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Kerala ka wah Shakhs Jo Hajj ke liye Paidal Saudi Arab Ja raha hai? Shihab chittur

Janiye us Shakhs ke bare me Jo Hajj 2023 ke liye India se Saudi Arabia Paidal Ja raha hai? 

जानिए कौन है वह शख्स जिसने अकेले हज के लिए पैदल सफर पर निकला है

आज के दौर मे शायद आप यह जानकर चौंक जायेंगे, हैरत मे पड़ जायेंगे के क्या कोई शख्स हज्ज् के लिए इंडिया से सऊदी अरब पैदल जा सकता है? *जानिए उस शख्स के बारे मे जो केरला से पैदल मक्का जा रहे है*। 

मंजिलें बहादुरो का इस्तकबाल करती है
बुझदिलों को तो रास्तो का खौफ मार देता है।

कई बार हमसब सुनते हैं के पहले लोग घोडे, ऊँट और हथियो पर सफर करते थे और दूर दूर तक पैदल ही चलते थे क्योंके उस वक़्त न कोई रेल, जहाज़ या कोई दूसरी इलेक्ट्रॉनिक गड़ियाँ थी।

लोग हज्ज् के लिए भी इसी तरह जाया करते थे।
जब इंसान तरक्की किया तो महिनो का सफर घंटो मे बदल गया।

अब घोड़ा और ऊँट वाला दौर रहा नही यह साइंस का दौर है।

इसी इकिसवी सदी मे एक शख्स हिंदुस्तान से सऊदी अरब हज्ज् के लिए पैदल रवाना होता है।

लोग साइकल से या पैदल चलकर मीलों का सफर तय कर रिकॉर्ड कायम करते हैं। लेकिन  आज मै आपको एक ऐसे शख्स के बारे मे बताऊंगा  जिसके बारे में जानकर आप भी चौंक जायेंगे।

आज के दौर मे ऐसी बातें सिर्फ अपने बुजुर्गो से सुनने को और किताबो मे पढ़ने को मिलती है।

जब इरादे मजबूत हो तो मंजिले भी आसान हो जाती है

भारत के दक्षिणी राज्य केरला के एक शख्स ने वह काम कर दिखाया जो शायद आज के दौर मे नामुमकिन है।
बहुत से मुसलमानो की यह ख्वाहिश होती है के जिंदगी मे एक बार जरूर हज्ज् ए बैतुल्ला जाए।

इसी तरह केरल के इस शख्स की भी ख्वाहिश थी मगर इन्होंने अपने दिल की तमन्नाओ को पूरी करने के लिए कोई आम तरीका नही बल्कि एक अलग अंदाज मे मक्का जाने का फैसला किया।

भारत के दक्षिणी राज्य केरल के मलप्पुरम जिले के कोट्टक्कल के पास अठावनाड नामक इलाके के रहने वाले है शिहाब् चित्तूर मुश्किल और तकलीफो से भरे सफर पर निकले है।

भारत के कई राज्यों से गुजरते हुए पाकिस्तान, ईरान, इराक, कुवैत और आखिर में सऊदी अरब पहुचेंगे।

जब उनसे इस सफर के बारे मे पूछा गया तो उन्होंने कहा

"पैदल हज के लिए मक्का जाना मेरी बचपन से ही ख्वाहिश थी, अल्हम्दुलिल्लाह अल्लाह का शुक्र अदा करता हूं। मेरी मां की दुआओ से अल्लाह ने मेरी यह तमन्ना पूरी की और मैंने सभी फराएज़ को पूरा किया, इंशा अल्लाह मैं जल्द ही अपनी मंजिल तक पहुंच जाऊंगा।”

आठ महीने बाद अगले साल  मक्का पहुंचेंगे शिहाब् चित्तूर।

इस सफर के लिए उन्हें विदेश मंत्रालय से इजाज़त लेने के लिए चक्कर काटने पड़े। मगर उनकी कोशिशो ने रंग लाई और वे अपने मकसद मे कामयाब हो गए।

