Bihar Board 10th History Classes
Bihar Board 10th history objective Question answer.
10th History Question answer BTBC
02 समाजवाद और साम्यवाद
(Socialist and Communist)
वस्तुनिष्ठ प्रश्न उत्तर।
( objective Question answer)
(1) रूस में कृषक दास प्रथा का अंत कब हुआ?
जवाब - 1861 ईसवी में
(2) रूस में जार का मतलब क्या होता है?
जवाब - रूस का सम्राट
(3) कार्ल मार्क्स का जन्म कहां हुआ था?
जवाब - जर्मनी
(4) साम्यवादी (कम्युनिस्ट) शासन का पहला प्रयोग कहां हुआ?
जवाब - रूस
(5) यूरोपियन समाजवादी कौन नहीं था?
जवाब - कार्ल मार्क्स
(6) वार एंड पीस (war and peace) किसकी रचना है?
जवाब - टालस्टाय
(7) बोलशेविक क्रांति कब हुई?
जवाब - नवंबर 1917 ईसवी
(8) लाल सेना का गठन किसने किया था?
जवाब - ट्रॉटस्की
(9) लेनिन की मौत कब हुई?
जवाब - 1924
(10) ब्रेस्टलिटोवस्क की संधि किन देशों के बीच हुआ था?
जवाब - रूस और जर्मनी
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
(1) पूंजीवाद क्या है?
जवाब - कल कारखानों और उत्पादन के साधनों पर निजी व्यक्तियों का स्वामितव होना पूंजीवाद कहलाता है।
(2) खूनी रविवार क्या है?
जवाब - 9 जनवरी 1905 को रूसी जनता का समूह "जार हमे रोटी दो" के नारों के साथ जार के महल की तरफ बढ़ रही थी। जार ने इन निहत्थे लोगो पर गोलियों कि बौछार करा दी जिसमें हजारों लोग मारे गए।
रूसी कैलेंडर के अनुसार उस दिन रविवार (Sunday) का दिन था, इसी वजह से इसे खूनी रविवार (लाल रविवार) कहा जाता है।
(3) अक्टूबर क्रान्ति क्या है?
जवाब - लेनिन के नेतृत्व में रूसी जनता ने जार क्रेंसकी का तख्ता पलट करने देने का निश्चय किया। रूसी जनता ने डाकघर, बैंक, रेलवे स्टेशन, कचहरी और अन्य सरकारी भवनों पर अधिकार कर लिया, इससे डर कर करेंस्की भाग गया और सत्ता पर लेनिन का अधिकार हो गया , इसे ही अक्टूबर क्रान्ति कहा जाता है।
(4) सर्वहारा वर्ग किसे कहते है?
जवाब - रूसी जनता का वैसा वर्ग जिसमें किसान , मजदूर और गरीब लोग शामिल थे उसे सर्वहारा वर्ग कहा गया।
(5) क्रांति से पहले रूसी किसानों की स्थिति कैसी थी?
जवाब - क्रांति से पहले रूसी किसानों की स्थिति काफी दयनीय थी। खेतो का आकार छोटा हो जाना और पुराने तरीके से खेती करने के कारण उपज नहीं हो पाती थी इसी कारण किसानों की स्थिति काफी दयनीय हो गई थी।
लघु उत्तरीय प्रश्न
(1) रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारणों का वर्णन करे।
जवाब - रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारण निम्मलिखित है।
(i) जार की निरंकुशता और अयोग्य शासन - रूसी राजा (सम्राट) को जार कहा जाता था। वह अपने को ईश्वर का प्रतिनिधि मानता था, उसे जनता की कोई फ़िक्र नहीं थी। साथ ही गलत सलाहकारों के कारण जार की सरवेक्ष चारिता बढ़ती गई तथा जनता की स्थिति बद से बदतर होती गई।
(ii) कृषकों की दयनीय स्थिति - रूस में आबादी का बहुसंख्यक भाग कृषक था जिसकी स्थिति काफी दयनीय थी। पुराने ढंग से खेती करने और खेतो का आकार छोटा हो जाने के कारण उपज में काफी कमी आ गई थी। जिस कारण किसान कर्ज के बोझ से दब गया।
(2) रूसिकरण की नीति क्रांति हेतु कहां तक उत्तरदाई थी?
जवाब - सोवियत रूस विभिन्न राष्ट्रीयताओ का देश था यह मुख्यत सलाव जाती के लोग रहते थे। इनके अलावा फिनलैंड, पोल, जर्मन और यहूदी आदि अन्य जातियों के लोग रहते थे, यह लोग अलग अलग भाषा बोलते थे और इनका रस्म व रिवाज भी अलग अलग था, लेकिन जार निकोलस ii ने रुसिकरण की नीति थोप दी इसके अनुसार सभी लोगो पर , शिक्षा और संस्कृति लाद दिया गई जिस कारण अल्पसंख्यक लोग परेशान हो गए । इस परेशानी ने रूसी क्रांति का मार्ग प्रशस्त हुआ।
(3) साम्यवाद एक नई आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था थी। कैसे?
जवाब - साम्यवाद एक नई आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था थी जिसके अनुसार मजदूरों को काम के बदले वेतन (सैलरी) मिलता था उत्पादन के साधनों पर मजदूरों का एकाधिकार था। ऐसी व्यवस्था में उत्पादन किसी व्यक्ति विशेष के लिए ना होकर पूरे वर्ग के लिए था। इस तरह साम्यवाद एक नई आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था थी।
(4) नई आर्थिक नीति (New economic policy) मार्क्सवादी सिद्धांतो के साथ समझौता था कैसे?
जवाब - लेनिन एक स्वप्न दर्सी विचारक ही नहीं बल्कि एक कुशल सामाजिक चिंतक तथा व्यावहारिक राजनीतिज्ञ था। वह ट्राटसकी के तरह समाजवादी व्यवस्था लागू कर पूरी पूंजीवादी दुनिया से टकराना नहीं चाहता था। इसलिए उसने मार्क्सवादी मूल्यों से समझौता कर 1921 में एक नई नीति की घोसना की , इस नीति के अनुसार किसानों पर अनाज की जगह कर (टैक्स) लगाया गया तथा जमीन किसानों के बीच बांट दी गई और विभिन्न स्तर पर बैंक खोले गए।
(5) प्रथम विश्व युद्ध ( first world war) में रूस की पराजय क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया कैसे?
जवाब - प्रथम विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक चला इस ऐतिहासिक युद्ध में एशिया के एक छोटे से देश जापान से रूस बुरी तरह हार गया, उसकी महानता का भ्रम खत्म हो गया। थके फटे हाल सैनिक जापान से हार कर जब रूस वापस लौटे तब उन्हे देख कर जनता स्तब्ध रह गई। इस देख कर रूसी जनता में असंतोष फुट पड़ा जिसने क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया।
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