Waise Logo ka anjaam jo Rishton me dhokha dete hai?
Rishte me dhokha dena kya Aazadi hai?
Paise Aur taqat ke nashe me Rishton ki qadar nahi karne wale log.
Paisa bahut kuchh hai magar har kuchh nahi hai is duniya ki.
मै एक 28 साल की शादीशुदा औरत हों।
आज मैं अपने ज़िन्दगी की कड़वी सच्चाई बताने जा रही हूं. मेरी शादी अप्रैल 2017 में हुयी थी. पर मै अपने ही गाँव के एक लड़के से प्यार करती थी. पर उससे शादी होना थोड़ा मुश्किल था. क्योंकि हमारे यहाँ ऐसे शादी समाज की नजरो में बहुत ही ज्यादा गलत मानी जाती है, बात पसंद की शादी की नहीं है बल्कि बात यहां उस लड़के का है जो अपनी जिम्मेदारी समझे, और मुझे अकेला ना छोड़ दे बल्कि घर , परिवार को संभाल सके ना के सिर्फ I love you कहने मे ही अपनी पूरी ज़िन्दगी का प्यार समझे, सिर्फ कूल दिखनेें , हेयर स्टाइल बनाकर लड़कियों को इंप्रेस करने वाला लड़का।
तो मैने अपने घर पर सब बता दिया कि मै कहीं और शादी नहीं करूंगी. पर मेरे घरवाले मुझे समझाने में लग गये, और बोले कि जो लड़का हमने देखा है वो सरकारी नौकरी करता है और बाहर ही रहता है, तुम तो बस शादी कर लो उसको कुछ पता नहीं लगेगा. मैने कहा कि अगर उसको पता लग गया तो फ़िर क्या करेंगे तो मेरे पापा ने कहा कि वे लोग अपनी इज्जत के चक्कर में कुछ नहीं कहेंगे. और तुम पता मत लगने देना.
मै अपने घरवालों की बातो से सहमत हो गई, क्युके जब मै अपने घर आऊंगी तो उससे मिल लूंगी, और वह लड़का कोई ज्यादा दूर का तो था नहीं।
मेरी शादी की दिन पक्की हो गयी फ़िर मेरे होने वाले हसबैंड ने मेरे लिए एक फोन भी भेज दिया अपना सिम डालकर मै बेफ़िक्र 11 बजे तक अपने हसबैंड से बात करती और फ़िर 1 बजे से अपने आशिक से।
एक दिन उनका फोन आया कि तुम 1 बजे किससे बात करती हो तो मैने उनसे कहा कि वो मेरी सहेली का होने वाला हसबैंड है तो वो मान तो गये पर उनको शक हो गया. फ़िर मैने उस नम्बर से बात करना बन्द कर दिया. और मेरे घरवालो ने भी मेरा साथ दिया और बोल दिया कि इसकी सहेली और यह एकसाथ सोती है उसकी शादी हो रही है तो वो अपने होने वाले हसबैंड से बात करती है.
और मुझे घरवालों ने कहा कि अब बात मत करना अब उसको भूल जाओ. लेकिन मै ऐसा नहीं कर सकती थी. तो मै चुपके बात भी करती रही और मिलती भी रही.
हम दोनों के बीच जिस्मानी ताल्लुकात (physically relation) भी तकरीबन हर हफ्ते में दो बार जरूर बनते थे। मै अक्सर घर से कालेज का बहाना बना कर उस लड़के से मिलने चली जाया करती थी, वह लड़का भी मुझसे मिलने को बेचैन रहता था।
मेरी शादी हो गयी तो मेरे हसबैंड जब सुहागरात पर मेरे साथ सेक्स किया तो उनको बाद में देखकर मुझे थोड़ा अजीब लगा. उनको शक हो गया कि मैं वर्जिन नहीं हूं. पर फ़िर भी उन्होने कुछ नहीं कहा. मुझे घुमाने ले गये. पर अब उनका दिल मेरे पास नहीं लगता था, ना मुझसे उतना बातचीत करते थे और ना अपने बारे में कुछ बताते थे लेकिन मै इतना जरूर जानती हू के वह दिल के बहुत ही अच्छे और शरीफ थे।
जब वे बाहर जाते तो मै अपने आशिक से विडियो काल पर बातें कर लेती. बस ऐसे ही सब चल रहा था. फ़िर एक दिन जब मै मायके गयी तो मेरे आशिक ने मेरी शादी वाली अंगूठी ले ली और देने से मना कर दिया.
