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Muslim ladkiyaan Hijab ke liye Kyu Protest kar rahi hai, Kyu log nahi chahate ke Muslim Auratein Hijab nahi kare?

Kyu Liberal tola wale Muslim Khawateen Ka Hijab hatane me lage hue hai?

#Hijab Kyu Karti hai Muslim Auratein?

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आखिर क्या है मामला कर्नाटक यूनिवर्सिटी का ?

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कर्नाटक के उडुप्पी में मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहन कर यूनिवर्सिटी में आने से मना कर दिया गया था।

इससे दर्जनों मुस्लिम लड़कियों ने इसके विरोध में एहतेजाज किया, और कानूनी तरीके से लड़ाई जारी रखने को कहा है।

जब इंग्लैंड के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की बीवी ने सरेआम हिजाब की और दूसरी ईसाई औरतों से भी ऐसा करने को कहा।

क्या कहा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कर्नाटक के मुस्लिम छात्रा के हिजाब पहनने पर?

कुछ दिनों पहले जब एक मुस्लिम तलबा (छात्रा) ने हिजाब में स्कूटी से यूनिवर्सिटी में दाखिल हुई तो कई स्टूडेंट्स भगवा कपड़े में उस लड़की को घेरने की कोशिश किया और फिर कुछ मजहबी नारे भी लगाए जिसके जवाब में हिजाब पहनी लड़की ने भी अल्लाह हू अकबर का नारा लगाई।

भगवा कपड़े में रंगे उन छात्रों ने लड़की को परेशान भी किया क्योंकि वह मुस्लिम छात्रा हिजाब में थी।

इससे आप अंदाजा लगा सकते है के कुछ लोगो को मुस्लिम लड़कियों के हिजाब या नकाब पहनने से कितनी दिक्कत है?

यह सिर्फ कर्नाटक का हो मामला नहीं है। इससे पहले भी कई बार हिंदुस्तान में हिजाब और नकाब बैन करने यानी नकाब पहनने पर पाबंदी लगाने पर जोर दिया गया था।

जब श्रीलंका में नकाब पर बैन लगा दिया तो एक बहुत बड़ा तबका भारत में भी नकाब पर पाबंदी लगाने पर जोर देने लगा।

कुछ लोगो का कहना था के यह महिलाओ के अधिकारों को कम कर देता है और उसकी आजादी इससे खतम हो जाती है।
कुछ का कहना था के यह रूढ़िवादी तरीका है जिससे मुस्लिम लड़कियों पर थोपा जा रहा है।

एक धारणा यह भी बनी के यह मर्दों की गुलामी का नतीजा है जिसकी वजह से औरतें नकाब यानी पर्दा करती है।

लेकिन उन लोगो को यह सोच लेना चाहिए के यह नहीं मर्दों की गुलामी का नतीजा है, ना रूढ़िवादी, पुराने ख्यालों वाला और नही जबरदस्ती थोपा गया यह रस्म वा रिवाज है।

जिस तरह इस्लामोफोबिया को बढ़ावा दिया गया और दूसिया भर के मीडिया , टीवी चैनलों ने इस्लाम को आतंकवाद, सिद्दत पसंद, इंतहा पसंद और दकियानूसी  सोच वाला मजहब साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी उसी तरह हिजाबोफोबिया को भी बढ़ावा दिया गया।

एक आम मुसलमान जो सिर्फ नमाज पढ़ना, रोजे रखना और टोपी पहनने तक को ही इस्लाम समझता है उसके लिए यह  आजमाइश की घड़ी है।

शायद वह समझ भी नही सकता के इसके पीछे कितनी बड़ी साजिशें की जा रही है।

हमेशा एक ही सवाल उठाया जाता है के मुस्लिम औरतें क्यों पर्दा करती है? इसकी वजह क्या है?
और जब यह सवाल उठता है जो कुछ नामनिहाद स्कॉलर या लिबरल तबके के लोग इसे पिछड़ेपन, अशिक्षा और रूढ़िवादी होने को वजह बताते है।

मगर ऐसे लोगो को यह नही मालूम के किसी मुसलमान के लिए जिसने अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाया है उसके लिए शरीयत की कितनी अहमियत है?

वह कितना अपने रसूल और सहाबा, सल्फ सलेहीन से मुहब्बत करता है।
इसी तरह एक मोमिना औरत के लिए उसके रसूल का हुक्म कितना मायने रखता है।

इस्लाम ने औरतों और मर्दों दोनो को पर्दे का हुक्म दिया है इसलिए वह लोग इस हुक्म पर अमल करते है।

दुनिया में सिर्फ मुस्लिम औरतें ही हिजाब नही करती है बल्कि हर धर्म में पर्दा यानी हिजाब करने को कहा गया है।
यहूदी , ईसाई हो या हिंदू धर्म सब धर्म की औरतें हिजाब करती है

मगर सिर्फ रूढ़िवादी और पुराने ख्यालों वाला सिर्फ मुसलमानों को ही कहा जाता है।

हिंदुस्तान में हर मजहब वालो को अपने धर्म के मुताबिक जीने का हक़ है चाहे वह तादाद में ज्यादा हो या कम।

जब भी कभी नामनिहाद विद्वानों को अपने ज्ञान की विधुत्ता दिखाना होता है तो वह मुसलमानों को ही निशाने पर लेते है।
दुनिया भर से तर्को को उठाकर मुसलमानों के जेबों में डालना शुरू कर देते है  मगर खुद का ठिकाना नहीं।
अल्लाह ऐसे लोगो को हिदायत दे।

अगर किसी को परेशानी है तो वह मुस्लिम औरतों के हिजाब से है।

जबकि हिजाब पहनना  सभी धर्मो में कहा गया है।

ईसाई, यहूदी और हिन्दू धर्मों में भी इस्लाम कि तरह हिजाब  करने के का हुक्म है
ईसाइयों (क्रिश्चन) के यहां उनकी नन आज भी हिजाब करती है भले ही यूरोप में बेहयाई आम है मगर चर्चों में हमेशा ईसाई लड़कियां हिजाब में ही जाती है।

यहूदी औरतें भी हिजाब पहनती हैं, चाहे कोई कितना भी लिबरल होने के आड़ में मुसलमानों को रूढ़िवादी होने का सर्टिफिकेट पेश करे और जलील करने की नाकाम कोशिश करे मगर दुनिया के सभी धर्मो ने किसी न किसी शक्ल में पर्दा करने को कहा है।

इसी तरह हिंदुस्तान के गांव में हिन्दू महिलाएं  भी हिजाब करती हैं जिसे आमलोग घूंघट कहते है।

मगर हिजाब और पर्दे के ताल्लुक से सिर्फ मुस्लिम खवातीन पर ही निशाना लगाया जाता है।
यह सवाल के मुस्लिम महिलाएं हिजाब क्यों  करती हैं या तो अनभियता पर आधारित है या फिर दुर्भावना से प्रेरित।

हिजाब के ताल्लुक से अगर कुछ कहा जा सकता है तो वह यह की मुस्लिम औरतें अपने दीन के ज्यादा करीब है, वह शरीयत के हुक्म पर अमल करती है। अल्लाह ने उनके दिलों में ईमान की शम्मा रौशन कर दिया है, उनके पास ईमान की दौलत है यानी वह धार्मिक आदर्शों  से ज़्यादा क़रीब हैं।

जबकि दूसरे धर्म की औरतों ने अपने धर्म के आदर्शों का मजाक बनाया और त्याग दिया है।
इसलिए वह लोग भी यही चाहते है के मुस्लिम औरतों को भी बुराई के दलदल में धकेल दें, जिस तरह वे लोग शैतान की साजिशो में पड़ कर गुमराह हो गए उसी तरह वह मुस्लिम कौम को भी गुमराह करके जहुन्नुमी बनाना चाहते है इसलिए उन लोगो ने इस कौम की बेटियों को ही निशाना बनाना शुरू  कर दिया क्योंकि किसी भी कौम की बुनियाद उस कौम की औरतें ही होती है।

ऐसे में "मुस्लिम औरतों के पर्दा" के ताल्लुक से जुड़े सवाल यह साबित करता है के लोग चाहते हैं की उन्हीं की तरह मुस्लिम महिलाएं भी धर्म को त्याग कर दूसरों जैसी हो जाएं।

किसी को यह अधिकार किसने दे दिया कि वह दूसरों को भी अपने स्तर पर गिरा लाने की कोशिश करे।

जिसको अपने दीन, ईमान या धर्म की बिल्कुल भी परवाह नहीं है वह आज़ाद हैं अपनी मर्जी चलाने के लिए चाहे तो उसे कूड़ेदान में डाल दें, लेकिन दूसरों से भी ऐसा ही उम्मीद रखना और उसपर अपनी गंदी सोच का कीचड़ फेंकने का अधिकार आपको नही है।
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अल्लाह तमाम मुसलमानों को सीरत ए मुस्तेकिम पर चला, उम्मत ए मुहम्मदिया को शैतानों के शर से महफूज रख और दुश्मनों के साजिशो को नाकाम कर।
या अल्लाह इस कौम की बेटियों की हिफाजत कर और उसे फातिमा राजियाल्लाहू अनाहू जैसी बा पर्दा और बा हया बना।    आमीन

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Kya Kaha All India Muslim Personal law Board ne Karnataka ke Universities me Muslim Ladkiyo ke Hijab Pahan kar jane par?

