نکل جاتی ہے۔ 
( مسلم۔ کتاب
الجنائز)

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Aurat Ke liye Bazaro me Dance karna hai aur Kya Biwi apne Shauhar Ke Samne Raks kar sakti hai?

Kya Koi Aurat Apne Shauhar ke Samne Raksh (Dance) kar sakti hai?

Kya Koi Aurat Kahi par Dance kar sakti hai?


اَلسَلامُ عَلَيْكُم وَرَحْمَةُ اَللهِ وَبَرَكاتُهُ‎

عورت کا اپنے خاوند کےسامنے رقص کرنا :

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: مســــــــــز انصــــــــــاری

اپنے شوہر کے سامنے، چاہے شوہر مطالبہ کرے یا نا کرے عورت کا رقص کرنے میں کوئی گناہ یا عیب کی بات نہیں ہے ، بلکہ یہ خوش طبعئی کا ایسا انداز ہے جس سے خاوند كا دل خوش ہوگا، اس کے دل میں بیوی کی محبت بڑھے گی اور اپنی بیوی سے فائدہ اٹھانے کی رغبت بڑھے گی اور بیوی کے دل میں بھی اپنے خاوند کے لیے محبت میں اضافہ ہوگا ۔

شيخ محمد بن صالح العثيمين رحمہ اللہ كہتے ہيں:

عورت كا اپنے خاوند كے سامنے ناچنا اور رقص كرنا جبكہ ان دونوں كے پاس كوئى اور نہ ہو تو اس ميں كوئى حرج نہيں؛ كيونكہ ہو سكتا ہے ايسا كرنا خاوند كے ليے اپنى بيوى ميں اور زيادہ رغبت كا باعث ہو، اور ہر وہ كام جو خاوند كے ليے اپنى بيوى ميں رغبت كا باعث بنے وہ اس وقت تك مطلوب ہے جب تك وہ بعينہ حرام نہ ہو.
اسى بنا پر خاوند كے ليے عورت كا بناؤ سنگھار اور بن سنور كر سامنے آنا مسنون ہے، اسى طرح خاوند كے ليے بھى مسنون ہے جس طرح بيوى اس كے ليے بناؤ سنگھار كرتى ہے وہ بھى بيوى كے ليے كرے " انتہى
[ ديكھيے : اللقاء الشھرى ١٢ |سوال : ۹ ]

علامہ ناصر الدين البانى رحمہ اللہ سے درج ذيل سوال كيا گيا:

كيا بيوى كا خاوند كے سامنے تھيٹروں ميں ناچنے اور گانے واليوں جيسا لباس پہننے ميں ان كے عمل سے محبت اور جو وہ كرتى ہيں اس كا اقرار نہيں ہے ؟

شيخ رحمہ اللہ كا جواب تھا:
اگر تو يہ چيز صرف خاوند اور بيوى ميں ہو اور انہيں كوئى دوسرا نہيں ديكھ رہا تو جائز ہے.
شيخ رحمہ اللہ نے بيان كيا كہ يہ لباس مذموم تشبہ ميں شامل نہيں ہوگا، اور وہ ناچنے گانے والياں تو اعلانيہ طور پر دوسرے غير محرم لوگوں كے سامنے ناچتى ہيں، ليكن يہ عورت تو صرف اپنے خاوند كے سامنے ہے، ان دونوں ميں بہت فرق ہے.
[ دیکھیے : سلسلۃ " الھدى والنور " | كيسٹ نمبر( ٨١۴) ]