मै जब भी अपने मायके जाती तो उस लड़के से मिलती जिससे में पहले से ही मुहब्बत करती थी, हम दोनों घंटो बातें करते, सेक्स भी करते। यहां तक के में सेक्स की आदि हो चुकी थी।
पर जब मैं वापस ससुराल आयी तो मेरे हसबैंड को सब कुछ मालूम हो चुका था तो उन्होने मुझे बहुत समझाया, अपने आगे की ज़िन्दगी के बारे में वह बहुत फ़िक्र करते थे।
पर मैने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है हमारे बीच वो तो मेरे कालेज का दोस्त है. जबकि इनको सबकुछ मालूम हो चुका था तो उन्होने कहा कि मै तुम्हे कुछ नहीं बोल रहा हूँ बस सिर्फ और सिर्फ तुम अपनी ग़लती मानो, हकीकत से मत इनकार करो, और अब यह सारी हरकतें बंद करो मगर मैं उनसे बहश करती रही के आप मुझपे बेकार का शक कर रहे है, आप की भी कोई हिस्टरी होगी, आप का भी बैकग्राउंड है मगर मै तो आपके कॉलेज लाइफ के बारे में कुछ भी नहीं पूछ रही फिर आप मेरे बैकग्राउंड के बारे में क्यों जानना चाहते है। मै उनसे बोली के आप मझपे इल्जाम लगा रहे है, मेरी भी कोई इज़्ज़त है, आप मुझे बदनाम कर रहे है।
फ़िर मै अपने घरवालों और सासुरालवालो को बता दिया कि ये मुझ पर खामोखा का झूठा इल्जाम लगा रहे है, मुझे बदनाम करना चाहते है। इन बातो को सुनकर मेरे ससुरालवाले ने मेरा साथ दिया और उनको डांट लगाई के तुम्हारा दिमाग खराब है।
फ़िर उस दिन से ये मेरे साथ सोते पर कभी कुछ नहीं बोलते ना करते, मेरा दिल करता के यह मुझसे बातें करे, प्यार भरी अंदाज मे मेरे बालो को पकड़े और दबाए मगर मेरे लाख कोशिश के बावजूद भी यह ज़िंदा लाश बने रहते।
फिर मै सोची के जब यह ना मुझसे बातें करते है तो मै यहां क्यों रहूं, मेरा मन यहां से उड़ने लगा तो मैं मायके चली गई. फ़िर मैने आने से मना कर दिया कि ना ये मुझसे बात करते है ना मुझे छूते है. मेरे घरवाले भी मेरे साथ हो गये.
लेकिन मै इन बातो से अनजान थी के मेरा हसबैंड मेरे सारे रिकॉर्ड रखे हुआ है. उसने मेरे गांव और पास के गाँव और मेरे रिश्तेदारो मे सबको काल रिकार्ड और मेसेज भेज दिये कि देख लो क्या कर रही है ये, उनके पास वह सारे सबूत मौजूद थे जिससे मै गुनाहगार साबित हो रही थी। फिर अब तो कोई रास्ता ही नहीं था।
उसने बिल्कुल साफ़ मना कर दिया अब नहीं लायेंगें चाहे जेल में ही क्यों ना रहना पड़ेगा. अभी तक तो डिवोर्स हुआ भी नहीं है और अभी फ़ाइल भी नहीं किया गया. अब मैं क्या करू. वह लड़का जिससे मै छुपछुप के मिला करती थी, बातें करती थी, जिसके लिए मैंने अपनी ज़िन्दगी दाओं पे लगा दी वह भी अब मुझसे बात नही करता, अब वह पहले जैसा नहीं रहा बल्कि निहायत ही शरीफ और संस्कारी बन गया है।
अगर मै उस दिन साफ़ साफ़ बता देती और अपनी ग़लती इकरार कर लेती तो शायद वे मान जाते. अब मेरी जिन्दगी मे कुछ नही बचा, मां बाप भी दुनिया से गुजर गए, भाई की शादी हो गई वह अपने परिवार में बिज़ी है वह लड़का जिससे मै प्यार करती थी अब बाहर चला गया पैसे कमाने, मै अकेली रह गई, जब था तो हर कोई मेरे साथ था और आज हसबैंड नहीं है तो कोई नहीं, मै ही फैसला नहीं कर सकी के किसके साथ रहना है, आखिर दो नाव में पैर रखने वाला शख्स कभी ना कभी समुंदर में डूबता ही है। मै शादीशुदा ज़िन्दगी की अहमियत और वफादारी को समझ ही नहीं सकी, रिश्तों को क़दर नहीं कर सकी, मै हर जगह अपनी मर्जी और दिल की सुनी जिससे मुझे खुशी मिली मगर फिर ज़िन्दगी ने ऐसा करवट लिया के सारी खुशियां खत्म और अब मेरा ज़मीर भी मुझे स्वीकार नहीं कर रही है।
अगर इसे बे वफ़ा नहीं कहते है तो वफ़ा किसे कहते है?
अब मैं पूरी जिन्दगी अपने हसबैंड के पैरों में रहने को भी तैयार हूं पर अब मुझे यहाँ से ले जाने को साफ़ मना कर रहें हैं. मेरे घरवाले, आस पास के लोग , रिश्तेदार सब उनको समझाने की कोशिश किए मगर वह नहीं माने।