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Apne life partner ko dhokha dene wali ladki ki kahani.

Waise Logo ka anjaam jo Rishton me dhokha dete hai?
Rishte me dhokha dena kya Aazadi hai?
Paise Aur taqat ke nashe me Rishton ki qadar nahi karne wale log.
Paisa bahut kuchh hai magar har kuchh nahi hai is duniya ki.

मै एक 28 साल की शादीशुदा औरत हों।
आज मैं अपने ज़िन्दगी की कड़वी सच्चाई बताने जा रही हूं. मेरी शादी अप्रैल 2017 में हुयी थी. पर मै अपने ही गाँव के एक लड़के से प्यार करती थी. पर उससे शादी होना थोड़ा मुश्किल था. क्योंकि हमारे यहाँ ऐसे शादी समाज की नजरो में बहुत ही ज्यादा गलत मानी जाती है, बात पसंद की शादी की नहीं है बल्कि बात यहां उस लड़के का है जो अपनी जिम्मेदारी समझे, और मुझे  अकेला ना छोड़ दे बल्कि घर , परिवार को संभाल सके ना के सिर्फ I love you कहने मे ही अपनी पूरी ज़िन्दगी का प्यार समझे, सिर्फ कूल दिखनेें , हेयर स्टाइल बनाकर लड़कियों को इंप्रेस करने वाला लड़का।

तो मैने अपने घर पर सब बता दिया कि मै कहीं और शादी नहीं करूंगी. पर मेरे घरवाले मुझे समझाने में लग गये, और बोले कि जो लड़का हमने देखा है वो सरकारी नौकरी करता है और बाहर ही रहता है, तुम तो बस शादी कर लो उसको कुछ पता नहीं लगेगा. मैने कहा कि अगर उसको पता लग गया तो फ़िर क्या करेंगे तो मेरे पापा ने कहा कि वे लोग अपनी इज्जत के चक्कर में कुछ नहीं कहेंगे. और तुम पता मत लगने देना.

मै अपने घरवालों की बातो से सहमत हो गई, क्युके जब मै अपने घर आऊंगी तो उससे मिल लूंगी, और वह लड़का कोई ज्यादा दूर का तो था नहीं।

मेरी शादी की दिन पक्की हो गयी फ़िर मेरे होने वाले हसबैंड ने मेरे लिए एक फोन भी भेज दिया अपना सिम डालकर मै बेफ़िक्र 11 बजे तक अपने हसबैंड से बात करती और फ़िर 1 बजे से अपने आशिक से।

एक दिन उनका फोन आया कि तुम 1 बजे किससे बात करती हो तो मैने उनसे कहा कि वो मेरी सहेली का होने वाला हसबैंड है तो वो मान तो गये पर उनको शक हो गया. फ़िर मैने उस नम्बर से बात करना बन्द कर दिया. और मेरे घरवालो ने भी मेरा साथ दिया और बोल दिया कि इसकी सहेली और यह एकसाथ सोती है उसकी शादी हो रही है तो वो अपने होने वाले हसबैंड से बात करती है.

और मुझे घरवालों ने कहा कि  अब बात मत करना अब उसको भूल जाओ. लेकिन मै ऐसा नहीं कर सकती थी. तो मै चुपके बात भी करती रही और मिलती भी रही.

हम दोनों के बीच जिस्मानी ताल्लुकात (physically relation) भी तकरीबन हर हफ्ते में दो बार जरूर बनते थे। मै अक्सर घर से कालेज का बहाना बना कर उस लड़के से मिलने चली जाया करती थी, वह लड़का भी मुझसे मिलने को बेचैन रहता था।

मेरी शादी हो गयी तो मेरे हसबैंड जब सुहागरात पर मेरे साथ सेक्स किया तो उनको बाद में देखकर मुझे थोड़ा अजीब लगा. उनको शक हो गया कि मैं वर्जिन नहीं हूं. पर फ़िर भी उन्होने कुछ नहीं कहा. मुझे घुमाने ले गये. पर अब उनका दिल मेरे पास नहीं लगता था, ना मुझसे उतना बातचीत करते थे और ना अपने बारे में कुछ बताते थे लेकिन मै इतना जरूर जानती हू के वह दिल के बहुत ही अच्छे और शरीफ  थे।

जब वे बाहर जाते तो मै  अपने आशिक से विडियो काल पर बातें कर लेती. बस ऐसे ही सब चल रहा था. फ़िर एक दिन जब मै मायके गयी तो मेरे आशिक ने मेरी शादी वाली अंगूठी ले ली और देने से मना कर दिया.