البتہ کچھ باتوں کا خیال رکھنا ضروری ہے

✦- اس رقص ميں موسيقى اور آلات موسيقى استعمال نہ كيے جائيں، موسیقی کے آلات اور سازوں کے ساتھ گانا حرام ہے ، یہ شیطان کے باجے ہوتے ہیں ، چاہے گانے والا مرد ہو یا عورت، اور مجلس میں گائے یا تنہائی میں، بیوی شوہر کے سامنے گائے یا شوہر بیوی کے سامنے ، آلاتِ موسیقی سے اجتناب ضروری ہے۔ آیات قرانیہ اور احادیث نبویﷺ میں گانے بجانے اور آلات موسیقی کے استعمال کی مذمت کی گئی ہے ، ان کا استعمال اسباب ضلالت اور اللہ کی آیات کا مذاق اڑانے کے مترادف ہے،ارشاد باری تعالی ہے،
﴿وَمِنَ النّاسِ مَن يَشتَر‌ى لَهوَ الحَديثِ لِيُضِلَّ عَن سَبيلِ اللَّهِ بِغَيرِ‌ عِلمٍ وَيَتَّخِذَها هُزُوًا ۚ أُولـٰئِكَ لَهُم عَذابٌ مُهينٌ ﴿٦﴾... سورة لقمان
’’اور لوگوں میں بعض ایسا  ہے جو بے حودہ حکایتیں خریدتا ہے تاکہ [لوگوں] کو بغیر علم کے اللہ کے راستے سے گمراہ کرے اور اس سے استہزاء کرے یہی وہ لوگ ہیں جنکو ذلیل کرنے والا عذاب ہوگا۔‘

ليكوننَّ من أمتي أقوامٌ يستحِلُّونَ الحِرَ والحريرَ والخمرَ والمعازفَ ولَينزلنَّ أقوامٌ إلى جنبِ عَلَمٍ يروحُ عليهم بسارحةٍ لهم تأتيهم الحاجةُ فيقولون ارجعْ إلينا غدًا فيُبَيِّتُهم اللهُ ويضعُ العِلمَ ويَمسخُ آخرين قِردةً وخنازيرَ إلى يومِ القيامةِ

الراوي : أبو مالك الأشعري | المحدث : ابن القيم | المصدر : تهذيب السنن | الصفحة أو الرقم : 10/153 | خلاصة حكم المحدث : صحيح | التخريج : أخرجه البخاري موصولا وصورته معلقاً بصيغة الجزم (5590) باختلاف يسير

   صحیح حدیث میں ہے :

لَيَكونَنَّ مِن أُمَّتي أقْوامٌ يَسْتَحِلُّونَ الحِرَ والحَرِيرَ، والخَمْرَ والمَعازِفَ، ولَيَنْزِلَنَّ أقْوامٌ إلى جَنْبِ عَلَمٍ، يَرُوحُ عليهم بسارِحَةٍ لهمْ، يَأْتِيهِمْ -يَعْنِي الفقِيرَ- لِحاجَةٍ، فيَقولونَ: ارْجِعْ إلَيْنا غَدًا، فيُبَيِّتُهُمُ اللَّهُ، ويَضَعُ العَلَمَ، ويَمْسَخُ آخَرِينَ قِرَدَةً وخَنازِيرَ إلى يَومِ القِيامَةِ.
یعنی رسول اللہ ﷺ نے فرمایا: عن قریب میری امت میں ایسے لوگ پیدا ہوں گے جو زنا، ریشم ،شراب اور باجوں کو حلا ل سمجھیں گے۔ اور ایک روایت میں یہ الفاظ مروی ہیں عن قریب میری امت کے کچھ لوگ شراب پییں گے اور اس کا نام بد ل دیں گے ۔ ان کے سروں پر ناچ گا نے ہوں گے ۔اللہ تعالیٰ ایسے لوگوں کو زمین میں دھنسا دے گا اور ان میں سے بعض کو خنزیر  اور بندر بنا دے گا ۔

الراوي : أبو مالك الأشعري | المحدث : البخاري | المصدر : صحيح البخاري | الصفحة أو الرقم: 5590 | خلاصة حكم المحدث : [صحيح] | التخريج : أخرجه البخاري موصولا وصورته معلقاً بصيغة الجزم (5590) ]