Muslim Ladkiyon ko Hijab Pahanane se rokna Kanoon ke khilaf hai.

Kya Ab Muslim Ladkiyaan Universities Me Hijab Pahan kar nahi ja sakti hai?

Janiye Kya Kaha All India Muslim Personal Law Board ne Hijab Ban karne par?

जब ब्रिटिश प्रधान मंत्री टोनी ब्लेयर की बीवी ने सरेआम पूरे मजलिस हिजाब पहना और दूसरी ईसाई औरतों को भी ऐसा करने को कहा।

एक ब्रिटिश महिला पत्रकार और एक ऑस्ट्रेलियन शिक्षक ने इस्लाम धर्म अपनाया।

*مسلم طالبات کو حجاب کے استعمال سے روکنا شخصی آزادی میں مداخلت کے مترادف*

*_مولانا خالد سیف اللہ رحمانی جنرل سکریٹری آل انڈیا مسلم پرسنل لا بورڈ کا بیان_*

All India Muslim Personal law Board
Social Media Desk
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نئی دہلی: ۷؍فروری ۲۰۲۲ء

آل انڈیا مسلم پرسنل لا بورڈ کے جنرل سکریٹری حضرت مولانا خالد سیف اللہ رحمانی صاحب نے کرناٹک میں مسلم طالبات کو حجاب سے روکنے کے پس منظر میں کہا ہے کہ کرناٹک جنوب کی ایک اہم ریاست ہے، اور مذہبی ہم آہنگی اس کی پہچان رہی ہے؛ لیکن افسوس کہ یہاں بھی قومی اتحاد کو پارہ پارہ کرنے کی کوشش کی جا رہی ہے، اڈپی اور کرناٹک کے کچھ دوسرے علاقوں کے بعض اسکولوں میں مسلم طالبات کو حجاب سے روکنا ایسی ہی سازشوں کا حصہ ہے، آل انڈیا مسلم پرسنل لا بورڈ اس کی سخت مذمت کرتا ہے، لباس کا تعلق ذاتی پسند سے ہے اور یہ مسئلہ شخصی آزادی کے دائرہ میں آتا ہے؛ اس لئے اس کو موضوع بنا کر سماج میں اختلاف پیدا کرنا مناسب نہیں ہے، ہر طبقہ کو اس کی آزادی ہونی چاہئے کہ وہ اپنی پسند کا لباس اختیار کرے، ہندوستان میں سیکولرزم کا مطلب یہ نہیں ہے کہ کوئی فرد یا گروہ اپنی مذہبی پہچان کو ظاہر نہیں کرے، ہاں یہ بات ضرور سیکولرزم میں داخل ہے کہ حکومت کسی خاص مذہب کی پہچان کو تمام شہریوں پر اس کی مرضی کے بغیر مسلط نہیں کرے؛ اس لئے حکومت کرناٹک کو چاہئے کہ وہ سرکاری اسکولوں میں نہ کسی خاص لباس کے پہننے کا حکم دے اور نہ کسی گروہ کو اس کی پسند کا لباس پہننے سے منع کرے۔
      
                 جاری کردہ
    *ڈاکٹر محمد وقارالدین لطیفی*
             (آفس
سکریٹری)

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Muslim Ladkiyo ko Hijab pehan kar Universities jane se Rokna Kanoon ke Khilaf hai. All India Muslim Personal law Board

Muslim Ladkiyo ko Karnataka (Banglore) Me Hijab pahanane par Pabandi.

Muslim Talbat ko Universities me Hijab pahan kar jane se rokna kaisa hai?

*मुस्लिम छात्राओं को हिजाब से रोकना व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप के बराबर*

*_मौलाना ख़ालिद सैफुल्लाह रहमानी महासचिव ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का वक्तव्य_*

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नई दिल्ली 7 फ़रवरी 2022 ई0

      ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव महोदय हज़रत मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी साहब ने कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब से रोकने की पृष्ठभूमि में कहा कि कर्नाटक दक्षिण का एक महत्वपूर्ण राज्य है और धार्मिक सद्भाव उसकी पहचान है लेकिन दुःखद कि यहाँ भी राष्ट्रीय एकता को तितर-बितर करने का प्रयास किया जा रहा है, उडुपी और कर्नाटक के कुछ दूसरे क्षेत्रों के कुछ स्कूलों में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब से रोकना ऐसे ही षड्यंत्र का हिस्सा है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसकी कड़ी निन्दा करता है, वेशभूषा का सम्बंध निजी पसन्द से है और यह मामला व्यक्तिगत स्वतंत्रता की श्रेणी में आता है इसलिए इसको विषय बना कर समाज में कलह उत्पन्न करना उचित नहीं है, प्रत्येक व्यक्ति को यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह अपनी पसंद की वेशभूषा धारण करे, भारत में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि कोई व्यक्ति या समूह अपनी धार्मिक पहचान को उजागर न करे, हाँ यह बात अवश्य धर्मनिरपेक्षता में शामिल है कि सरकार किसी धर्म विशेष की पहचान को सभी नागरिकों पर उसकी इच्छा के विपरीत न थोपे, इसलिए कर्नाटक सरकार को चाहिए कि दूसरे सरकारी स्कूलों में न किसी विशेष वेशभूषा को पहनने का आदेश दे और न किसी समूह को उसकी पसन्द की वेशभूषा धारण करने से रोके।

   जारीकर्ता:
*_डॉ. मुहम्मद वक़ारुद्दीन लतीफ़ी_*

जानिए क्यों इंग्लैंड के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की बीवी ने हिजाब पहना था?

जब एक ब्रिटिश महिला पत्रकार ने इस्लाम धर्म अपनाकर हिजाब पहना।

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Khawaja kaun hai, Khawaja Sira ka matlab kya hota hai, Transgender Kaise hote hai?

Khawaja Sira kise kahte hai?
Khawaja ke bare me Sharai ahkamat kya hai?



"سلسلہ سوال و جواب نمبر-369"
سوال- خواجہ سرا کسے کہتے؟ ان کے بارے شرعی احکامات کیا ہیں؟ کیا وہ مردوں میں شامل ہیں یا عورتوں میں؟ انکو وراثت میں حصہ کس طرح دیا جائے گا؟ نیز انکے نکاح ، جنازہ اور انکی نماز میں امامت  کے بارے شریعت کیا کہتی ہے؟ تفصیلی جواب درکار ہے!

Published Date: 6-2-2022

جواب!
الحمدللہ!

*خواجہ سرا کو عربی میں ’’مخنث‘‘ اور اردو میں ’’ہیجڑہ‘‘ یا "کھسرا" کہا جاتا ہے۔ جو حرکات و سکنات اور گفتگو میں پیدایشی طور پر عورتوں کے مشابہ ہو، اور ایسی خلقت والے لوگ آج کی طرح نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے دور میں بھی موجود تھے،اور شریعت میں ایسے لوگوں کے حوالے سے تفصیلی راہنمائی موجود ہے،فقہائے کرام نے اپنی کتب فقہ میں ایسے لوگوں کے حوالے سے تفصیلی مباحث بیان فرمائی ہیں*

رسول اللہ  صلی اللہ علیہ وسلم کے عہد مبارک میں یہ جنس موجود تھی، بعض کے نام بھی ملتے تھے کہ وہ معیت ،نافع ،ابوماریہ الجنّہ اور مابور جیسے ناموں سے پکارے جاتے تھے۔ یہ لوگ رسول اللہ  صلی اللہ علیہ وسلم کے ساتھ شرائع اسلام اداکرتے تھے۔نمازیں پڑھتے ،جہاد میں شریک ہوتے اور دیگر امورخیربھی بجالاتے تھے ۔رسول اللہ  صلی اللہ علیہ وسلم ان کے متعلق پہلے یہ خیال کرتے تھے کہ یہ بے ضررمخلوق ہے۔ آدمی ہونے کے باوجود انہیں عورتوں کے معاملات میں چنداں دلچسپی نہیں ہے ۔اس لئے آپ ازواج مطہرات کے پاس آنے جانے میں کوئی حرج محسوس نہیں کرتے تھے، لیکن جب آپ کوپتہ چلا کہ انہیں عورتوں کے معاملات میں خاصی دلچسپی ہی نہیں بلکہ یہ لوگ نسوانی معلومات بھی رکھتے ہیں، توآپ نے انہیں ازواج مطہرات اوردیگر مسلمان خواتین کے ہاں آنے جانے سے منع فرما دیا، بلکہ انہیں مدینہ بدر کر کے روضہ خاخ ،حمرآء الاسد اور نقیع کی طرف آبادی سے دور بھیج دیا،تاکہ دوسرے لوگ ان کے برے اثرات سے محفوظ رہیں۔(صحیح بخاری، المغازی: ۴۲۳۴)