मै जब भी अपने मायके जाती तो उस लड़के से मिलती जिससे में पहले से ही मुहब्बत करती थी, हम दोनों घंटो बातें करते, सेक्स भी करते। यहां तक के में सेक्स की आदि हो चुकी थी।

पर जब मैं वापस ससुराल आयी तो मेरे हसबैंड को सब कुछ मालूम हो चुका था तो उन्होने मुझे बहुत समझाया, अपने आगे की ज़िन्दगी के बारे में वह बहुत फ़िक्र करते थे।
पर मैने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है हमारे बीच वो तो मेरे कालेज का दोस्त है. जबकि इनको सबकुछ मालूम हो चुका था तो उन्होने कहा कि मै तुम्हे कुछ नहीं बोल रहा हूँ बस सिर्फ और सिर्फ तुम अपनी ग़लती मानो, हकीकत से मत इनकार करो, और अब यह सारी हरकतें बंद करो मगर मैं उनसे बहश करती रही के आप मुझपे बेकार का शक कर रहे है, आप की भी कोई हिस्टरी होगी, आप का भी बैकग्राउंड है मगर मै तो आपके कॉलेज लाइफ के बारे में कुछ भी नहीं पूछ रही फिर आप मेरे बैकग्राउंड के बारे में क्यों जानना चाहते है। मै उनसे बोली के आप मझपे इल्जाम लगा रहे है, मेरी भी कोई इज़्ज़त है, आप मुझे बदनाम कर रहे है।

फ़िर मै अपने घरवालों और सासुरालवालो को बता दिया कि ये मुझ पर खामोखा का झूठा इल्जाम लगा रहे है, मुझे बदनाम करना चाहते है। इन बातो को सुनकर मेरे ससुरालवाले ने मेरा साथ दिया और उनको डांट लगाई के तुम्हारा दिमाग खराब है।

फ़िर उस दिन से ये मेरे साथ सोते पर कभी कुछ नहीं बोलते ना करते, मेरा दिल करता के यह मुझसे बातें करे, प्यार  भरी अंदाज मे मेरे बालो को पकड़े और दबाए मगर मेरे लाख कोशिश के बावजूद भी यह ज़िंदा लाश बने रहते।

फिर मै सोची के जब यह ना मुझसे बातें करते है तो मै यहां क्यों रहूं, मेरा मन यहां से उड़ने लगा तो मैं मायके चली गई. फ़िर मैने आने से मना कर दिया कि ना ये मुझसे बात करते है ना मुझे छूते है. मेरे घरवाले भी मेरे साथ हो गये.

लेकिन मै इन बातो से अनजान थी के मेरा हसबैंड मेरे सारे रिकॉर्ड रखे हुआ है. उसने मेरे गांव और पास के गाँव और मेरे रिश्तेदारो मे सबको काल रिकार्ड और मेसेज भेज दिये कि देख लो क्या कर रही है ये, उनके पास वह सारे सबूत मौजूद थे जिससे मै गुनाहगार साबित हो रही थी। फिर अब तो कोई रास्ता ही नहीं था।

उसने बिल्कुल साफ़ मना कर दिया अब नहीं लायेंगें चाहे जेल में ही क्यों ना रहना पड़ेगा. अभी तक तो डिवोर्स हुआ भी नहीं है और अभी फ़ाइल भी नहीं किया गया. अब मैं क्या करू. वह लड़का जिससे मै छुपछुप के मिला करती थी, बातें करती थी, जिसके लिए मैंने अपनी ज़िन्दगी दाओं पे लगा दी वह भी अब मुझसे बात नही करता, अब वह पहले जैसा नहीं रहा बल्कि निहायत ही शरीफ और संस्कारी बन गया है।

अगर मै उस दिन साफ़ साफ़ बता देती और अपनी ग़लती इकरार कर लेती तो शायद वे मान जाते. अब मेरी जिन्दगी मे कुछ नही बचा, मां बाप भी दुनिया से गुजर गए, भाई की शादी हो गई वह अपने परिवार में बिज़ी है वह लड़का जिससे मै प्यार करती थी अब बाहर चला गया पैसे कमाने, मै अकेली रह गई, जब था तो हर कोई मेरे साथ था और आज हसबैंड नहीं है तो कोई नहीं, मै ही फैसला नहीं कर सकी के किसके साथ रहना है, आखिर दो नाव में पैर रखने वाला शख्स कभी ना कभी समुंदर में डूबता ही है। मै शादीशुदा ज़िन्दगी की अहमियत और वफादारी को समझ ही नहीं सकी, रिश्तों को क़दर नहीं कर सकी, मै हर जगह अपनी मर्जी और दिल की सुनी जिससे मुझे खुशी मिली मगर फिर ज़िन्दगी ने ऐसा करवट लिया के सारी खुशियां खत्म और अब मेरा ज़मीर भी मुझे स्वीकार नहीं कर रही है।
अगर इसे बे वफ़ा नहीं कहते है तो वफ़ा किसे कहते है?