نوٹ : یاد رہے یہاں مراد لھوالحدیث نہیں ہے ، واضح رہے کہ لہو الحدیث سے مراد گانا بجانا ہوتا ہے ، ناہی مراد وہ عشقیہ کفریہ اور شرکیہ گانے ہیں جو منکر ہیں اور معصیت کی رغبت دلاتے ہیں ، بلاشبہ جدید ترین ایجادات ریڈیو ٹی وی وغیرہ یا ویڈیو فلموں وغیرہ سے بے راہ روی کا درس لینا اپنی عاقبت کو خراب کرنا ہے ، کیونکہ فلمی گانے یا دوسرے بیہودہ گانے درست نہیں ہوتے ، البتہ اگر اظہار محبت پر مشتمل کوئی اشعار غزل ہو تو وہ میاں بیوی ایک دوسرے کے سامنے گا سکتے ہیں، اسی کو گانا کہاگیا ہے ۔
لہٰذا بلاکفریہ اور شرکیہ کلمات کے گیت اور غزل اختیارکرتے ہوئے اپنے شوہر کے لیے گنگنانے یااشعار کہنے  میں فی نفسہ  کوئی قباحت نہیں،بشرطیکہ ان اشعار میں شریعت کے خلاف کوئی  مضمون نہ ہو ۔
جیسے شادی وغیرہ میں عام گانا جس میں کسی حرام چیز کی دعوت نہ ہو نہ اس میں کسی حرام چیز کی مدح ہو، تو ایسے گانے گانا اور دف بجانا مشروع ہے ۔

✦- بشمول گانے کے رقص میں خیال رکھا جائے کہ بعض اشعار کفریہ اور شرکیہ ہوتے ہیں جو بےحیائی اور گناہ و معصیت کی دعوت دیتے ہیں، ایسے کفریہ و شرکیہ اشعار اسی طرح گناہ ہیں جس طرح آلاتِ موسیقی حرام ہے ۔

✦- اپنی اولاد کے سامنے یہ خوش طبعئی نا کی جائے، والدین بچوں کے لیے نقشِ پا ہوتے ہیں، زندگی کے پیچ و خم پر روانی سے چلنے کے لیے والدین اولاد کے لیے رول ماڈلز ہوتے ہیں، مبادا ان کے کچے ذہنوں پر منفى اثر پڑے اور ناصرف وہ اپنے والدین كى تعظيم اور قدر کھو دیں بلکہ رقص و موسیقی کے غلط استعمال کی طرف بھی راغب ہوسکتے ہیں، والدین کے کچھ مباح امور ہرگز یہ معنی نہیں رکھتے کہ انہیں اولاد كے سامنے کیا جائے ۔

فقط واللہ تعالیٰ اعلم بالصواب

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Shamshi Calender (Angrezi Saal) Kab se Shuru hua aur Iske mahino ke Naam kaise Pada? New Year Ki shuruwat kab se hui?

Shamshi Calender ki tarikh.

Angrezi Mahino ke Naam kab aur kaise Pada?
1January Ya New Year Kab se Shuru hua?

Kisi Musalman ke liye Angrezi ya Arabi saal ki pahli tarikh par Jashn manana kaisa hai? 

1 January ko Naya Saal ka jashn manana aur Mubarakbad dena Musalman ke liye Jayez nahi. 

Sari Duniya angrezi saal ke aamad me jashn mana rahi hai Aatishbazi kar ke jabki Gaza me Salebi o Sahyuni Bombari karke Jashn mana raha hai?. 

اَلسَلامُ عَلَيْكُم وَرَحْمَةُ اَللهِ وَبَرَكاتُهُ‎

شمسی تقویم، تاریخ کے تناظر میں ::
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️: مســــزانصــــاری

ہر عیسوی سال کے آغاز میں مسلمانوں کا ایک خاص طبقہ فکر جب ہجری تقویم کی افادیت اور اہمیت اجاگر کرتا ہے تو چند بے وقوف عیسوی سال کی حمایت میں مختلف دلائل دیتے نظر آتے ہیں ، یہ کہ شمس و قمر اللہ ہی کے ہیں تو شمسی تقویم میں برائی کیا ہے، کیا گریگورین کیلنڈر کے آزادانہ استعمال کے حق میں دلائل دینے والے یہ بے عقل لوگ جانتے ہیں کہ یہ عیسوی تقسیم گریگورین کیلنڈر کے نام سے پوپ گریگوری ہشتم نے متعارف کرایا تھا اور کیتھولک ممالک میں یکم جنوری کو نئے سال کے طور پر از سر نو بحال کیا گیا۔
گریگورین کیلنڈر کے زیادہ تر مہینوں کے نام رومی دیوتاؤں کے ناموں اور اعزازوں میں مقرر کیے گئے۔