صحیح بخاری
کتاب: نکاح کا بیان
باب: عورتوں کا بھیس بدلنے والے مردوں کا خواتین کے پاس آمدورفت کی ممانعت کا بیان
حدیث نمبر: 5235
حَدَّثَنَا عُثْمَانُ بْنُ أَبِي شَيْبَةَ، ‏‏‏‏‏‏حَدَّثَنَا عَبْدَةُ، ‏‏‏‏‏‏عَنْ هِشَامِ بْنِ عُرْوَةَ، ‏‏‏‏‏‏عَنْ أَبِيهِ، ‏‏‏‏‏‏عَنْ زَيْنَبَ بِنْتِ أُمِّ سَلَمَةَ، ‏‏‏‏‏‏عَنْ أُمِّ سَلَمَةَ، ‏‏‏‏‏‏أَنّ النَّبِيَّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ كَانَ عِنْدَهَا وَفِي الْبَيْتِ مُخَنَّثٌ، ‏‏‏‏‏‏فَقَالَ الْمُخَنَّثُ لِأَخِي أُمِّ سَلَمَةَ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ أَبِي أُمَيَّةَ:‏‏‏‏ إِنْ فَتَحَ اللَّهُ لَكُمْ الطَّائِفَ غَدًا أَدُلُّكَ عَلَى بِنْتِ غَيْلَانَ فَإِنَّهَا تُقْبِلُ بِأَرْبَعٍ وَتُدْبِرُ بِثَمَانٍ، ‏‏‏‏‏‏فَقَالَ النَّبِيُّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:‏‏‏‏ لَا يَدْخُلَنَّ هَذَا عَلَيْكُنَّ
ہم سے عثمان بن ابی شیبہ نے بیان کیا، کہا ہم سے عبدہ بن سلیمان نے بیان کیا، ان سے ہشام بن عروہ نے، ان سے ان کے والد نے، ان سے زینب بنت ام سلمہ ؓ نے اور ان سے ام المؤمنین ام سلمہ نے کہ  نبی کریم  ﷺ  ان کے یہاں تشریف رکھتے تھے، گھر میں ایک مغیث نامی مخنث بھی تھا۔ اس مخنث  (ہیجڑے)  نے ام سلمہ کے بھائی عبداللہ بن ابی امیہ ؓ سے کہا کہ اگر کل اللہ نے تمہیں طائف پر فتح عنایت فرمائی تو میں تمہیں غیلان کی بیٹی کو دکھلاؤں گا کیونکہ وہ سامنے آتی ہے تو  (موٹاپے کی وجہ سے)  اس کے چار شکنیں پڑجاتی ہیں اور جب پیچھے پھرتی ہے تو آٹھ ہوجاتی ہیں۔ اس کے بعد نبی کریم  ﷺ  نے  (ام سلمہ سے)  فرمایا کہ یہ  (مخنث)  تمہارے پاس اب نہ آیا کرے۔

یعنی رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے عورتوں کو حکم دیا کہ ان مخنثوں کو بے ضررخیال کرکے اپنے پاس نہ آنے دیں ،بلکہ انہیں گھروں میں داخل ہونے سے روکیں۔

*واضح رہے کہ مخنّث بنیادی طورپر مرد ہوتا ہے، لیکن مردانی قوت سے محروم ہونے کی وجہ سے عورتوں جیسی چال ڈھال اور گفتار اختیار کئے ہوتا ہے ۔یہ عادات اگر پیدائشی ہیں تو انہیں چھوڑنا ہو گا، اگر پیدائشی نہیں بلکہ تکلف کے ساتھ انہیں اختیار کیا گیا ہے تو رسول اللہ  صلی اللہ علیہ وسلم نے اس اختیار پر لعنت فرمائی ہے،احادیث ملاحظہ فرمائیں*

صحیح بخاری
کتاب: لباس کا بیان
باب: مردوں کا عورتوں کی سی صورت اور عورتوں کا مردوں کی سی صورت اختیار کرنے کا بیان
حدیث نمبر: 5885
حَدَّثَنَا مُحَمَّدُ بْنُ بَشَّارٍ ، ‏‏‏‏‏‏حَدَّثَنَا غُنْدَرٌ ، ‏‏‏‏‏‏حَدَّثَنَا شُعْبَةُ ، ‏‏‏‏‏‏عَنْ قَتَادَةَ ، ‏‏‏‏‏‏عَنْ عِكْرِمَةَ ، ‏‏‏‏‏‏عَنِ ابْنِ عَبَّاسٍ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا، ‏‏‏‏‏‏قَالَ:‏‏‏‏ لَعَنَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ الْمُتَشَبِّهِينَ مِنَ الرِّجَالِ بِالنِّسَاءِ، ‏‏‏‏‏‏وَالْمُتَشَبِّهَاتِ مِنَ النِّسَاءِ بِالرِّجَالِ، ‏‏‏‏‏‏تَابَعَهُ عَمْرٌو ، ‏‏‏‏‏‏أَخْبَرَنَا شُعْبَةُ .
ہم سے محمد بن بشار نے بیان کیا، کہا ہم سے غندر نے بیان کیا، ان سے شعبہ نے بیان کیا، ان سے قتادہ نے، ان سے عکرمہ نے اور ان سے ابن عباس ؓ نے بیان کیا کہ  رسول اللہ  ﷺ  نے ان مردوں پر لعنت بھیجی جو عورتوں جیسا چال چلن اختیار کریں اور ان عورتوں پر لعنت بھیجی جو مردوں جیسا چال چلن اختیار کریں۔

صحیح بخاری

کتاب: لباس کا بیان
باب: عورتوں کی صورت اختیار کرنے والے کو گھر سے نکال دینا
حدیث نمبر: 5886
حَدَّثَنَا مُعَاذُ بْنُ فَضَالَةَ ، ‏‏‏‏‏‏حَدَّثَنَا هِشَامٌ ، ‏‏‏‏‏‏عَنْ يَحْيَى ، ‏‏‏‏‏‏عَنْ عِكْرِمَةَ ، ‏‏‏‏‏‏عَنِ ابْنِ عَبَّاسٍ ، ‏‏‏‏‏‏قَالَ:‏‏‏‏ لَعَنَ النَّبِيُّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ الْمُخَنَّثِينَ مِنَ الرِّجَالِ وَالْمُتَرَجِّلَاتِ مِنَ النِّسَاءِ، ‏‏‏‏‏‏وَقَالَ أَخْرِجُوهُمْ مِنْ بُيُوتِكُمْقَالَ:‏‏‏‏ فَأَخْرَجَ النَّبِيُّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فُلَانًا، ‏‏‏‏‏‏وَأَخْرَجَ عُمَرُ فُلَانًا.
ہم سے معاذ بن فضالہ نے بیان کیا، کہا ہم سے ہشام دستوائی نے، ان سے یحییٰ بن ابی کثیر نے، ان سے عکرمہ نے اور ان سے ابن عباس ؓ نے بیان کیا کہ  رسول اللہ  ﷺ  نے مخنث مردوں پر اور مردوں کی چال چلن اختیار کرنے والی عورتوں پر لعنت بھیجی اور فرمایا کہ ان زنانہ بننے والے مردوں کو اپنے گھروں سے باہر نکال دو۔ ابن عباس ؓ نے بیان کیا کہ نبی کریم صلی  اللہ علیہ وسلم  نے فلاں ہیجڑے کو نکالا تھا اور عمر ؓ نے فلاں ہیجڑے کو نکالا تھا۔