अब मैं पूरी जिन्दगी अपने हसबैंड के पैरों में रहने को भी तैयार हूं पर अब मुझे यहाँ से ले जाने को साफ़ मना कर रहें हैं. मेरे घरवाले, आस पास के लोग , रिश्तेदार सब उनको समझाने की कोशिश किए मगर वह नहीं माने।

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Zina karne wale ko Rajam (رجم) karne ke alawa koi aur tarika Jayez nahi.

Zina karne wale ko Qatal karne ke alawa koi aur Saja dena kaisa hai?
Zani ko Rajam ke badale kisi aur tarike se Qatal Jayez nahi.
इसलाम बलात्कारी के बारे में क्या कहता है?
जानी को रजम के बदले किसी और तरीके से क़त्ल करना जायज नहीं।

*زانى كو رجم كے بدلے كسى اور طريقہ سے قتل كرنا جائز نہيں*
الحمد للہ.
واجب تو يہى ہے كہ نبى كريم صلى اللہ عليہ وسلم كى سنت پر عمل كرتے ہوئے مكلف شادى شدہ زانى كو پتھر مار مار كر سنگسار اور رجم كيا جائے حتى كہ وہ مرجائے، كيونكہ نبى كريم صلى اللہ عليہ وسلم كے قول اور فعل سے ايسا كرنا ثابت ہے.
چنانچہ نبى كريم صلى اللہ عليہ وسلم نے ماعز اسلمى اور جھينى قبيلہ كى عورت اور غامدى قبيلہ كى عورت اور دو يہوديوں كو مدينہ ميں رجم كيا تھا، اس كا ثبوت صحيح احاديث ميں نبى كريم صلى اللہ عليہ وسلم سے ملتا ہے، اور صحابہ كرام، اور تابعين عظام، اور ان كے بعد اہل علم كا اس پر اجماع ہے، اس ميں كسى نے بھى مخالفت نہيں كى، صرف چند ايك لوگ اس كے مخالف ہيں جن كى مخالفت كا كوئى وزن نہيں.
امام بخارى اور مسلم نے اپنى صحيحين ميں ابن عباس رضى اللہ تعالى عنہما سے بيان كيا ہے وہ ابن عمر رضى اللہ تعالى عنہ سے بيان كرتے ہيں كہ:" بلا شبہ اللہ سبحانہ وتعالى نے محمد صلى اللہ عليہ وسلم كو حق دے كر مبعوث فرمايا، اور ان پر كتاب نازل كى، تو اللہ تعالى كے نازل كردہ ميں رجم كى آيت بھى تھى، ہم نے اسے پڑھا، اور اسے سمجھا اور اچھى طرح حفظ و ياد بھى كيا، تو رسول كريم صلى اللہ عليہ وسلم نے رجم و سنگسار كيا، اور ان كے بعد ہم نے بھى رجم كيا، مجھے خدشہ ہے كہ اگر لوگوں پر لمبا وقت گزر گيا تو كوئى كہنے والا يہ نہ كہنے لگے: اللہ كى قسم ہم تو كتاب اللہ ميں رجم كى آيت نہيں پاتے، تو وہ اللہ تعالى كا نازل كردہ فريضہ ترك كرنے كى بنا پر گمراہ ہو جائينگے، اور اللہ تعالى كى كتاب ميں شادى شدہ زانى مرد و عورت كو رجم كرنا حق ہے، جب اس زنا كى گواہى مل جائے، يا پھر حمل ہو يا اعتراف كر ليا جائے .... " الخ

اور اس بنا پر رجم كى سزا كو تلوار يا گولى مار كر قتل كرنا جائز نہيں، كيونكہ رجم كرنے ميں بہت زيادہ عبرت ہے، اور اس طرح زنا جيسے فحش كام جو كہ شرك اور اللہ تعالى كے حرام كردہ كسى نفس و جان كو قتل كے بعد سب سے عظيم گناہ ہے روكا جا سكتا ہے.
اور اس ليے بھى كہ شادى شدہ زانى كو رجم كرنے كى حد توقيفى امور ميں شامل ہوتى ہے، جس ميں اجتھاد اور رائے كى كوئى گنجائش ہى نہيں اور اگر تلوار يا گولى كے ساتھ شادى شدہ زانى كو قتل كرنا جائز ہوتا تو رسول كريم صلى اللہ عليہ وسلم ايسا ضرور كرتے، اور اپنى امت كے ليے بھى اسے بيان فرماتے، اور ان كے بعد صحابہ كرام بھى ايسا ضرور كرتے.
*ماخذ: ديكھيں: فتاوى اللجنۃ الدائمۃ للبحوث العلميۃ والافتاء ( 22 / 48 )*