❶- جنوری :
جنوری کا ماخذ آگے پیچھے دو چہرے والے ایک رومن دیوتا کا نام ”جانوس“(Janus)ہے۔
(دنیائے معلومات / صفحہ : ١۶۰)

❷- فروری :
قدیم رومن باشندے 15فروری کو گناہوں سے بخشش کا دن مناتے تھے۔ اسی دن یا تہوار کا نام فیبروور(Februare) تھا۔ اسی تہوار کی نسبت سے اس کا نام فیبروری(February)پڑ گیا ۔

❸- مارچ :
مارچ کا نام قدیم رومی دیوتا مارس(Mars)کے نام کی نسبت سے رکھا گیا ہے۔

❹- اپریل :
قدیم رومی زبان میں اپریل اپریلیس کہلاتا ہے جس کا منبع ایپرائر(Aperire) ہے جس کے معنی کھلنا(open) کے ہیں۔ چونکہ اپریل میں بہار آتی ہے اسی لیے اس مہینے کا نام اپریل رکھا گیا۔

❺- مئی :
مئی کا نام قدیم روم کی دیوی میا(Maia) کے نام کی نسبت سے رکھا گیا ہے۔ جو دیوتا جیوپیٹر(Jupiter) کی بیوی تھی ۔

❻- جون :
جون قدیم روم کی سب سے بڑی دیوی کے نام پر رکھا گیا جس کا نام جونو تھا ۔

❼- جولائی :
قیصرِ روم " جولیس سیزر " 44قبل مسیح میں پیدا ہوا چنانچہ اس کے نام کے نسبت سے اس مہینے کا نام جولائی رکھ دیا گیا۔

❽- اگست :
قدیم روم میں اگست کا نام سکسٹیلیس (Sextilis) تھاجسے 8قبل مسیح میں تبدیل کرکے اس وقت کے رومی حکمران آگسٹس سیزر(قیصر روم آگسٹس) کے نام پر آگسٹ کر دیا گیا ۔

❾- ستمبر :
ستمبر لاطینی لفظ سیپٹیم(Septem)سے ماخوذ ہے۔اس مہینے میں جولیس سیزر کی حکومت قائم ہوئی تھی۔

❿- اکتوبر :
اکتوبر لاطینی لفظ اوکٹو(Octo)سے ماخوذ ہے جس کے معنی 8کے ہیں ۔

⓫- نومبر :
نومبر لاطینی لفظ نویم(Novem) سے نکلا ہے جس کے معنی 9کے ہیں ۔

⓬- دسمبر :
اکتوبر اور نومبر کی طرح دسمبرکا منبع بھی لاطینی لفظ ڈیسیم(Decem) ہے جس کے معنی 10کے ہیں۔

اسلامی ہجری تقویم میں ہفتہ کے ایام کے ناموں میں شرک، نجوم پرستی یا بت پرستی نہیں پائی جاتی جبکہ عیسوی اور دوسری تقویم میں مہینوں اور دنوں کے نام دیوتاؤں کی دیوتائی اور سیاروں کی فرمانروائی کی یاد تازہ کرنے کے لیے رکھے جاتے ہیں۔
سن ہجرت کی ابتداءکے متعلق قاضی سلیمان منصور پوری، علامہ شبلی نعمانی سے کچھ اختلافات رکھتے ہیں ” رحمة للعالمین“ میں لکھتے ہیں

” اسلام میں سنہ ہجرت کا استعمال حضرت عمر فاروق رضی اللہ عنہ کی خلافت میں جاری ہوا، جمعرات 30 جمادی الثانی 17 ہجری: مطابق 9/12 جولائی 638ءحضرت علی رضی اللہ عنہ کے مشورہ سے محرم کو حسب دستور پہلا مہینہ قرار دیا گیا۔

مزید تحقیق سے یہ معلوم ہوتا ہے کہ واقعہ ہجرت سے سنین کے شمار کی ابتداءاس سے بھی بہت پہلے ہو چکی تھی۔ ( تاریخ ابن عساکر جلد اول رسالہ التاریخ للسیوطی بحوالہ تقویم تاریخ )

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شمسی تقویم، تاریخ کے تناظر میں

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