سنن ابوداؤد
کتاب: ادب کا بیان
باب: ہیجڑوں کا بیان
حدیث نمبر: 4928
حَدَّثَنَا هَارُونُ بْنُ عَبْدِ اللَّهِ،‏‏‏‏ وَمُحَمَّدُ بْنُ الْعَلَاءِ، ‏‏‏‏‏‏أَنَّ أَبَا أُسَامَةَ أَخْبَرَهُمْ، ‏‏‏‏‏‏عَنْ مُفَضَّلِ بْنِ يُونُسَ، ‏‏‏‏‏‏عَنْ الْأَوْزَاعِيِّ، ‏‏‏‏‏‏عَنْأَبِي يَسَارٍ الْقُرَشِيِّ،‏‏‏‏عَنْ أَبِي هَاشِمٍ، ‏‏‏‏‏‏عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ، ‏‏‏‏‏‏أَنّ النَّبِيَّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَأُتِيَ بِمُخَنَّثٍ قَدْ خَضَّبَ يَدَيْهِ وَرِجْلَيْهِ بِالْحِنَّاءِ، ‏‏‏‏‏‏فَقَالَ النَّبِيُّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:‏‏‏‏ مَا بَالُ هَذَا ؟ فَقِيلَ:‏‏‏‏ يَا رَسُولَ اللَّهِ، ‏‏‏‏‏‏يَتَشَبَّهُ بِالنِّسَاءِ، ‏‏‏‏‏‏فَأَمَرَ بِهِ فَنُفِيَ إِلَى النَّقِيعِ، ‏‏‏‏‏‏فَقَالُوا:‏‏‏‏ يَا رَسُولَ اللَّهِ، ‏‏‏‏‏‏أَلَا نَقْتُلُهُ ؟ فَقَالَ:‏‏‏‏ إِنِّي نُهِيتُ عَنْ قَتْلِ الْمُصَلِّينَقَالَ أَبُو أُسَامَةَ:‏‏‏‏ وَالنَّقِيعُ نَاحِيَةٌ عَنْ الْمَدِينَةِ وَلَيْسَ بِالْبَقِيعِ.
ترجمہ:
ابوہریرہ ؓ کہتے ہیں کہ  نبی اکرم  ﷺ  کے پاس ایک ہیجڑا لایا گیا جس نے اپنے ہاتھوں اور پیروں میں مہندی لگا رکھی تھی تو نبی اکرم  ﷺ  نے فرمایا:  اس کا کیا حال ہے؟ عرض کیا گیا: اللہ کے رسول! یہ عورتوں جیسا بنتا ہے، آپ نے حکم دیا تو اسے نقیع کی طرف نکال دیا گیا، لوگوں نے عرض کیا: اللہ کے رسول! ہم اسے قتل نہ کردیں؟، آپ نے فرمایا:  مجھے نماز پڑھنے والوں کو قتل کرنے سے منع کیا گیا ہے  نقیع مدینے کے نواح میں ایک جگہ ہے اس سے مراد بقیع  (مدینہ کا قبرستان)  نہیں ہے۔  
تخریج دارالدعوہ:  تفرد بہ أبو داود، (تحفة الأشراف: ١٥٤٦٤) (صحیح  )

 البتہ خنثی اس سے مختلف ہوتا ہے، کیونکہ فقہا کے ہاں اس کی تعریف یہ ہے کہ ’’جو مردانہ اور زنانہ آلات جنسی رکھتا ہو یا دونوں سے محروم ہو۔‘‘   
[المغنی لابن قدامہ، ص:۱۰۸ ، ج۹]

 *بلوغت سے پہلے اس کے لڑکے یا لڑکی ہونے کی پہچان اس کے پیشاب کرنے سے ہوسکتی ہے اور بلوغ کے بعد اس کی داڑھی یا چھاتی سے پہچانا جا سکتا ہے ۔بہر صورت وہ شرعی احکام کاپابندہے، اگر مرد ہے تو مردوں جیسے اور اگر عورت ہے تو عورتوں کے احکام پر عمل کیا جائے۔*

_______&_________

 *سعودی مفتی شیخ صالح المنجد سے مخنث کے بارے میں سوال کیا گیا تو انہوں نے فرمایا:*

اول:
1 ـ خنثى لغت عرب ميں اس شخص كو كہتے ہيں جو نہ تو خالص مرد ہو اور نہ ہى خالص عورت، يا پھر وہ شخص جس ميں مرد و عورت دونوں كے اعضاء ہوں ، يہ خنث سے ماخوذ ہے جس كا معنىٰ نرمى اور كسر ہے، كہا جاتا ہے خنثت الشئ فتخنث، يعنى: ميں نے اسے نرم كيا تو وہ نرم ہو گئى، اور الخنث اسم ہے.
اور اصطلاح ميں: اس شخص كو كہتے ہيں جس ميں مرد و عورت دونوں كے آلہ تناسل ہوں، يا پھر جسے اصل ميں كچھ بھى نہ ہو، اور صرف پيشاب نكلنے والا سوراخ ہو.

2 ـ اور المخنث: نون پر زبر كے ساتھ: اس كو كہتے ہيں جو كلام اور حركات و سكنات اور نظر ميں عورت كى طرح نرمى ركھے، اس كى دو قسميں ہيں:

پہلى قسم:
جو پيدائشى طور پر ہى ايسا ہو، اس پر كوئى گناہ نہيں.

دوسرى قسم:
جو پيدائشى تو ايسا نہيں، بلكہ حركات و سكنات اور كلام ميں عورتوں سے مشابہت اختيار كرے، تو ايسے شخص كے متعلق صحيح احاديث ميں لعنت وارد ہے، خنثى كے برخلاف مخنث كے ذكر يعنى نر ہونے ميں كوئى اخفاء نہيں ہے.

3 ـ خنثى كى دو قسميں ہيں:
منثى مشكل اور خنثى غير مشكل.

ا ـ خنثى غير مشكل:
جس ميں مرد يا عورت كى علامات پائى جائيں، اور يہ معلوم ہو جائے كہ يہ مرد ہے يا عورت، تو يہ خنثى مشكل نہيں ہو گا، بلكہ يہ مرد ہے اور اس ميں زائد خلقت پائى جاتى ہے، يا پھر يہ عورت ہو گى جس ميں كچھ زائد اشياء ہيں، اور اس كے متعلق اس كى وراثت اور باقى سارے احكام ميں اس كا حكم اس كے مطابق ہو گا جس طرح كى علامات ظاہر ہونگى.

ب ـ خنثى مشكل:
يہ وہ ہے جس ميں نہ تو مرد اور نہ ہى عورت كى علامات ظاہر ہوں، اور يہ معلوم نہ ہو سكے كہ يہ مرد ہے يا عورت، يا پھر اس كى علامات ميں تعارض پايا جائے.

تو اس سے يہ حاصل ہوا كہ خنثى مشكل كى دو قسميں ہيں:

ايك تو وہ جس كو دونوں آلے ہوں، اور اس ميں علامات بھى برابر ہوں، اور ايك ايسى قسم جس ميں دونوں ميں سے كوئى بھى آلہ نہ ہو بلكہ صرف سوراخ ہو.

4 ـ جمہور فقھاء كہتے ہيں كہ اگر بلوغت سے قبل خنثى ذكر سے پيشاب كرے تو يہ بچہ ہوگا، اور اگر فرج سے پيشاب كرے تو يہ بچى ہے.

اور بلوغت كے بعد درج ذيل اسباب ميں سے كسى ايك سے واضح ہو جائيگا:

اگر تو اس كى داڑھى آ گئى، يا پھر ذكر سے منى ٹپكى، يا پھر كسى عورت كو حاملہ كر ديا، يا اس تك پہنچ گيا تو يہ مرد ہے، اور اسى طرح اس ميں بہادرى و شجاعت كا آنا، اور دشمن پر حملہ آور ہونا بھى اس كى مردانگى كى دليل ہے، جيسا كہ علامہ سيوطى نے اسنوى سے نقل كيا ہے.

اور اگر اس كے پستان ظاہر ہو گئے، يا اس سے دودھ نكل آيا، يا پھر حيض آ گيا، يا اس سےجماع كرنا ممكن ہو تو يہ عورت ہے، اور اگر اسے ولادت بھى ہو جائے تو يہ عورت كى قطعيت پر دلالت كرتى ہے، اسے باقى سب معارض علامات پر مقدم كيا جائےگا.

اور رہا ميلان كا مسئلہ تو اگر ان سابقہ نشانيوں سے عاجز ہو تو پھر ميلان سے استدلال كيا جائيگا، چنانچہ اگر وہ مردوں كى طرف مائل ہو تو يہ عورت ہے، اور اگر وہ عورتوں كى طرف مائل ہو تو يہ مرد ہے، اور اگر وہ كہے كہ ميں دونوں كى طرف ايك جيسا ہى مائل ہوں، يا پھر ميں دونوں ميں سے كسى كى طرف بھى مائل نہيں تو پھر يہ مشكل ہے.

سيوطى رحمہ اللہ كہتے ہيں:
فقہ ميں جہاں بھى خنثى كو مطلق بيان كيا جائے تو اس سے خنثى مشكل مراد ہے. انتہى مختصرا (ديكھيں: الموسوعۃ الفقھيۃ ( 20 / 21 - 23 )

دوم:
الخنثى: ہمارى مراد خنثى مشكل ہے، اس كو دونوں آلے يعنى مرد اور عورت دوں كے عضو ہوں تو اس كى دو قسميں ہيں:

ايك تو ايسى قسم ہے جس ميں يہ راجح نہيں كہ وہ دونوں ميں سے كونسى جنس ہے، اور دوسرى وہ قسم جس كے بارہ ميں معلوم ہو جائے اس كى علامات ميں: ميلان شامل ہے،
چنانچہ اگر تو وہ عورت كى طرف مائل ہو تو وہ مرد ہے، اور اگر اس كا ميلان مردوں كى جانب ہے تو وہ عورت ہو گى.
اور جنسى طور پر عاجز وہ شخص ہو گا جس كا عضو تناسل تو ہے ليكن كسى بيمارى يا نفسياتى يا عصبى يا كسى اور سبب كے باعث وہ جماع كى طاقت نہ ركھتا ہو، جس كے نتيجہ ميں نہ تو اس سے جماع ہو گا، اور نہ ہى استمتاع اور نہ ہى اولاد پيدا ہو گى.