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Jannat ki hooron ki Sifaat. जन्नत की हूरों की सीफात

Jannati hooro ki sifaat
Allah ne Duniya Me jin kamon se bachane ko kaha hai, use Bachane wale ke liye Janmat me inaam rakha gaya hai.
जन्नती हूरों की विशेषता

*جنت کی حوروں کی صفات*

الحمد للہ
اللہ تعالی نے اپنی کتاب میں جنت اور اس کی نعمتوں کا ذکر فرمایا ہے اور اس کی صفات اور جنتی لوگوں کی صفات کا کئ جگہ پر قرآن کریم میں تذکرہ فرمایا ہے ان میں سے بعض یہ ہیں :

فرمان باری تعالی ہے :

(اس میں بہتا ہوا چشمہ ہو گا اور اس میں اونچے اونچے تخت ہوں گے اور آبخورے رکھے ہوئےہوں گے اور ایک قطار میں لگے ہوئےتکیۓ ہوں گے اور مخملی مسندیں پھیلی ہوں گی ) الغاشیہ /12- 16

اور فرمان باری تعالی ہے :

( اور اس شخص کے لۓ جو اپنے رب کے سامنے کھڑا ہونے سے ڈرا دو جنتیں ہیں پس تم اپنے رب کی کون کون سی نعمتوں کو جھٹلاؤ گے ؟ (دونوں جنتیں ) بہت سی ٹہنیوں اور شاخوں والی ہیں پس تم اپنے رب کی کون کون سی نعمتوں کو جھٹلاؤ گے؟ تو ان دونون جنتوں میں دو بہتے چشمے ہیں پس تم اپنے رب کی کون کون سی نعمتوں کو جھٹلاؤ گے ؟ ان دونوں جنتوں میں ہر قسم کے میووں کی دو قسمیں ہوں گی ) الرحمن / 46 – 52

جنت کی صفات میں بہت سی آیات ہیں اور جنت کی عورتوں کی صفات میں کئ ایک آیات آئی ہیں ۔

ارشاد باری تعالی ہے :

( ان جنتوں میں نیچی (شرمیلی) نگاہ والی حوریں ہیں جنہیں ان سے پہلے کسی نے ہاتھ تک نہیں لگایا پس تم اپنے رب کی کون کون سی نعمتوں کو جھٹلاؤ گے ؟ گویا وہ حوریں یاقوت اور مونگے مرجان ہیں ) الرحمان / 56- 58

اور فرمان ربانی ہے :

( گوری رنگت والی ) حوریں جنتی خیموں میں رہنے والیاں ہیں ) الرحمان / 72

اور ارشاد باری تعالی ہے :

( اور بڑی بڑی آنکھوں والی حوریں جو چھپے ہوئے موتیوں کی طرح ہیں یہ اس کا صلہ ہے جو کہ وہ عمل کرتے رہے ہیں ) الواقعۃ /22/24

اور نبی صلی اللہ علیہ وسلم سے جنت کی عورتوں کی صفات کے متعلق بہت سی صحیح احادیث ثابت ہیں کہ وہ قیامت کے دن متقی لوگوں کے لۓ تیار کی گئي ہیں ان میں بعض ذکر کی جاتی ہیں :

ابو ہریرہ رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ نبی صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا :

( جنت میں سب سے پہلا گروہ اسی شکل میں داخل ہو گا جس طرح کہ چودھویں رات کا چاند ہو پھر ان کے بعد اس ستارے کی مانند جو کہ آسمان میں سب سے زیادہ چمکدار اور روشن زیادہ ہے وہ نہ تو پیشاب کریں گے اور نہ ہی پاخانہ اور نہ ہی تھوکیں اور نہ ہی انہیں ناک آئے گی ان کی کنکھیاں سونے اور پسینے کی خوشبو مسک کستوری کی اور ان کی انگیٹھیوں میں اگر کی لکڑی ( ایک خوشبو دار لکڑی) جلتی ہو گی اور ان کی بیویاں حور العین ہوں گیں ان کی پیدائش ایک آدمی کی پیدائش ان کے باپ آدم کی صورت پر آسمان میں ساٹھ ساٹھ ہاتھ ہو گی ) صحیح الجامع حدیث نمبر 2015

ابو ہریرہ رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ نبی صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا :

( موتی کا خیمہ جس کی آسمان میں لمبائی ساٹھ میل ہو گی اس کے ہر کونے میں مومن کے لۓ اس کی بیوی ہو گی جنہیں دوسرے نہیں دیکھ سکیں گے ) صحیح الجامع حدیث نمبر 3357

