Mai Kaun Hoo Ek Satya Sanatam ko manne wala.
Islam Hi Satya Sanatam Dharm hai.
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
*अस्सलामुअलैकुम वरह् मतुल्लाही वबरकातुहु*
*पार्ट:- 59
*मैं कौन हूँ:-एक सत्य सनातन धर्म*
*🌷🌹🌷इस्लाम🌷🌹🌷*
लेखक की आपसे विनती
*पोस्ट को पढ़ने वाले सभी भाइयों ओर बहनो के लिए ये पोस्ट बनाकर उम्मीद की जाती है कि आप वास्तविक रूप से समस्त मानव सनातन व शाश्वत धर्म को जानने के अभिलाषी हैं,।*
*जिसमें वास्तविक जाति का कल्याण छुपा हुआ है और जिसमें हर एक का कल्याण छुपा हुआ है और जिसका एक हिस्सा आप स्वयं भी है।*
*मान्यवर, इन सभी पोस्ट के साथ आपको यह आमन्त्रण भी दिया जाता है कि आप समस्त मानव जाति के उद्धारक के रूप में अवतरित हज़रत मुहम्मद साहब के ऊपर नाजिल की गयी क़ुरआन का अवश्य अध्ययन करें।*
*यह कुरआन वो पुस्तक है जो,आपको अपने पैदा होने के असली मकसद से रूबरू करवाता है,*
*आपको पुनर्जन्म व बहुदेववाद के कचकों से निकालकर मुक्ति का एक ही सीधा व सच्चा मार्ग दिखती है।*
*आपको अच्छे व बुरे कर्मों के द्वारा अर्जित स्वर्ग या नर्क की वास्तविक व्याख्या व रूपरेखाओं से परिचित कराती है।*
*इसलिये, प्रियवरों, आपके व हमारे एक ही सच्चे ईश्वर जिसका सर्वोतम नाम अल्लाह है, द्वारा अवतरित पुस्तक पवित्र क़ुरआन से अपने मुक्ति के मार्ग को तलाशिये।*
*विश्वास किजीये, इसके अध्ययन के बाद आपकी दुनिया ही बदल जाएगी, आप इसको पढ़ने के बाद अपने आपको गौरान्वित महसूस करेंगे और साथ ही अपने व अपने वास्तविक रचियता के बीच एक जीवंत व अटूट सम्बन्ध महसूस करेंगे।*
*पवित्र क़ुरआन की (सूरः: युसूफ-आयत-40) अल्लाह का फरमान है:-*
• *जिन चीज़ों को तुम अल्लाह के सिवा पूजते हो, वे सिर्फ नाम हैं, जो तुमने और तुम्हारे बाप-दादा (पूर्वजों) ने रख लिये हैं। अल्लाह ने उनकी कोई दलील (प्रमाण) नाज़िल (प्रस्तावित ) नहीं की।(सुन रखो कि) अल्लाह के सिवा किसी की हुकूमत नहीं है। उसने इर्शाद (कथन) फ़रमाया है कि उसके सिवा किसी की इबादत न करो। यही सीधा रास्ता है, लेकिन अकसर लोग नहीं जानते।*
*पवित्र क़ुआन की इस आयत द्वारा सच्चा पालनहार अल्लाह समस्त मानवजाति को सम्बोधित करते हुए यही बात कह रहा है कि आज समस्त मानव मात्र जिस तरह से अलग-अलग व अपने ही द्वारा रचित पूज्यों को अपना ईश्वर या आराध्य बना बैठे हैं, दसअसल वो मनुष्य के खुद के द्वारा रचित सिर्फ नाम हैं।*
*जिनकी कोई वास्तविकता नहीं है, तथाकथित व महिमा मंडित ईश्वर-देव या अन्य तरह के आराध्य अपने आप में किसी भी तरह की सामर्थ्य नहीं रखते।*
*भाइयो, अगर अल्लाह की भेजी हुई इस किताब, पवित्र कुरआन का हम सच्चे मन व साफ हृदय से अध्ययन करें तो निश्चित रूप से इसी नतीजे व निष्कर्ष पर पहुँचेंगे कि आज हम एक अल्लाह को छोड़कर जो अनेक देवताओं व ईश्वरों की आराधनाओं में उलझे हुए हैं हक़ीक़त में हम स्वयं अपने पैदा होने के औचित्य पर ही नही है।*
*पोस्ट जारी है.......*
*HMARI DUAA*⬇️⬇️⬇️
taken from
THE WAY OF JANNAH INSTITUTE
No comments:
Post a Comment