اس سے يہ واضح ہوا كہ جنسى طور پر ہر عاجز شخص ہيجڑا يعنى خنثى نہيں ہوتا، بلكہ ہو سكتا ہے وہ كسى بيمارى كى علت كے سبب جنسى عاجز ہو، اور اس كا تخنث كے ساتھ كوئى تعلق ہى نہيں، اور يہ بھى ہو سكتا ہے كہ وہ مخنث يعنى ہيجڑا ہو ليكن وہ جنسى طور پر وطئ كرنے پر قادر ہو.

ا ـ رہا ہيجڑے كى شادى كا مسئلہ تو اس كے متعلق عرض ہے كہ:

اگر تو وہ غير مشكل ہے تو اس كى حالت كے مطابق اس كى دوسرى جنس سے شادى كى جائيگا، اور اگر وہ خنثى مشكل ہے تو اس كى شادى كرنا صحيح نہيں، اس كا سبب يہ ہے كہ احتمال ہے كہ وہ مرد ہو تو مرد مرد سے كيسے شادى كر سكتا ہے ؟! اور يہ بھى احتمال ہے كہ وہ عورت ہو تو عورت عورت سے كيسے شادى كر سكتى ہے؟!

اور اگر وہ عورت كى طرف مائل ہو اور مرد ہونے كا دعوى كرے تو يہ اس كے مرد ہونے كى ترجيح كى علامت ہے، اور اسى طرح اگر وہ مرد كى طرف مائل ہو اور عورت ہونے كا دعوى كرے تو وہ عورت ہے.

ابن قدامہ رحمہ اللہ كہتے ہيں:
" خنثى يا تو مشكل ہو گا يا پھر غير مشكل، اگر وہ غير مشكل ہو اور اس ميں مردوں كى علامات ظاہر ہوں تو مرد ہے اور اسے مردوں كے احكام حاصل ہونگے، يا پھر اس ميں عورتوں كى علامات ظاہر ہوں تو وہ عورت ہے اور اسے عورتوں كے احكام حاصل ہوں گے. اور اگر وہ خنثى مشكل ہے اس ميں نہ تو مردوں اور نہ ہى عورتوں كى علامات ظاہر ہوں تو اس كے نكاح ميں ہمارے اصحاب كا اختلاف ہے: خرقى كا كہنا ہے كہ اس ميں اس كا قول مرجع ہوگا اور اس كے قول كو مانا جائيگا، اگر تو وہ كہتا ہے كہ وہ مرد ہے، اور اس كى طبيعت عورتوں سے نكاح كى طرف مائل ہوتى ہے تو اسے عورت سے نكاح كا حق حاصل ہے. اور اگر وہ يہ بيان كرے كہ وہ عورت ہے اور اس كى طبيعت مردوں كى طرف مائل ہوتى ہے تو اس كى مرد سے شادى كى جائيگى؛ كيونكہ يہ ايسا معنى ہے جس تك اس كے ذريعہ ہى پہنچا جا سكتا ہے، اور اس ميں كسى دوسرے كو ايجاب كا حق حاصل نہيں، تو بالكل اس كا قول قبول ہو گا جس طرح عورت كا حيض اور عدت ميں قبول كيا جاتا ہے، اور وہ اپنے آپ كو جانتا ہے كہ اس كى طبيعت اور شہوت كس جنس كى طرف مائل ہوتى ہے؛ كيونكہ اللہ سبحانہ و تعالى نے حيوانات ميں عادت بنائى ہے كہ مذكر مؤنث كى طرف مائل ہوتا ہے، اور مؤنث مذكر كى طرف مائل ہوتا ہے. اور يہ ميلان نفس اور شہوت ميں ايك ايسا معاملہ ہے جس پر كوئى دوسرا مطلع نہيں ہو سكتا صرف صاحب ميلان اور شہوت كو پتہ چلتا ہے، اور اس كى ظاہرى علامات كى معرفت ہمارے ليے مشكل ہے، اس ليے باطنى امور ميں جو اس كے ساتھ مخصوص ہيں ميں اس كے حكم كى طرف رجوع كيا جائيگا، يعنى اس كى بات مانى جائيگى.(ديكھيں: المغنى ( 7 / 319 )

اور يہ كہنا كہ خنثى مشكل كى شادى صحيح نہيں يہ جمہور علماء كا قول ہے، اگر وہ اپنى طبيعت ميں ميلان اور شہوت ديكھے تو كيا كرے ؟

اس كا جواب يہ ہے كہ:

ہم اسے كہيں گے صبر كرو، حتى كہ اللہ تعالى آپ كى حالت اس سے بہتر كر دے.

شيخ محمد بن صالح العثيمين رحمہ اللہ كہتے ہيں:
" اور نكاح كے باب ميں " خنثى مشكل " جس كا مرد اور عورت دونوں كا عضو تناسل ہو، يعنى مرد كا عضو تناسل بھى اور عورت كى شرمگاہ بھى اور يہ واضح نہ ہو كہ آيا وہ مرد ہے يا عورت، اس طرح كہ وہ پيشاب دونوں سے كرتا ہو، اور اس ميں كوئى ايسى چيز نہ ہو جو اسے امتياز كرے كہ آيا وہ مرد ہے يا عورت تو اس كى شادى كرنا صحيح نہيں، نہ تو وہ عورت سے شادى كرے اور نہ ہى مرد سے، عورت سے شادى اس ليے نہ كرے كيونكہ احتمال ہے كہ وہ خود بھى عورت ہو، اور عورت كى عورت سے شادى نہيں ہو سكتى، اور نہ ہى كسى مرد سے شادى كرے كيونكہ احتمال ہے كہ وہ خود بھى مرد ہو اور مرد كى مرد سے شادى نہيں ہو سكتى. وہ اسى طرح بغير شادى كے ہى رہے حتى كہ اس كا معاملہ واضح ہو جائے، اور جب واضح ہو جائے تو اگر وہ مردوں ميں ہو تو عورت سے شادى كر لے، اور اگر عورتوں ميں شامل ہو تو مرد سے شادى كر لے، يہ اس وقت تك حرام ہے جب تك اس كا معاملہ واضح نہيں ہو جاتا۔ (ديكھيں: الشرح الممتع ( 12 / 160 )

اور شيخ رحمہ اللہ اس كو مكمل كرتے ہوئے كہتے ہيں:
" اور اگر اسے شہوت ہو اور اب شرعى طور پر اس كى شادى ممنوع ہو تو وہ كيا كرے ؟ ہم اسے كہيں گے كہ: رسول كريم صلى اللہ عليہ وسلم كا فرمان ہے:
" تم ميں سے جو كوئى بھى طاقت ركھتا ہے وہ شادى كرے كيونكہ يہ اس كى آنكھوں كو نيچا كر ديتى ہے، اور شرمگاہ كو محفوظ كرتى ہے، اور جو استطاعت نہيں ركھتا وہ روزے ركھے "
تو ہم اسے كہيں گے كہ تم روزے ركھو. اور اگر وہ كہتا ہے كہ: ميں روزے ركھنے كى استطاعت نہيں ركھتا تو اسے ايسى ادويات دى جا سكتى ہيں جو اس كے معاملہ كو آسان كر دے، اور يہ قول غير مشروع طريقہ سے منى خارج كرنے كے قول سے بہتر ہے. (ديكھيں: الشرح المتتع ( 12 / 161 )

ب ـ اور جنسى طور پر عاجز شخص كى شادى كے متعلق عرض ہے كہ:
شريعت ميں اس كے ليے كوئى مانع نہيں، ليكن اس كے ليے ضرورى ہے كہ وہ جس سے شادى كر رہا ہے اس كے سامنے واضح كرے كہ وہ جنسى طور پر عاجز ہے يعنى اپنى پورى حالت بيان كرے، اور اگر بيان نہيں كرتا تو گنہگار ہوگا، اور عورت كو فسخ نكاح كا حق حاصل ہے؛ كيونكہ استمتاع اور اولاد شادى كے عظيم مقاصد ميں شامل ہيں، اور يہ ان حقوق ميں شامل ہيں جو خاوند اور بيوى دونوں ميں مشترك ہيں "

اور الموسوعۃ الفقہيۃ ميں درج ہے:
" العنۃ: يعنى شہوت نہ ہونا: جمہور فقھاء كے ہاں يہ ايك ايسا عيب ہے جو ايك برس كى مہلت دينے كے بعد بيوى كو خاوند سے عليحدگى كا اختيار ديتا ہے.
حنابلہ ميں سے ايك جماعت جن ميں ابو بكر اور المجد ـ يعنى ابن تيميہ ـ شامل ہيں، نے اختيار كيا ہے كہ عورت كو في الحال فسخ كا اختيار حاصل ہے.
اور جمہور نے عمر رضى اللہ تعالى عنہ كى روايت جس ميں انہوں نے شہوت سے عاجز شخص كے ليے ايك برس كى مدت مقرر كى تھى سے استدلال كيا ہے؛ اور اس ليے كہ بيوى كا مقصود تو شادى كر كے عفت و عصمت اختيار كرنا ہے، اور اس سے اس كو اپنے نفس كے ليے عفت حاصل ہو سكتى ہے، اور ايسا عقد نكاح سے مقصود كا بالكل ہى خاتمہ كر دے اس ميں عاقد كو عقد ختم كرنے كا حق حاصل ہے، اور علماء اس پر متفق ہيں كہ خريد و فروخت ميں عيب كى وجہ سے تھوڑا سا بھى مال جاتا رہے تو اس ميں اختيار ثابت ہو جاتا ہے، چنانچہ عيب كى وجہ سے بالاولى نكاح كا مقصد فوت ہو جائيگا " انتہى
ديكھيں: الموسوعۃ الفقھيۃ ( 31 / 16 )