تو ان احادیث میں جنت کی ان عورتوں کے متعلق ذکر کیا گیا ہے جو کہ مومن کے لۓ تیار کی گئیں ہیں اور اللہ تعالی نے اپنی کتاب میں ان کا نام حور رکھا ہے اور حور حوراء کی جمع ہے ۔

احکام ( 17 /122) میں قرطبی رحمہ اللہ نے فرمایا ہے کہ : وہ بہت زیادہ سفید جس کی آنکھیں زیادہ سیاہ ہوں انہیں حور کہا جاتا ہے ۔

تو ہمار اس پر ایمان مطلق ہے جس میں کسی قسم کے شک کی گنجائش نہیں اور یہ ہمارے مضبوط عقیدہ میں سے ہے اس کی مزید تفصیل کے لۓ صحیح بخاری کتاب بدء الخلق میں باب صفۃ الجنۃ اور صحیح مسلم ابواب صفۃ الجنۃ اور اسی طرح ابو نعیم اصفہانی کی کتاب صفۃ الجنۃ جو کہ جنتی عورتوں اور ان کے حسن کے متعلق ہے کا مطالعہ کریں ۔

اور رہا یہ سوال کہ اسلام ان اشیاء کی خوشخبری دیتا اور اس پر ابھارتا ہے جو کہ جنت میں ہیں اور دنیا میں وہ چیزیں حرام ہیں مثلا عورتوں سے شادی کے علاوہ تعلقات رکھنے ۔

تو جواب سے قبل ہم ایک خطرناک معاملے پر تنبیہ کرنا بہتر سمجھتے ہیں وہ یہ کہ بیشک اللہ تعالی اس دنیا میں دنیا والوں پر جو چاہے حرام کرے وہ تو ان اشیاء کا خالق اور مالک ہے تو کسی کو یہ جائز نہیں کہ وہ اللہ تعالی کے حکم پر اپنی بیمار رآئے اور الٹ فہم کے ساتھ اعتراض کرے تو اللہ تعالی ہی کے لۓ پہلے بھی بعد میں بھی حکم ہے اللہ تعالی کے حکم اور فیصلے پر کوئی گرفت نہیں کر سکتا ۔

اور رہا یہ مسئلہ کہ اللہ تعالی نے کچھ ایسی چیزیں جنہیں دنیا میں حرام قرار دی ہے اور پھر اس کے ترک کرنے والے کو آخرت میں اس کا بدلہ دے گا ( مثلا شراب، زنا اور مردوں پر ریشم پہننا وغیرہ ) تو یہ اللہ تعالی چاہتا ہے کہ جو اطاعت کرے اور دنیا میں اپنے نفس کے ساتھ جدوجہد کرے اسے ثواب دے ۔

فرمان باری تعالی ہے :

( کیا احسان کا بدلہ احسان کے علاوہ بھی کچھ ہے )

اور حرمت کی علت کیا ہے تو اس کے متعلق ذیل میں چند نقاط دۓ جاتے ہیں :

اول یہ ضروری نہیں کہ ہم حرمت کی ساری علتیں جان سکیں اور ہمیں ان کا علم ہو تو کئ ایک ایسی علتیں ہیں جن کا ہمیں علم تک نہیں ہوتا ۔

تو نصوص میں اصل یہی ہے کہ انہیں تسلیم کیا جائے اگرچہ ہمیں علت کا علم نہ بھی ہو کیونکہ تسلیم کرنا ہی ایک ایسی چیز ہے جس کا تقاضا اسلام کرتا ہے اس لۓ اسلام اللہ تعالی کی مکمل اطاعت پر مبنی ہے ۔

دوم : بعض اوقات ہم پر حرمت کی علت ظاہر ہو جاتی ہے مثلا وہ فساد پیدا کرنے والی اشیاء جو کہ زنا سے مرتب ہوتی ہیں جیسا کہ نسب نامے میں خلط ملط ہونا اور موذی اور مہلک امراض کا پیدا ہونا وغیرہ تو جب شریعت نے غیر شرعی تعلقات کو منع قرار دیا تو اس سے مراد یہی تھی کہ نسب ناموں میں حفاظت ہو سکے جس کا کفار اور اہتمام نہیں کرتے تو وہ گدھوں کی طرح جفتی کرتے ہیں تو دوست اپنی سہیلی اور رشتہ دار اپنی رشتہ دار کے ساتھ زنا کرتا ہے اور اسی طرح گویا کہ وہ جنگلی جانور ہوں بلکہ بعض جانور بھی اس طرح کا کام نہیں کرتے اور یہ لوگ اسے برا نہیں جانتے اور نہ ہی اس کی پرواہ کرتے ہیں تو معاشرہ اس سبب سے انحلال پزیر ہو چکا اور رشتہ داریاں اور تعلقات کٹ چکے ہیں اور معاشرہ جنسی اور مہلک اور موذی بیماریوں سے بھرا پڑا ہے جو کہ اس شخص پر اللہ تعالی کے غضب کی دلالت کرتا ہے جو اللہ کی حرمت کو پامال اور اس کی حرام کردہ اشیاء کو حلال کر لیتا ہے ۔