वे तकरीबन आठ महीने बाद 8640 किलोमीटर तय कर अपनी मंजिल तक पहुचेंगे।

वह एक साल से हज पर जाने की तैयारी मे लगे थे।
शिहाब् चित्तूर उसी केरला के रहने वाले हैं जहाँ हिंदुस्तान की सबसे पहली मस्जिद तामीर की गयी थी।

वो कहते है

"मेरा सफर रूहानी है, मेरा मकसद पैदल हज करने का है। मुझे सलाह देने वाला कोई नहीं था। मैं सिर्फ लोगों से पैदल सफर पर जाने के बारे मे सुना था। लेकिन आज हिंदुस्तान में शायद ही कोई जिंदा मिले जो यहां से पैदल हज पर जाने के बारे मे अपना तजुर्बा बताये। "

जब उन्होंने अपने इस सफर के लिए विदेश मंत्रालय से इजाज़त मांगी तो वहाँ के कई अफसर हैरत मे पड़ गए।
उनसे जब मक्का जाने की इजाज़त मांगी गयी तो वे लोग हैरान हो गए।  वहाँ मौजूद ऑफिसर्स यह सोच कर मुश्किल मे पड़ गए के इस मसले के कैसे हल किया जाए, क्योंके इससे पहले उनलोगो को पैदल हज् पर जाने का तजुर्बा नही था।

आखिर मे उन्हे मंजिल ए मकसूद जाने के लिए इजाज़त मिल गयी।

इकस्वी सदी या फिर यूँ कहे आधुनिक युग का पहला शख्स जिसने पैदल हज् के लिए गया हो।

मोहम्मद शिहाब् आज के मॉडर्न दौर के सबसे पहले शख्स है जिन्होंने हिंदुस्तान से सऊदी अरब पैदल सफर किया हो।

कई जगहो पर उनका इस्तकबाल मशहूर शख्सियत के तौर पर किया गया है। जुमे को जब वह चलियाम पहुंचे तो हज़ारो लोगो की भीड़ उनके इस्तकबाल के लिए जमा हो गयी। उनको लोग सेलेब्रेटी के जैसा फूल बरसा रहे है। उनका  नाम शायद गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड मे भी शामिल किया जाए।

आज के इस दौर मे लोग शोहरत पाने के लिए, सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए, अपने फॉलोवर्स बढ़ाने के लिए और नाम रौशन करने के लिए बे हयाई, फ़हाशि, कुफ्र और शिर्क का सहारा ले रहे है तो वही केरला के एक मुसलमान जिसने अगले साल हज का अरकान् अदा करने के लिए अभी से ही तैयारी शुरू कर दी है।

जहाँ आज का मुसलमान अपने मुहल्ले की मस्जिद मे पांच कदम चलकर नमाज अदा करने नही जाता तो वहीं शिहाब् चित्तूर पांच मुल्को का सफर कर हज के फराएज़ अदा करने जा रहे है।

मोहम्मद शिहाब् वहाँ जा रहे है जहाँ सब बराबर है। अमीर गरीब , कमज़ोर मजबूत  हर कोई बराबर है। मक्का मे की छोटा बड़ा और ऊंच नीच नही होता बल्कि वहाँ जाने वाला सब बराबर होता है।

यह एक अनोखा शुरुआत है मुसलमानो की आँखे खोलने के लिए।

मोहम्मद शिहाब् मस्जिद या मदरसे में रातें बिताना पसंद करते हैं। मोहम्मद शिहाब् का हर एक कदम अल्लाह की राह मे बढ़ रहा है।  वे अपने साथ बहुत कम सामान लेकर जा रहे है ताकि सफर आसान हो और कही कोई दिक्कत न हो।

केरला से पैदल हजयात्रा पर निकले शिहाब चित्तूर का 2023 में हज से पहले पहुँचने का इरादा है।

आप सब लोगो से शिहाब् चित्तूर के लिए दुआओ की गुजारिश है ताकि अल्लाह ताला उनके सफर को आसान फरमा दें।

या अल्ला तु ऐसे नेक इरादे वाले की हीफाजत फरमा और उन्हे उनके मकसद मे कामयाबी अता कर। अल्लाह तु उनके रास्ते मे आने वाली परेशानियों को दूर कर दे और हजर ए अस्वद का दीदार करा।
   आमीन

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