هذا ما عندي والله اعلم بالصواب

(مآخذ:
فتاویٰ علمائے حدیث
جلد 09 ص
محدث فتوی)
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سوال
السلام عليكم ورحمة الله وبركاته
میں پیدائشی طورپر ایک ہیجڑاہوں۔میری شکل وصورت ،چال ڈھال اورجسمانی ساخت وپرواخت انتہائی طورپر لڑکیوں سے مشابہہ ہے میرانام لڑکیوں والااورلباس بھی لڑکیوں والاپہنتا ہوں ۔میرے سرکے بال لڑکیوں کی طرح لمبے اور خوبصورت ہیں۔ایک آواز ہے جولڑکیوں سے قدرے بھاری ہے ۔مجھے دیکھنے والالڑکی ہی خیال کرتا ہے ۔میرے ساتھ یہ حادثہ ہوا کہ میرا گروعدالتی کارروائی کے ذریعے مجھے میرے والدین سے چھین کرلے آیاتھا۔ میں بچپن سے اب تک گرو کی صحبت میں اوراسی کی زیرتربیت رہا ہوں، اس لئے ناچ گانے کاپیشہ اپناناایک فطرتی بات تھی ،تاہم میں شروع ہی سے اس کاربدکونفرت کی نگاہ سے دیکھتا تھا،اب جبکہ میراگرومرچکا ہے اورمیں آزاد ہوں ۔میری عمر تیس بتیس سال کے قریب ہے، لیکن میں اپنے گرو کے مکان میں دوسرے ہیجڑے ساتھیوں کے ساتھ رہتاہوں ۔مجھے اس پیشہ سے جنون کی حدتک نفرت ہوچکی ہے، میں نے عزم کرلیا ہے کہ میں اس پیشہ اورہیجڑوں سے کنارہ کش ہوجاؤں اوراپنی توبہ کاآغاز حج بیت اللہ کی سعادت سے کرناچاہتاہوں ۔میری الجھن یہ ہے کہ میں مردوں کی طرح حج کروں یاعورتوں کی طرح ۔کتاب وسنت کے مطابق میری الجھن حل کریں مجھے اس بات کاعلم ہے کہ اگرمیں مردوں کی طرح حج کروں تو مجھے احرام باندھنا ہوگااورمجھے بدن کاکچھ حصہ ننگارکھناہوگا،اس کے علاوہ سرکے بال بھی منڈوانا ہوں گے، لیکن سچی بات ہے کہ میرے لئے یہ امربہت مشکل ہوگا۔جس سے مجھے خوف آتا ہے بلکہ تصور کرکے رونگٹے کھڑے ہوجاتے ہیں۔ جبکہ عورتوں کی طرح حج کرنے میں مجھے آسانی ہی آسانی ہے، کیونکہ میں نے اب تک عمرکاتمام حصہ عورتوں کی طرح گزاراہے اور جنسی طورپر مردانہ خواہش کبھی بھی میرے دل میں نہیں ابھری، بعض علما سے دریافت کرنے سے الجھن کاشکارہو چکاہوں کہ کیا کروں اور کیانہ کروں ،مجھے کسی نے کہا ہے کہ اگرتم مسئلہ کاصحیح حل چاہتے ہوتوکسی وہابی عالم کی طرف رجوع کرو، اس لئے میں نے آپ کی طرف رجوع کیا ہے ۔مجھے جلدی اس کاجواب دیا جائے؟

 جواب!
الحمد لله، والصلاة والسلام علىٰ رسول الله، أما بعد!
اس قدر طویل سوال کے باوجود بعض امور دریافت طلب ہیں،تاہم جواب پیش خدمت ہے۔ اس سلسلہ میں چندباتیں ملاحظہ کریں:

اولاً: گرو کا والدین سے عدالتی کارروائی کے ذریعے چھین کر لے آنا انتہائی محل نظر ہے، کیونکہ ایساکوئی قانون نہیں ہے جس کا سہارالے کرعدالتی کارروائی کے ذریعے اس ’’مخلوق ‘‘کواس کے والدین سے زبردستی چھینا جھپٹی کی جاسکے ۔یقینا اس میں والدین کی مرضی شامل ہو گی، جس کے متعلق وہ جوابدہ ہوں گے۔ ایسے متعددواقعات ہمارے مشاہدے میں ہیں کہ اس جنس کے گروحضرات والدین سے انہیں لینے آئے، لیکن والدین نے انکار کردیااورانہیں دینی مدرسہ میں داخل کرایا۔دینی تعلیم کا یہ اثر ہوا کہ وہ گانے بجانے کا دھندا کرنے کے بجائے دین اسلام کی تبلیغ واشاعت کافریضہ سرانجام دے رہے ہیں ۔

ثانیاً: اس کام سے صرف نفرت ہی کافی نہیں ہو گی، بلکہ فریضہ حج کاانتظارکئے بغیر فوراًاس سے توبہ کی جائے۔ اپنے ساتھیوں سے الگ ہو جانا چاہیے، کیونکہ موت کاکوئی پتہ نہیں کب آجائے ،اخروی نجات کے لئے برے کام سے صرف نفرت ہی کافی نہیں، بلکہ اسے اللہ کی بارگاہ میں ندامت کے آنسو بہاتے ہوئے چھوڑدیناضروری ہے ۔پھرنیک اعمال نماز ،روزہ وغیرہ سے اس کی تلافی کرنابھی لازمی ہے ۔اس بنا پر سائل کوہماری نصیحت ہے کہ وہ فوراًاس کام سے باز آجائے اوراپنے ہم پیشہ ساتھیوں سے کنارہ کش ہوکر اخروی نجات کی فکر کرے ۔

ثالثاً: صورت مسئولہ میں جس طرح تفصیل بیان کی گئی ہے، اس سے معلوم ہوتاہے کہ سائل لڑکی ہے اوراس پرعورتوں جیسے احکام لاگوہوں گے، لیکن حقیقت حال وہ خودہی بہتر جانتا ہے کہ اگر وہ مرد ہے اورعورتوں جیسی شکل وصورت اختیارکی ہے جواس کے گروکی صحبت اورتربیت کانتیجہ ہے تواسے اس شکل وصورت کویکسر ختم کرناہوگا،کیونکہ اللہ اوراس کے رسول صلی اللہ علیہ وسلم نے اس طرح عورتوں کاروپ دھارنے والے پرلعنت فرمائی ہے اوراگروہ حقیقت میں عورت ہی ہے، نیزگروکی مجلس نے اس کی نسوانیت کو دو آتشہ کردیاہے تب بھی اسے یہ کام ختم کرناہوں گے اورمسلمان عورتوں کی طرح چادر اورچاردیواری کاتحفظ کرنا ہو گا، تاہم احتیاط کا تقاضاہے کہ حج کے لئے عورتوں جیسااحرام اختیارکرے، یعنی عام لباس پہنے ،اپنے چہرے کو کھلا رکھے، تاہم اگرکوئی اجنبی سامنے آجائے توگھونگھٹ نکالے،
جیساکہ سیدہ عائشہ  رضی اللہ عنہا کابیان کتب حدیث میں مروی ہے کہ ہم رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے ساتھ حالت احرام میں ہوتیں اورقافلے ہمارے پاس سے گزرتے جب وہ ہمارے سامنے آجاتے تو ہم اپنی چادر یں اپنے چہروں پرلٹکالیتیں اورجب وہ گزرجاتے توہم انہیں اٹھادیتیں۔     [ابوداؤد، المناسک: ۱۸۳۳]

اس کے علاوہ محرم کی بھی پابندی ہے کہ وہ اپنے کسی محرم کے ساتھ یہ مبارک سفر کرے۔رسول اللہ  صلی اللہ علیہ وسلم نے ایک آدمی کواس کی بیوی کے ساتھ سفرحج پرروانہ کیاتھا جبکہ وہ جہاد میں اپنانام لکھواچکاتھا ، اس لئے سائل کوحج پرجانے کے لئے اپنے کسی محرم کاانتخاب بھی کرنا ضروری ہے، اگراسے اپنے کسی محرم کا پتہ نہیں ہے، جیساکہ سوال میں بیان کردہ صورت حال سے واضح ہوتاہے  تواسے چاہیے کہ چند ایسی عورتوں کی رفاقت اختیار کرے، جن کے محرم ان کے ساتھ ہوں ،اسے اکیلی عورتوں یا اکیلے مردوں کے ساتھ سفر کرنے کی شرعاً اجازت نہیں ہے۔ ( کچھ اختصار کے ساتھ )
ھذا ما عندي والله أعلم بالصواب
(فتاویٰ اصحاب الحدیث جلد:2 صفحہ:482)