اور یہ سب کچھ جنت میں بندے اور حور کے تعلق کے خلاف ہے - اور یہی ہے جس کا سوال آپ نے کیا ہے – یہ تو عام طور پر دیکھا گیا ہے کہ فاحشہ عورت دنیا میں اپنی عزت کو نیلام کرتی پھرتی اور وہ بے دین اور بے حیاء ہوتی ہے اور کسی ایک شخص کے ساتھ صحیح نکاح کی بنا پر مستقل شرعی تعلقات نہیں رکھتی تو مرد جس کے ساتھ چاہے تعلقات قائم کرے اور عورت جس کے ساتھ چاہے پغیر کسی دینی اور اخلاقی لحاظ سے تعلقات بناتی پھرے۔

لیکن جنت میں حوریں تو اپنے ان خاوندوں کے لۓ چھپائی ہوئی ہوں گی جن کو دنیا میں حرام سے بچنے اور صبر کرنے کی بنا پر یہ بدلہ میں ملیں گیں ۔

جیسا کہ فرمان باری تعالی ہے :

(گوری رنگت والی )حوریں جنتی خیموں میں رہنے والیاں ہیں >

اور ان کے متعلق فرمایا :
( جنہیں ان سے پہلے کسی انسان یا جن نے ہاتھ تک نہیں لگایا )

تو یہ حقیقت میں اس کی بیوی ہو گی ۔

جیسا کہ فرمان باری تعالی ہے :

( اور ہم نے ان کی شادی حور عین سے کر دی )

وہ اس پر چھپائی ہوئی ہوں گی جس میں اس کے علاوہ کوئی اور شریک نہیں ہو گا ۔

سوم : بیشک اللہ عزوجل نے آدمی کے لۓ دنیا کے اندر قانون بنایا ہے کہ ایک وقت میں چار سے زیادہ عورتیں جمع نہیں کر سکتا ۔

تو وہ ہی جنتیوں کو بطور انعام جتنی چاہے حوریں عطا کر دے تو دنیا میں حرام ہونا اور آخرت میں نہ اس میں کوئی تعارض نہیں کیونکہ ان دونوں کے احکام اللہ تعالی کی مشیت کے اعتبار سے مختلف ہیں اور اس میں بھی کوئی شک وشبہ نہیں کہ آخرت دنیا سے افضل اور باقی رہنے والی ہے ۔

فرمان باری تعالی ہے :

( لوگوں کے لۓ مرغوب چیزوں کی محبت مزین کر دی گئي ہے جیسے عورتیں اور بیٹے اور سونے چاندی کے جمع کۓ ہوئےخزانے اور نشاندار گھوڑے اور چوپآئے اور کھیتی یہ دنیا کی زندگی کا سامان ہے اور لوٹنے کا اچھا ٹھکانہ تو اللہ تعالی ہی کے پاس ہے ۔ آپ کہہ دیجۓ کیا میں تمہیں اس سے بھی بہت ہی بہتر چیز بتاؤ ؟ جن لوگوں نے تقوی اختیا کیا ان کے لۓ ان کے رب کے پاس ایسی جنتیں ہیں جن کے نیچے سے نہریں بہتی ہیں جن میں وہ ہمیشہ رہیں گے اور پاکیزہ بیویاں اور اللہ تعالی کی رضا مندی ہے اور اللہ تعالی اپنے بندوں کو دیکھ رہا ہے اور وہ اس کی نگاہ میں ہیں ) آل عمران / 14 – 15

چہارم – ہو سکتا ہے کہ یہ حرمت اللہ تعالی کی طرف سے اپنے بندوں کی آزمائش کے لۓ ہو آیا کہ وہ ان احکام پر عمل کرتے ہیں کہ یا نہیں جو انہیں دیۓ جاتے ہیں اور جس سے انہیں روکا جاتا ہے اس سے وہ رکتے ہیں کہ نہیں ۔

اور پھر بات یہ ہے کہ ایسی چیز سے آزمائش نہیں ہوتی جس کی طرف انسان کی میلان ہی نہ ہو اور نہ وہ اسے پسند کرتا ہو آزمائش تو اس کے ساتھ ہوتی ہے جس کی طرف دل کا میلان ہو اور اپنی طرف کھینچے اور اسی آزمائش میں سے ایک چیز مال بھی ہے ۔

تو کیا انسان اسے حلال طریقے سے حاصل کرتا اور اسے حلال میں خرچ کرتا اور اس میں سے اللہ تعالی کا حق ادا کرتا ہے کہ نہیں ۔