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*شیخ ابن باز رحمہ اللہ سے سوال کیا گیا کہ!*

 مخّنث(ہیجڑے) کی وراثت کا کیا حکم ہے؟

جواب !
مخّنث کےبارے تفصیل ہے،بلوغت سے پہلے شبہ ہے کہ وہ مذکر ہے یا مؤنث؟
کیونکہ اس کےدو آلے ہوتے ہیں،ایک عورت والا اور دوسرا مرد والا،لیکن بالغ ہونے کےبعد غالباً اس کا مذکر یا مؤنث ہونا واضح ہوجاتا ہے،جب اس کی کوئی ایسی چیزظاہر ہو جو اسکے مؤنث ہونے کی علامت ہے،جیساکہ پستانوں کاابھر آنایاحیض کا آجانایا عورت والے آلے سے پیشاب کرنا تو اس کے بارے مؤنث کا حکم لاگو کیاجائے گا،اور طبی علاج کے ذریعے محفوظ طریقے سے مذکر والا آلہ ختم کردیا جائے گا،اور جب وہ چیز ظاہر ہو جو اس کے مذکر ہونے پر دلالت کرے، جیسا کہ داڑھی کا اُگ آنا اور مذکر والے آلے سے پیشاب کرنا،نیز دیگر علامات جنھیں ڈاکٹر پہچانتے ہیں تو اس پر مذکر کا حکم لاگو ہو گا اور مذکر والا معاملہ ادا کیا جائے گا، اس سے پہلے موقوف ہو گا تاآنکہ معاملہ واضح ہو جائے،بات کھلنے سے پہلے شادی نہیں کی جا سکتی اور وہ بلوغت کے بعد ہی ہو گا، جیسا کہ اہل علم نے فرمایا ہے۔
(ابن باز:مجموع الفتاويٰ والمقالات:20/251)

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*مشہور اسلامک بلاگر شیخ مقبول احمد سلفی حفظہ اللہ سے درج ذیل سوال کیے گئے کہ..!*

سوال:  خواجہ سرا ( مخنث / ہیجڑا) کی میت غسل اور جنازہ کے بارے میں شریعت کیا کہتی ہے جبکہ یہ طبقہ پاکستان میں لواطت پھیلانے کا بھی مرتکب ہے؟

 الجواب: 
فطری اور طبعی طور پر کوئی مخنث ہو تو یہ ﷲ کی طرف سے ہے اور وہ بھی شریعت کا مکلف ہے اگر جسمانی اور خلقی اعتبار سے وہ مرد کے مشابہ ہے تو مردوں کے احکام اس پر لاگو ہوں گے اور اگر وہ غالب جسمانی ساخت کے اعتبار سے عورت کے مشابہ ہے تو اس پر عورتوں کے احکامات لوگوں ہوں گے اور اگر وہ شرعی احکام کا لحاظ و پاس نہ کرے تو عند ﷲ فاسق ہے اور شاید اسی بنیاد پر بعض احادیث میں ان پر لعنت بھی کی گئی ہے۔
مردوں پر (از خود ) مخنث بننا حرام ہے اور عورتوں سے مشابہت بھی حرام ہے نبی علیہ السلام نے ان پر لعنت کی ہے۔
فقہا ء کے مباحث میں مخنث کے احکام خیار العیب ، شہادت، نکاح اجنبی عورت کی طرف دیکھنا، لباس، زینت اور حَظر ابا حت کی بحث میں ملتے ہیں۔ (الموسوعة الفقھیة الکویتیہ 63/11 ،بحوالہ مکتبہ شاملہ)

 قرآن میں جو '' اوالتعابعین غیر اولی الا ربة'' کی آیت ہے تو تفسیر طبری کے مطابق اس سے مراد مخنث/ خواجہ سرا ہی ہے۔
مخنث کے احکامات واضح ہیں اگر مرد کے مشابہ ہے تو مردوں کے احکام وگرنہ عورتوں کے احکام اس پر لاگو ہوں گے۔ ہر مسئلے میں البتہ اگر خنثی مشکل ہے تو اسکی وفات پر اسے کپڑوں سمیت غسل دیا جائے گا یا پھر فقط تیمم کروا کر دفن کر دیا جائے ۔(المغنی وغیرہ)

اور اگر اس مخنث کے محارم موجود ہیں تو وہ اسے غسل دے سکتے ہیں (الموسوعة الفقھیہ الکویتیہ)
 نماز جنازہ کے وقت خنثی کے وسط میں امام کھڑا ہو، البتہ شافعیہ کے ہاں اسکی کمر کے پاس سرین کے نزدیک کھڑا ہو۔ ( حوالہ سابقہ)
 باقی احکامات مرد یا عورت کی طرح ہی ہوں گے۔
 البتہ جس قبیح فعل کے یہ فی زمانہ مرتکب ہیں تو انہیں جلا وطن کر دینا چاہئے اور سزا بھی دلوانی چاہئے ۔ مزید یہ کہ یہ ملعون بھی ہیں کیونکہ قصداً عورتوں سے مشابہت اختیار کر تے ہیں۔ (واللہ اعلم)
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سوال: مخنث کو غسل کون دے ؟

جواب : مخنث تین قسم کا ہوتا ہے ۔
پہلی قسم : جس میں لڑکی کے آثار ہوں اس پہ لڑکی کا حکم لگے گا اور عورت اسے غسل دے گی ۔
دوسری قسم : جس میں لڑکے کے آثار ہوں اسے مرد غسل دے گا۔
تیسری قسم : مخنث مشکل کی ہے ، اس کے متعلق یہ حکم ہے کہ اگر اس کے محارم ہوں تو اسے غسل دیدے ورنہ کپڑا سمیت کوئی دوسرا غسل دے سکتا ہے ، بعض نے یہ کہا ہے کہ تیمم کرادے۔

سوال : دفن کا طریقہ کیا ہے ؟
جواب : دفن کا طریقہ بھی مسلمان مرد و عورت کی طرح ہے ۔
نوٹ : جو فطری طور پر مخنث ہوں ان پر کوئی گناہ نہیں ، مگر جو ہیجڑا بن جاتے ہیں وہ ملعون ہیں انہیں توبہ کرنا چاہئے ۔
(مآخذ- شیخ مقبول احمد سلفی بلاگ)

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*اس تیسری جنس (ہیجڑے ) کے پیچھے جماعت میں نماز پڑھنا جائز نہیں ، کیونکہ ہوسکتا ہے وہ شرعاً عورت کے حکم میں ہو ، علماء کا فتوی درج ذیل ہے*

وَقَالَ الزُّبَيْدِيُّ، قَالَ: الزُّهْرِيُّ: «لاَ نَرَى أَنْ يُصَلَّى خَلْفَ المُخَنَّثِ إِلَّا مِنْ ضَرُورَةٍ لاَ بُدَّ مِنْهَا»
محمد بن یزید زبیدی نے کہا کہ امام زہری نے فرمایا کہ ہم تو یہ سمجھتے ہیں کہ ہیجڑے کے پیچھے نماز نہ پڑھیں۔ مگر ایسی ہی لاچاری ہو تو اور بات ہے جس کے بغیر کوئی چارہ نہ ہو۔
(صحیح البخاری کتاب: اذان کے مسائل کے بیان میں / باب: اگر امام اپنی نماز کو پورا نہ کرے)
(قبل الحدیث- 695

*یہی فتویٰ سعودی فتاوی ویبسائٹ پر درج ہے،*
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فتاوى إسلام ويب
عنوان الفتوى:
حكم إمامة الجنس الثالث
رقـم الفتوى:189089

تاريخ الفتوى:(الأحد 6 ذو الحجة 1433 21-10-2012 )

السؤال: هل يجوز للجنس الثالث أو قليل الشهوة أن يؤم المصلين؟

الفتوى:

الحمد لله والصلاة والسلام على رسول الله وعلى آله وصحبه، أما بعد:
فأما قليل الشهوة - كالعنين ونحوه - فلا مانع من إمامته في الصلاة بحال، وأما من سميتهم الجنس الثالث فإن كان مرادك به الخنثى المشكل، فهو لا تصح إمامته للرجال, ولا لمثله من الخناثى لاحتمال أن يكون امرأة، وتصح إمامته للنساء عند الجمهور، قال الشيرازي في المهذب: ولا تجوز صلاة الرجل خلف الخنثى الْمُشْكِلِ لِجَوَازِ أَنْ يَكُونَ امرأة, ولا صلاة الخنثى خلف الخنثى لِجَوَازِ أَنْ يَكُونَ الْمَأْمُومُ رَجُلًا وَالْإِمَامُ امرأة. انتهى.