اور عورتوں کے ساتھ آزمائش اس لۓ ہے کہ آیا وہ اس پر اقتفاد کرتا ہے جو کہ اللہ تعالی نے اس کے لۓ حلال کی ہیں اور ان سے اپنی نظریں نیچی رکھتا اور ان سے نفع اٹھانے سے بچتا ہے جو کہ اللہ تعالی نے اس کے لۓ حرام کی ہیں یا کہ نہیں ۔

اور اللہ تعالی کی یہ رحمت ہے کہ اس نے ایسی کسی چیز کو حرام نہیں کیا جس کی طرف میلان نفس نہ لیکن اس کے بدلے میں اسی جنس اور قسم سے کئ چیزیں حلال کی ہیں ۔

پنجم- یہ کہ دنیاوی احکام آخرت کے احکام کی طرح نہیں ہیں ۔

تو دنیا کی شراب عقل کو ماؤف کر دیتی ہے آخرت کی شراب اس کے خلاف کہ اس سے نہ تو عقل میں فتور آتا اور نہ ہی سر چکراتا اور نہ ہی پیٹ میں مروڑ پیدا ہوں گے ۔

اور وہ جو اللہ تعالی نے مومنوں کے لۓ قیامت کے دن اس اطاعت کے بدلے میں عورتیں تیار کی ہیں جو وہ کرتے رہے تو وہ زنا کی طرح نہیں کہ ان سے ہتک ہو اور نسب ناموں میں ملاوٹ پیدا ہو جائے اور امراض پھیل جائیں اور اس کے بعد ندامت کا سامنا کرنا پڑے ۔

تو جنت کی عورتیں پاک صاف ہوں گی اور دنیا کی عورتوں کی طرح نہ تو انہیں موت آئے گی اور نہ ہی بوڑھی ہوں گی ۔

فرمان باری تعالی ہے :

( ہم نے ان ( کی بیویوں کو ) خاص طور پر بنایا ہے اور ہم انہیں کنواریاں رکھا ہے محبت والیاں اور ہم عمر ہیں )

ہم اللہ تعالی سے دعا گو ہیں کہ وہ ہمیں دنیا اور آخرت کی بھلائی اور خیر نصیحت کرے اور ہمیں اپنے احکام کی اطاعت کر نے کی توفیق اور اس پر ثواب کا یقین کرنے اور اس پر اجر حاصل ہونے اور اپنے عذاب سے امن وامان میں رکھے ۔ آمین

واللہ اعلم .

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Bihar Board 10th history Question answer Lesson 2.

Bihar Board 10th History Classes
Bihar Board 10th history objective Question answer.
10th History Question answer BTBC

        02   समाजवाद और साम्यवाद
     (Socialist and Communist)
वस्तुनिष्ठ प्रश्न उत्तर।
  ( objective Question answer)

(1) रूस में कृषक दास प्रथा का अंत कब हुआ?
जवाब - 1861 ईसवी में

(2) रूस में जार का मतलब क्या होता है?
जवाब - रूस का सम्राट

(3) कार्ल मार्क्स का जन्म कहां हुआ था?
जवाब - जर्मनी

(4) साम्यवादी (कम्युनिस्ट) शासन का पहला प्रयोग कहां हुआ?
जवाब - रूस

(5) यूरोपियन समाजवादी  कौन नहीं था?
जवाब - कार्ल मार्क्स

(6) वार एंड पीस (war and peace)  किसकी रचना है?
जवाब - टालस्टाय

(7) बोलशेविक क्रांति कब हुई?
जवाब - नवंबर 1917 ईसवी

(8) लाल सेना का गठन किसने किया था?
जवाब - ट्रॉटस्की

(9) लेनिन की मौत कब हुई?
जवाब - 1924

(10) ब्रेस्टलिटोवस्क की संधि किन देशों के बीच हुआ था?
जवाब - रूस और जर्मनी

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
(1) पूंजीवाद क्या है?
जवाब - कल कारखानों और उत्पादन के साधनों पर निजी व्यक्तियों का स्वामितव होना पूंजीवाद कहलाता है।

(2) खूनी रविवार क्या है?
जवाब - 9 जनवरी 1905 को रूसी जनता का समूह "जार हमे रोटी दो" के नारों के साथ जार के महल की तरफ बढ़ रही थी। जार ने इन निहत्थे लोगो पर गोलियों कि बौछार करा दी जिसमें हजारों लोग मारे गए।
                                   रूसी कैलेंडर के अनुसार उस दिन रविवार (Sunday) का दिन था, इसी वजह से इसे खूनी रविवार (लाल रविवार) कहा जाता है।

(3) अक्टूबर क्रान्ति क्या है?
जवाब - लेनिन के नेतृत्व में रूसी जनता ने जार क्रेंसकी का तख्ता पलट करने देने का निश्चय किया। रूसी जनता ने डाकघर, बैंक, रेलवे स्टेशन, कचहरी और अन्य सरकारी भवनों पर अधिकार कर लिया, इससे डर कर करेंस्की भाग गया और सत्ता पर लेनिन का अधिकार हो गया , इसे ही अक्टूबर क्रान्ति कहा जाता है।

(4) सर्वहारा वर्ग किसे कहते है?
जवाब - रूसी जनता का वैसा वर्ग जिसमें किसान , मजदूर और गरीब लोग शामिल थे उसे सर्वहारा वर्ग कहा गया।

(5) क्रांति से पहले रूसी किसानों की स्थिति कैसी थी?
जवाब - क्रांति से पहले रूसी किसानों की स्थिति काफी दयनीय थी। खेतो का आकार छोटा हो जाना और पुराने तरीके से खेती करने के कारण उपज नहीं हो पाती थी इसी कारण किसानों की स्थिति काफी दयनीय हो गई थी।

लघु उत्तरीय प्रश्न

(1) रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारणों का वर्णन करे।
जवाब -  रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारण निम्मलिखित है।
(i) जार की निरंकुशता और अयोग्य शासन - रूसी राजा (सम्राट) को जार कहा जाता था। वह अपने को ईश्वर का प्रतिनिधि मानता था, उसे जनता की कोई फ़िक्र नहीं थी। साथ ही गलत सलाहकारों के कारण जार की सरवेक्ष चारिता बढ़ती गई तथा जनता की स्थिति बद से बदतर होती गई।
(ii) कृषकों की दयनीय स्थिति - रूस में आबादी का बहुसंख्यक भाग कृषक था जिसकी स्थिति काफी दयनीय थी। पुराने ढंग से खेती करने और खेतो का आकार छोटा हो जाने के कारण उपज में काफी कमी आ गई थी। जिस कारण किसान कर्ज के बोझ से दब गया।

(2) रूसिकरण की नीति क्रांति हेतु कहां तक उत्तरदाई थी?
जवाब - सोवियत रूस विभिन्न राष्ट्रीयताओ का देश था यह मुख्यत सलाव जाती के लोग रहते थे। इनके अलावा फिनलैंड, पोल, जर्मन और यहूदी आदि अन्य जातियों के लोग रहते थे, यह लोग अलग अलग भाषा बोलते थे और इनका रस्म व रिवाज भी अलग अलग था, लेकिन जार निकोलस ii ने रुसिकरण की नीति थोप दी इसके अनुसार सभी लोगो पर , शिक्षा और संस्कृति लाद दिया गई  जिस कारण अल्पसंख्यक लोग परेशान हो  गए । इस परेशानी ने रूसी क्रांति का मार्ग प्रशस्त हुआ।

(3) साम्यवाद एक नई आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था थी। कैसे?
जवाब - साम्यवाद एक नई आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था थी जिसके अनुसार मजदूरों को काम के बदले वेतन (सैलरी) मिलता था उत्पादन के साधनों पर मजदूरों का एकाधिकार था। ऐसी व्यवस्था में उत्पादन किसी व्यक्ति विशेष के लिए ना होकर पूरे वर्ग के लिए था। इस तरह साम्यवाद एक नई आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था थी।

(4) नई आर्थिक नीति (New economic policy) मार्क्सवादी सिद्धांतो के साथ समझौता था कैसे?
जवाब - लेनिन एक स्वप्न दर्सी विचारक ही नहीं बल्कि एक कुशल सामाजिक चिंतक तथा व्यावहारिक राजनीतिज्ञ था। वह ट्राटसकी के तरह समाजवादी व्यवस्था लागू कर पूरी पूंजीवादी दुनिया से टकराना नहीं चाहता था। इसलिए उसने मार्क्सवादी मूल्यों से समझौता कर 1921 में एक नई नीति की घोसना की , इस नीति के अनुसार किसानों पर अनाज की जगह कर (टैक्स) लगाया गया तथा जमीन किसानों के बीच बांट दी गई और विभिन्न स्तर पर बैंक खोले गए।

(5) प्रथम विश्व युद्ध ( first world war) में रूस की पराजय क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया कैसे?
जवाब - प्रथम विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक चला इस ऐतिहासिक युद्ध में एशिया के एक छोटे से देश जापान से रूस बुरी तरह हार गया, उसकी महानता का भ्रम खत्म हो गया। थके फटे हाल सैनिक जापान से हार कर जब रूस वापस लौटे तब उन्हे देख कर जनता स्तब्ध रह गई। इस देख कर रूसी जनता में असंतोष फुट पड़ा जिसने क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया।

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