وقال الشيخ ابن عثيمين - رحمه الله -: والخُنثى هو: الذي لا يُعْلَمُ أَذكرٌ هو أم أنثى؟ فيشمَلُ مَن له ذَكَرٌ وفَرْجٌ يبول منهما جميعاً, ويشمَلُ مَن ليس له ذَكَرٌ ولا فَرْجٌ، لكن له دُبُرٌ فقط, والخُنثى سواءٌ كان على هذه الصُّورةِ أو صُورةٍ أخرى لا يَصحُّ أن يكون إماماً للرِّجال، لاحتمالِ أنْ يكون أُنثى، وإذا احتملَ أن يكونَ أُنثى، فإنَّ الصَّلاةَ خلفَه تكون مشكوكاً فيها، فلا تصحُّ.... وفُهِمَ مِن قولِ المؤلِّفِ: «ولا امرأة وخنثى للرجال» أنه يصحُّ أن تكون المرأةُ إماماً للمرأةِ، والخُنثى يصحُّ أن يكون إماماً للمرأة؛ لأنه إما مثلُها أو أعلى منها, لكن؛ هل يصحُّ أن تكون المرأةُ إماماً للخُنثى؟ الجواب: لا؛ لاحتمالِ أن يكون ذَكَراً. انتهى.
وأما إن كان قصدك بالجنس الثالث الذي يتشبه بالنساء في هيئتهن وحركتهن ففي حكم إمامته تفصيل، جاء في الموسوعة الفقهية: المخنث بالخلقة، وهو من يكون في كلامه لين, وفي أعضائه تكسر خلقة، ولم يشتهر بشيء من الأفعال الرديئة لا يعتبر فاسقًا، ولا يدخله الذم واللعنة الواردة في الأحاديث، فتصح إمامته، لكنه يؤمر بتكلف تركه, والإدمان على ذلك بالتدريج، فإذا لم يقدر على تركه فليس عليه لوم, أما المتخلق بخلق النساء حركة وهيئة، والذي يتشبه بهن في تليين الكلام, وتكسر الأعضاء عمدا، فإن ذلك عادة قبيحة ومعصية, ويعتبر فاعلها آثما وفاسقا, والفاسق تكره إمامته عند الحنفية والشافعية، وهو رواية عند المالكية, وقال الحنابلة والمالكية في رواية أخرى ببطلان إمامة الفاسق. انتهى.
والله أعلم.
المفتـــي: مركز الفتوى
www.islamweb.net
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* سلسلہ کا خلاصہ یہ ہے کہ جان بوجھ کر ہیجڑا وغیرہ بننے والے پر نبی کریم صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم نے لعنت فرمائی ہے، اور جو پیدائشی ایسے ہوں تو ان پر اسکا کوئی گناہ نہیں، اور مردوں کی علامات رکھنے والے پر مرد کے احکامات لاگو ہونگے اور عورتوں کی علامات رکھنے والی پر عورت کے احکامات لاگو ہونگے،  جو کہ بالغ ہونے کے بعد ظاہر ہو جاتے ہیں، اور جنکی کوئی علامات نا ہوں تو انکے رجحان کے مطابق ان پر احکامات لاگو ہونگے یعنی اس سے پوچھا جائے گا کہ وہ مردوں والے خیالات رکھتا یا عورتوں والے۔۔۔تو جس طرف اسکا فطرتی رجحان ہو اس جنس کے احکامات اس پر لاگو ہونگے،*

((( واللہ تعالیٰ اعلم باالصواب )))

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Why Indians Celebrate Independence day on 15 August, essey On 15 August 1947.

Why Indians Celebrate Independence day on 15 August?

What happened in 1947 in India?

#Independence day , #15 August
#Indians Freedom fighters, #India Freedom Movement, #Indian Natinal Freedom, #भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

      15 अगस्त   भारतीय स्वतंत्रता दिवस

स्वतंत्रता दिवस भारत देश की आजादी का एक खास दिन है। यह दिन 15 अगस्त है। यह हमारे हिंदुस्तान के इतिहास का एक पवित्र पर्व है।

यह भारत का राष्ट्रीय त्योहार है। इसी दिन हिंदुस्तान अंग्रेजो की गुलामी से आजाद हुआ था।

भारत को अपनी आजादी के लिए तकरीबन 200 सालो तक लगातार जेद्धोजेहद करना पड़ा।

सबसे पहले 1857 में हमने आजादी की पहली लड़ाई छेरी थी। लेकिन उस वक्त हम एक नही थे, हिंदुस्तानी आपस में बंटे हुए थे इसलिए हमलोग हार गए।

देश की आजादी के लिए अशफाक उल्लाह खान, मौलाना शौकत अली, वीर कुंवर सिंह, खुदीराम बोस, सुभाष चन्द्र बोस, सरदार भगत सिंह, रजिया सुल्ताना, रानी लक्ष्मी बाई वगैरह स्वतंत्रता सेनानियो ने अंग्रेजो के दांत खट्टे किए।

खुदीराम  और सरदार भगत सिंह को अंग्रेजो ने फांसी की सजा दे दी।
गांधी जी और दूसरे महापुरुषों के अथक प्रयासों से इस देश को आजादी मिली।

इसी आजादी की याद में हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते है। इस तरह हमारे देश के इतिहास में 15 अगस्त 1947 का दिन बड़ा महत्वपूर्ण समझा जाता है।

दिल्ली के लाल किला पर सबसे पहले प्रधान मंत्री झंडा फहराते है।

15 अगस्त की सुबह प्रभात फेरी होती है। इंकलाब जिन्दाबाद, हिंदुस्तान जिंदाबाद, आजादी हमारी कायम रहे वगैरह के नारों से हमारे मन और प्राण का उत्साह प्रकट हो उठता है।

हम में नया जोश उमर जाता है। सभी सरकारी स्कूलों, कॉलेजों, दफ्तरों और दूसरे संस्थाओं में प्रायः 8 - 9 बजे तक झंडा फहराया जाता है। पुलिस की परेड होती है।

बच्चो को मिठाइयां दी जाती है। उस दिन सभी स्कूल , कॉलेज और दफ्तरों में छुट्टी रहती है।

आजादी के मौके पर जहां तहां गोष्ठियों, कवि सम्मेलनों और प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। मैदानों में खेल कूद की व्यवस्था की जाती है। जितने वालो को इनाम दी जाती है।
जगह जगह पर नेताओ के भाषण होते है। रेडियो और दूरदर्शन से नए नए कार्यक्रम सुनने को मिलते है।
इस तरह सुबह से रात 11 बजे तक स्वतंत्रता दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता। उस दिन लोग आपसी भेदभाव भुलाकर गले मिलते है।
सभी लोग उस दिन पूरे उत्साह से स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। हमारी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता।

यह स्वतंत्रता दिवस हमारे हजारों लाखों बलिदानों की कहानी कहता है।

इस दिन हमे गांधी जी का तप, राजेंद्र प्रसाद का त्याग सुभाष की वीरता, भगत सिंह का बलिदान और तिलक गोखले के स्वाभिमान की अनेक कथाएं याद आती है।

हमसब भारतीय यह कामना करते है के ऐसे महापुरुषों का जन्म हमारे देश में बार बार हो।

भारतीय संविधान कितने दिनों में बना था?

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में धर्म कितना बड़ा रोड़ा था?

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस भारत मे कब से और क्यो मनाया जाता है? 

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When a man goes to see a women for Maaraige, is he allowed to ask about woman's past or Can woman ask About Man's Past?

Q. When a man goes to see a women for Maaraige, is he allowed to ask about woman's past or Can woman ask About Man's Past?

Ans. It's totally Prohibited.

Sheikh Assim Al Hakeem

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Is it Permissible to attend engagement parties?

Can Any Muslim attend in engagement Parties?

Q. Is it Permissible to attend engagement parties?

Ans. No Problem, if there's is no haram involved in it such as music, free mixing between non mehrams, exchanging of rings etc.

Sheikh Assim Al Hakeem

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Can a soul know the Situation of his family, can he come down to earth?

Q. Can a soul know the Situation of his family, can he come down to earth?

Ans. No

Sheikh Assim Al Hakeem

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"Meher Fatima" is very Common way of setting Meher in the Subcontinent During Nikah. Please elaborate on it Authenticity.

What is Meher Fatima In Islam?

"Meher Fatima" is very Common way of setting Meher in the Subcontinent During Nikah. Please elaborate on it Authenticity.

An: There is no such things in Islam.

Sheikh Assim Al Hakeem

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Sheikh an electrician go and do repair work in a Church is he sinful?

Q. Sheikh an electrician go and do repair work in a Church is he sinful?

Ans. Yes, Because it's not Permissible to facilitate or co operate in Haram and Sinning.

Sheikh Assim Al Hakeem

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How severe does the sickness have to be in order for it to be permissible to pray at home and not in the Mosque?

Can any Patient Pray at home?

Q. How severe does the sickness have to be in order for it to be permissible to pray at home and not in the Mosque?

Ans. This is between you and Allah. If praying in the Masjid with your sickness causes hardship or delays your recovery or is harmful for you, then you can pray home.

Sheikh Assim Al Hakeem

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What's the rulling on attending a get - together where free mixing might be involved?

Q. What's the rulling on attending a get - together where free mixing might be involved?
Ans. Totally Prohibited.

Sheikh Assim Al Hakeem

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